वित्तमंत्री जी सुनिए: कपड़ा कारोबार पर हो एक प्रकार का टैक्स, व्यापारियों ने की मांग
चांदनी चौक व्यापार परिषद के अध्यक्ष सुरेश बिंदल का कहना है कि कपड़े के कारोबार में आयकर और जीएसटी लगता है। जीएसटी जमा करने की प्रक्रिया जटिल है। इसको सरल बनाया जाना चाहिए। कारोबारियों को कर विशेषज्ञों के चंगुल से बचाया जाना चाहिए।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कृषि के बाद कपड़ा उद्योग सर्वाधिक रोजगार देने वाला है। रोटी और मकान के बीच कपड़ा सामान्य जनजीवन की अनिवार्य वस्तु है। इसलिए इसका फलक कहीं व्यापक है। इसके ट्रेड से जुड़े लोग भी आम बजट की ओर आशाभरी निगाहों से देख रहे हैं। इसमें निर्यात को बढ़ावा देने व नए बाजार विकसित करने के साथ कर सुधार की उम्मीदें भी हैं। यही इनकी मांगें भी हैं। चांदनी चौक एशिया के सबसे बड़े थोक कपड़ा बाजार में आता है, जहां 50 हजार से अधिक लोग कपड़ा कारोबार से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा भी दिल्ली में गांधी नगर व टैंक रोड जैसे थोक बाजार है, जहां के लोग भी बजट से राहत चाहते हैं।
दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केटाइल एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुण सिंघानिया का कहना है कि कपड़ा और गारमेंट पर पांच से 12 फीसद तक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) है। यह 'एक देश-एक टैक्स' की अवधारणा के विपरीत है। इन टैक्सों को एक किया जाना चाहिए। इसे पांच फीसद पर लाना चाहिए। यह सर्वाधिक रोजगार देने वाले उद्योगों में शामिल है। इसमें अनपढ़ से लेकर उच्च व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त युवाओं को भी रोजगार देता है। ऐसे में इसको बढ़ावा देने पर सरकार को विशेष प्रयास करना चाहिए। तकनीक के साथ वैश्विक बाजार में पहुंच बनाने के लिए सहयोग करना होगा।
चांदनी चौक व्यापार परिषद के अध्यक्ष सुरेश बिंदल का कहना है कि कपड़े के कारोबार में आयकर और जीएसटी लगता है। जीएसटी जमा करने की प्रक्रिया जटिल है। इसको सरल बनाया जाना चाहिए। कारोबारियों को कर विशेषज्ञों के चंगुल से बचाया जाना चाहिए। इस कारोबार में ईमानदारी से टैक्स देकर काम करने वाले 90 फीसद कारोबारी हैं, जबकि 10 फीसद टैक्स चोरी कर ईमानदारी व्यापारियों को प्रताडि़त करते हैं। ऐसे लोगों से सख्ती से निपटना चाहिए।
इसी तरह जीएसटी विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर रोकथाम के कदम उठाए जाए। व्यापारियों पर सभी सुविधाओं के लिए व्यावसायिक दर पर भुगतान करना पड़ता है, जबकि उसकी तुलना में सुविधाएं न के बराबर है। इसमें सुधार हो। स्पिनिंग मिलों की दादागीरी कम की जाए। कपास की दर निर्धारित हो।
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