Chandrayaan 2 : विक्रम लैंडर से टूटा संपर्क तो थम गईं लोगों की धड़कनें
चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम के रात करीब दो बजे चंद्रमा पर उतरने की उम्मीद वैज्ञानिकों ने लगा रखी थी। इसे लेकर देशवासियों में बेहद उत्साह था।
नई दिल्ली (संदीप कुमार)। किसी के चेहरे पर मायूसी तो कोई कर रहा था दुआ, हर किसी की चाहत बस यही थी कि लैंडर विक्रम से संपर्क हो जाए। लेकिन, सभी के चेहरे पर उस समय निराशा दौड़ गई, जब वैज्ञानिकों ने यह घोषणा की कि चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क नहीं हो पा रहा है। हालांकि, इसके बाद भी लोगों ने एक-दूसरे को बधाई दी और कहा कि यह कामयाबी भी कम नहीं है। इस बार नहीं तो अगली बार हम सफल जरूर होंगे।
लोग रात तक देख रहे थे टेलीविजन
चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम के रात करीब दो बजे चंद्रमा पर उतरने की उम्मीद वैज्ञानिकों ने लगा रखी थी। इसे लेकर देशवासियों में बेहद उत्साह था। रात करीब 12 बजे से ही लोग अपने-अपने टेलीविजन के सामने बैठ गए थे। रात करीब 1:30 के बाद जैसे-जैसे लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ रहा था, लोगों में उत्साह और रोमांच के साथ ही चिंता भी बढ़ रही थी।
हर कोई एक दूसरे से पूछ रहा था हाल
घरों में लोग जहां ईश्वर की प्रार्थना कर रहे थे, वहीं मल्टीनेशनल कंपनी के दफ्तरों में भी लोग एक-दूसरे से यही पूछ रहे थे कि चंद्रयान-2 की सफल लैंडिंग हो सकेगी या नहीं। इसी बीच दिल की धड़कनें तब और बढ़ गईं जब रात करीब 1:50 पर इसरो के वैज्ञानिकों के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभरने लगी। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर इसरो के सभी वैज्ञानिक इसरो मुख्यालय बेंगलुरु में इधर-उधर चहलकदमी करने लगे।
संपर्क टूटते ही निराश हुए लोग
यह देख टीवी से चिपके लोगों को यह आशंका हुई कि कुछ तो गड़बड़ी जरूर हो गई है। इसी बीच रात 1:55 बजे पर चंद्रयान से संपर्क टूटने की खबर ने देशवासियों की आशाओं पर पानी फेर दिया, लेकिन फिर भी कहीं न कहीं लोगों के दिल में चंद्रयान की सफलता को लेकर उम्मीद अभी बची हुई थी। इसके बाद रात में 2:20 बजे इसरो के वैज्ञानिकों ने आधिकारिक रूप से यह घोषणा कर दी कि चांद से 2.1 किमी पहले विक्रम लैंडर से पूरी तरह संपर्क टूट गया है। अब तक मिले आंकड़ों का अध्ययन किया जा रहा है। यह खबर आते ही तमाम लोगों की आंखों से आंसू निकल पड़े।
लोगों ने कहा-
भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता की पूरी उम्मीद थी, लेकिन अंतिम क्षणों में मिली यह असफलता से काफी दुख पहुंचा है। आखिर एक इतिहास लिखने से भारत चूक गया, लेकिन यहां तक पहुंचना भी बड़ी बात है।
रिषभ, दिल्ली
इसरो के वैज्ञानिकों ने इतिहास तो लिख ही दिया है, भले ही हम चंद्रमा की सतह से कुछ ही दूर पहुंचकर रास्ता भटक गए हैं, लेकिन यह सफलता भी हमें गर्व का एहसास करा रही है। हम तो भारतीय वैज्ञानिकों को इसके लिए भी बधाई देंगे।
अनिल कुमार, यमुना विहार
मैं रात 12 बजे से ही इस अभियान की सफलता का गवाह बनने के लिए उत्साहित था, लेकिन रात में 2:20 पर जब संपर्क टूटने की खबर आई तो दिल अचानक ही बैठ गया। लेकिन इससे हमारे देश के वैज्ञानिकों की सफलता कम नहीं हो जाती है। हम भविष्य में चंद्रमा पर उतरेंगे, यह विश्वास है।
विवेक कुमार, शाहदरा