अब अरविंद केजरीवाल के दो करीबी मंत्रियों पर लटकी FIR की तलवार
सीबीआइ के मुताबिक, ‘टॉक टू एके’ कार्यक्रम के प्रमोशन के लिए पीआर एजेंसी को किए गए भुगतान में अनियमितता से जुड़े सवालों का मनीष सिसोदिया संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए हैं।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ एफआइआर पर सीबीआइ जल्द फैसला ले सकती है। सीबीआइ दोनों से पूछताछ कर चुकी है, लेकिन उनके जबाव से संतुष्ट नहीं है और अब दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार व आय से अधिक संपत्ति बनाने के आरोपों की प्रारंभिक जांच कर रही है।
सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ‘टॉक टू एके’ कार्यक्रम के प्रमोशन के लिए एक पीआर एजेंसी को किए गए भुगतान में अनियमितता से जुड़े सवालों का मनीष सिसोदिया संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए हैं।
उनके अनुसार सिसोदिया यह साबित करने में विफल रहे कि उस पीआर कंपनी को बिना टेंडर के ही मनमाना पेमेंट क्यों कर दिया गया। पिछले हफ्ते सीबीआइ ने इस मामले में सिसोदिया से उनके घर जाकर पूछताछ की थी।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ की तरह जनता से सीधे संवाद स्थापित करना चाहते थे। इसी के लिए ‘टॉक टू एके’ कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई थी।
इस कार्यक्रम के सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार का काम बिना टेंडर के एक कंपनी को सौंप दिया गया और उसे डेढ़ करोड़ का भुगतान कर दिया गया। वहीं, सत्येंद्र जैन और उनकी पत्नी करोड़ों रुपये की बेनामी संपत्ति बनाने के मामले में सीबीआइ को संतुष्ट करने में विफल रहे हैं।
एक जून को सीबीआइ जैन और सोमवार को उनकी पत्नी से पूछताछ कर चुकी है। जैन ने कंपनियों को पत्नी के नाम बताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की थी, लेकिन करोड़ रुपये कंपनी के खाते में आने के सवाल का उनकी पत्नी संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाईं।
सत्येंद्र जैन की स्वामित्व वाली कंपनी मंगलायतन प्रोजेक्ट्स, पारस इंफोसाल्यूशंस और अकिंचन डेवलपर्स में हवाला के मार्फत करोड़ों रुपये उनके दिल्ली सरकार में मंत्री बनने के बाद भी आए थे। इन कंपनियों में जैन की पत्नी भी हिस्सेदार हैं।
सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दोनों मामले में संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने के बाद एफआइआर दर्ज की जा सकती है। इस संबंध में कानूनी पहलुओं पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जल्द ही फैसला ले लिया जाएगा।