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बिल्डरों ने सुरक्षा मानकों को ताक पर रख किया अवैध निर्माण, पड़ताल में सामने आई सच्चाई

एक मंजिल पर चार से बारह फ्लैट बनाए गए हैं, लेकिन आग से बचाव के उपकरण नहीं लगाए गए हैं। ऐसे में और हादसों से इन्कार नहीं किया जा सकता है।

By Amit SinghEdited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 12:16 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 09:36 PM (IST)
बिल्डरों ने सुरक्षा मानकों को ताक पर रख किया अवैध निर्माण, पड़ताल में सामने आई सच्चाई
बिल्डरों ने सुरक्षा मानकों को ताक पर रख किया अवैध निर्माण, पड़ताल में सामने आई सच्चाई

नोएडा (जेएनएन)। ग्रेटर नोएडा वेस्ट के शाहबेरी गांव में बिल्डरों ने आग के ढ़ेर पर रेत के महल (फ्लैट) बना दिए। यहां सुरक्षा मानकों को हर तरह से नजरअंदाज किया गया। यहां की एक भी इमारत में फायर फाइटिंग के सिस्टम नहीं लगाए गए हैं। मंगलवार रात दो इमारतों के धराशायी होने के बाद सुरक्षा मामलों को लेकर की गई दैनिक जागरण की पड़ताल में यह तथ्य सामने आया है।

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आग से बचाव के उपकरण नहीं

शाहबेरी गांव में बिल्डरों ने जमीन खरीद कर इन पर फ्लैट बना दिए हैं। जमीन के छोटे से छोटे टुकड़े पर चार मंजिल से लेकर की सोसायटी बनाने का प्रयास किया गया। एक मंजिल पर चार से बारह फ्लैट बनाए गए हैं, लेकिन आग से बचाव के उपकरण नहीं लगाए गए हैं। यहां रहने वाले लोगों ने आरोप लगाया है कि बिल्डर ने इमारत को फायर विभाग के मानक के बाहर होने का दावा किया है।

विभाग ने भी बरती लापरवाही

शाहबेरी गांव में बिल्डर मनमाने तरीके से सोसायटी व फ्लैट बनाते रहे, वहीं फायर विभाग कुंभकर्णी नींद सोता रहा। विभाग ने यहां अभी तक एक भी बिल्डर को एनओसी जारी नहीं किया है। फायर विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यहां इमारत बनाने वाले एक भी बिल्डर ने एनओसी के लिए आवेदन नहीं किया है। फायर विभाग ने भी इस क्षेत्र में एनओसी प्राप्त करने के लिए जागरूकता अभियान नहीं चलाया है। जबकि हर साल विभाग आग से बचाव के लिए मॉकड्रिक के नाम पर लाखों रूपये खर्च करता है।

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क्या है फायर एनओसी के नियम

चार मंजिल या इससे ऊपर के निर्माण पर एनओसी लेना जरूरी है। फायर मानक के मुताबिक 15 मीटर से ऊंची इमारतों के लिए एनओसी के लिए आवेदन करने का प्रावधान है। फायर विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यहां छोटे बिल्डरों ने निर्माण कराया है। इनका कोई निश्चित ठिकाना नहीं है, जहां इनसे संपर्क किया जा सके। छोटे बिल्डर निर्माण पूरा करने के बाद यहां से निकल जाते हैं। इन्हें पकड़ना आसान नहीं हैं।

पर्याप्त जगह व रास्ता नहीं 

गौरतलब है कि शाहबेरी गांव में हुए हादसे के बाद मलबे को हटाने का काम करीब शुक्रवार को सुबह भी जारी रहा। विशेषज्ञों की मानें तो यदि आसपास पर्याप्त जगह व रास्ता होता तो महज 10 घंटे में पूरे मलबे को साफ कर दिया जाता। इससे कई लोगों की जिंदगी भी बचाई जा सकती थी।

रास्ता बनाने में लगा समय 

राहत कार्य में जुटी टीम को अधिक समय आसपास रास्ता बनाने में लग गया, जहां से मशीन व जेसीबी की मदद से मलबा हटाया गया। घटनास्थल के आसपास दो बेसमेंट की जगह भी खोदी गई थी। उसे पहले मलबा डालकर पाटा गया। दोनों बेसमेंट को पूरी तरह से ढकने के बाद जेसीबी समेत अन्य मशीनरी के खड़े होने की जगह बन सकी।

मौसम बन रहा बाधक

शुक्रवार सुबह हुई बारिश ने राहत व बचाव कार्य कर रही टीमों की रफ्तार धीमी कर दी। बारिश की वजह से आसपास पानी भर गया। इससे सही अंदाजा नहीं लग पा रहा था। घटनास्थल पर भी पानी भरने से मशीनों और बचाव टीमों को काम करने में परेशानी का सामना करना पड़ा। हालांकि बारिश के दौरान भी बचाव टीमें मलबा हटाने के कामों में जुटी रहीं। बचाव टीम के अधिकारियों ने बताया कि बारिश के दौरान जरा सी लापरवाही होने पर बचाव कार्य में जुटी मशीनें अनियंत्रित होने का खतरा रहता है। 


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