Delhi Violence: 25 फरवारी को दोस्त से मिलने बिजनौर से आया था दिल्ली, नहीं लौटा सका वापस
सख्श 25 फरवारी को दोस्त से मिलने बिजनौर से दिल्ली आया था। दोस्तों ने बताया कि वह कुछ सामान खरीदने के लिए गया था लेकिन लौटकर वापस नहीं आया।
नई दिल्ली, विजय शंकर पांडेय। उत्तर-पूर्वी दिल्ली की सांप्रदायिक हिंसा कई परिवारों को गहरे जख्म दे गई है। अब तक 47 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं। कई लोग लापता हैं। उनके परिवार के लोग लगातार उनकी तलाश में भटक रहे हैं। शव मिलने की सूचना मिलते ही पहुंच जाते हैं। छानबीन करते हैं और शव के रूप में अपने लापता स्वजन को न पाकर अजीब से भाव से भर जाते हैं। उनका दर्द ऐसा है कि किसी को बता भी नहीं सकते, जता भी नहीं सकते।
राम मनोहर लोहिया अस्पताल में एक मार्च को चार शव पहुंचे। चारों हिंसाग्रस्त इलाकों से बरामद हुए थे। इनमें से दो भागीरथी विहार के नाले से मिले और एक गोकुलपुरी पुलिस स्टेशन के पास के नाले से मिला। चौथा शव करावल नगर के शिव विहार तिराहा के पास के नाले में मिला। दो मार्च को एक और शव भागीरथी विहार के नाले से बरामद हुआ। सभी शव पुरुषों के थे और उम्र करीब 25-30 वर्ष।
25 फरवरी को हुआ था लापता
इसकी जानकारी मिलते ही कई लापता लोगों के परिवार राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंच रहे हैं। दोपहर तक पांचों शवों में से एक की भी पहचान नहीं हो पाई थी। पुलिस भी परेशान थी कि पहचान नहीं हो पा रही। तभी बिजनौर से एक परिवार के तीन-चार सदस्य पहुंचे। उन्होंने बताया कि 25 फरवरी से उनके परिवार का एक लड़का गायब है। वह शव देखना चाहते हैं कि कहीं मृतकों में उनका स्वजन तो नहीं। परिवार देखने की जिद भी कर रहा था और चाह भी नहीं रहा था कि उनका लापता स्वजन इन शवों में से कोई एक हो। आखिर हिम्मत कर एक स्वजन शव को देखने के लिए शवगृह के अंदर गया।
दोस्त से मिलने आया था करावल नगर
बाहर खड़े परिजनों ने बताया कि 25 फरवरी को उनका लड़का करावल नगर में दोस्तों के यहां गया हुआ था। अचानक शाम को उसके दोस्तों का फोन आया कि वह कुछ सामान खरीदने के लिए गया था लेकिन लौटा नहीं। 26 फरवरी से उसको करावल नगर के इलाके में ढूंढ रहे हैं। फिर भी एक आस है कि शायद भाई की सलामती होने की सूचना कहीं से मिल जाए। अभी यह बात चल ही रही थी कि अंदर गए स्वजन बाहर आ गए और रोते हुए एक-दूसरे के गले से लिपट गए। बताया कि पांच शवों में से एक शव उनके लड़के का है।
अभी भी वापस लौटने का इंतजार
इसी तरह गाजियाबाद स्थित लोनी के अशोक विहार से चांदनी चौक में सिलाई का काम करने वाले एक व्यक्ति को उसके स्वजन कई दिनों से तलाश रहे हैं। परिवार में पत्नी के अलावा दो छोटे बच्चे हैं। किसी अस्पताल में उनका शव भी नहीं मिला इस बात की खुशी है, लेकिन चिंता भी है कि आखिर वह गए कहां? उसके बच्चों और पत्नी को क्या जवाब दिया जाए।