केंद्र सरकार ने कहा- मजबूरी में भीख मांगना अपराध नहीं, कोर्ट ने जताई हैरानी
केंद्र ने कोर्ट में कहा कि मजबूरी में भीख मांगना अपराध नहीं है, लेकिन अगर कोई अपनी मर्जी से या फिर किसी के दबाव में भीख मांग रहा है तो कार्रवाई की जा सकती है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। राजधानी में भीख मांगने वालों के मानवाधिकार को लेकर दायर जनहित याचिका पर केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा कि गरीबी के कारण भीख मांगना कोई अपराध नहीं है।
9 जनवरी को होगी सुनवाई
केंद्र सरकार के इस जवाब पर हैरानी जताते हुए कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश व न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने सवाल उठाया कि क्या कोई मजबूरी या इच्छा से भीख मांगता है। कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या आपने किसी को इच्छा से भीख मांगते हुए देखा है। मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी को होगी।
भीख मांगने के खिलाफ कानून बनाए गए
हाई कोर्ट में दाखिल किए गए शपथ पत्र में केंद्र सरकार ने बताया कि 20 राज्य व दो केंद्र शासित प्रदेश में अपने स्तर पर भीख मांगने के खिलाफ कानून बनाए गए हैं। केंद्र ने कोर्ट में कहा कि मजबूरी में भीख मांगना अपराध नहीं है, लेकिन अगर कोई अपनी मर्जी से या फिर किसी के दबाव में भीख मांग रहा है तो ऐसे शख्स को हिरासत में लेकर उचित कार्रवाई की जा सकती है।
याचिकाकर्ता हर्ष मंदर व कर्निका ने मांग की थी कि ऐसे लोगों के लिए खाने व मेडिकल की व्यवस्था की जानी चाहिए।
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