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कैंसर के इलाज के लिए पहली बार हुआ इस तकनीक का प्रयोग, ठंडी गैस से खत्म की कोशिकाएं

Cancer Treatment कैंसर के उपचार में गंगाराम अस्पताल ने उत्तर भारत में पहली बार नई तकनीक क्रायोब्लेशन का उपयोग किया है। इस तकनीक की मदद से कैंसर कोशिकाओं को ठंडी गैस का इस्तेमाल करके नष्ट कर दिया जाता है।

By Ranbijay Kumar SinghEdited By: GeetarjunPublished: Fri, 09 Jun 2023 01:05 AM (IST)Updated: Fri, 09 Jun 2023 01:05 AM (IST)
कैंसर के इलाज के लिए पहली बार हुआ इस तकनीक का प्रयोग, ठंडी गैस से खत्म की कोशिकाएं
कैंसर के इलाज के लिए पहली बार हुआ इस तकनीक का प्रयोग, ठंडी गैस से खत्म की कोशिकाएं

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कैंसर के उपचार में गंगाराम अस्पताल ने उत्तर भारत में पहली बार नई तकनीक क्रायोब्लेशन का उपयोग किया है। इस तकनीक की मदद से कैंसर कोशिकाओं को ठंडी गैस का इस्तेमाल करके नष्ट कर दिया जाता है। अस्पताल ने 55 वर्षीय महिला मरीज का सफल उपचार किया है।

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उन्हें लीवर में मेटास्टेटिस (फैल) के साथ गॉल ब्लैडर में कैंसर था। इसकी पहले भी एक बार सर्जरी हो चुकी थी। उनकी अब दोबारा सर्जरी नहीं की जा सकती थी। इसलिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया।

न्यूनतम खतरनाक उपचार

उपचार के लिए तकनीक का इस्तेमाल सर गंगा राम अस्पताल की आईआर टीम के डॉ. अरुण गुप्ता, डॉ. अजीत यादव और डॉ. राघव सेठ द्वारा किया गया। अस्पताल के कंसल्टेंट इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग के डॉ. अजीत यादव ने बताया “क्रायोब्लेशन ठंडी गैसों के साथ कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए एक न्यूनतम खतरनाक उपचार है।

पतली सुई डालकर देखी जाती हैं कैंसर कोशिकाएं

इसमें एक पतली सुई क्रायोप्रोब को सीधे अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन से देखते हुए कैंसर कोशिका में रखा जाता है। क्रायोप्रोब कैंसर कोशिकाओं को जमने और मारने के लिए तरल नाइट्रोजन जैसी बेहद ठंडी गैस का संचार करती है। फिर टिश्यू को पिघलने दिया जाता है। अंत में, ठंड का एक और चक्र दिया जाता है।

फेफड़ों, गुर्दों यकृत के लिए किया जाता है प्रयोग

इसके खत्म होने का जरूरी समय ट्यूमर के आकार, स्थान और प्रकार पर निर्भर करता है। इस तकनीक का उपयोग सामान्यतौर पर फेफड़ों, गुर्दे, हड्डी, यकृत और स्तन सहित अन्य प्रकार के कैंसर के उपचार के लिए किया जाता है। प्रक्रिया में लगभग 1.5 से 2 घंटे लगते हैं।

डॉ. यादव ने कहा, पहले माइक्रोवेव एब्लेशन तकनीक से उपचार होता था। उसमें हीट दी जाती थी। इससे कैंसर कोशिकाओं के साथ सामान्य कोशिकाएं प्रभावित होती थीं। लेकिन, क्रायोब्लेशन में नाइट्रोजन के इस्तेमाल से सिर्फ कैंसर कोशिकाएं ही नष्ट होती हैं।

उन्होंने कहा, टाटा मेमोरियल मुंबई और कोयंबटूर के एक अस्पताल में ही इस तकनीक का इस्तेमाल होता है। गंगाराम अस्पताल ने मरीज के आग्रह पर इसका इस्तेमाल किया है। अपेक्षाकृत बड़ा था कैंसर अस्पताल के इंटरवेंशनल रेडियोलाजी विभाग के चेयरपर्सन और सीनियर कंसल्टेंट डा. अरुण गुप्ता ने कहा, कैंसर अपेक्षाकृत बड़ा था और यकृत (लिवर) धमनियों और अन्य महत्वपूर्ण संरचनाओं के बहुत करीब था।

इसके जरिए कैंसर को पूरी तरह खत्म कर दिया गया। विभाग के एसोसिएट कंसल्टेंट डॉ. राघव सेठ ने कहा, इसके दुष्परिणाम कम होते हैं। इसमें दर्द नहीं होता और मरीज जल्द ठीक होता है। डा. गुप्ता ने कहा, कैंसर के उपचार के लिए गंगाराम अस्पताल में अब हर तरह की तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है।


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