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Delhi: अनाज मंडी अग्निकांड मामले में तीसरी गिरफ्तारी, पूछताछ में मिल सकती है अहम जानकारी

अनाज मंडी अग्निकांड मामले में पुलिस ने अवैध फैक्ट्री के मालिक के एक रिश्तेदार को गिरफ्तार किया है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 08:12 PM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 08:12 PM (IST)
Delhi: अनाज मंडी अग्निकांड मामले में तीसरी गिरफ्तारी, पूछताछ में मिल सकती है अहम जानकारी
Delhi: अनाज मंडी अग्निकांड मामले में तीसरी गिरफ्तारी, पूछताछ में मिल सकती है अहम जानकारी

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। अनाज मंडी के जिस इमारत में आग लगने से 43 लोगों की मौत हुई उसमें रिहान के अलावा उसके छोटे भाई इमरान व साला सोहेल की भी तीन-तीन अवैध फैक्ट्रियां चलती थी। चार मंजिल की इमारत में अवैध रूप से कुल 18 फैक्ट्रियां चल रही थीं। जिसमें 13 रिहान की थी और तीन-तीन इमरान और सोहेल की थी। इन्होंने 10-12 लोगों को फैक्ट्री चलाने का ठेका दे रखा था। लेकिन दस्तावेजों में मालिकाना हक इनके पास है।

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इस गोरखधंधे के बारे में जानकारी मिलने के बाद क्राइम ब्रांच ने बुधवार शाम सोहेल को आइएसबीटी के पास से गिरफ्तार कर लिया। अब इमरान की तलाश की जा रही है। क्राइम ब्रांच का कहना है कि दोनों की गिरफ्तारी होने पर उनसे पूछताछ से कई नई जानकारी मिल सकती है।

अवैध फैक्ट्री में बनते थे ये सामान

क्राइम ब्रांच सूत्रों के मुताबिक फैक्ट्रियों में पहली व दूसरी मंजिल पर आइना बनाए जाते थे। दूसरी व तीसरी मंजिल पर पिट्ठू बैग, रेक्सीन की डायरी, ट्रेवल बैग व प्लास्टिक के खिलौने बनाए जाते थे। चौथी मंजिल पर बैग, टोपी व रेक्सीन के जैकेट आदि बनाए जाते थे। भूतल पर तीन मोल्डिंग मशीनें मिली है, जिससे शीशे के आइना बनाए जाते थे। इमारत में 100 से ज्यादा सिलाई मशीनें थी, जिनमें कई मशीनें आग में पिघल गई। हर फ्लोर पर 15 बाई 20 वर्गफुट के तीन-तीन कमरे व दो बडे बड़े हॉल थे।

इमारत में स्थित फैक्ट्रियों में सबसे अधिक आइना में इस्तेमाल होने वाले शीशे तैयार किए जाते थे। आग दूसरी मंजिल से शुरू हुई थी लेकिन सबसे अधिक नुकसान तीसरी मंजिल पर हुआ। आग लगने से जिन 43 लोगों की मौत हुई है उनमें चार को छोड़ बाकी सभी के दम घुटने से मौत हुई है। मरने वाले में दो अथवा तीन ठेकेदार होने की आशंका जताई जा रही है।

फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूर गरीब तबके के थे

फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूर बहुत ही गरीब तबके के थे। वे दिन रात अपनी क्षमता के अनुसार काम करते थे। वे फैक्ट्रियों में ही खाना बनाकर खाते थे लेकिन रात में सोने के लिए किसी के पास निर्धारित जगह नहीं थी। जिसे जहां जगह मिल जाता था वे वहीं पर सो जाते थे। इमारत में सीढ़ियों के कर्व के पास अधिक जगह होती है। इसलिए अधिकतर मजदूर उसी जगह पर सोते थे। फैक्ट्री में ठहरने के कारण मजदूरों के किराए के पैसे बच जाते थे। यहां मिलने वाली 8-10 हजार तनख्वाह मजदूर अपने-अपने घर भेज देते थे।

इमारत में हर फ्लोर पर सीसीटीवी कैमरे लगे थे

क्राइम ब्रांच का कहना है मौत की इमारत में हर फ्लोर पर सीसीटीवी कैमरे लगे थे। दूसरे तल पर आग लगने के कारण इस तल व इससे ऊपर की मंजिलों में लगे सभी सीसीटीवी कैमरे चल गए। इमारत में भूतल व चौथी मंजिल पर एक-एक डीवीआर लगे थे। जहां पर रिकाडिंग होते थे। चौथी मंजिल के डीवीआर भी जल गए। फिर भी क्राइम ब्रांच उसे जब्त कर जांच के लिए सीबीआइ के लैब में भेज दिया है। वहां टेक्नीकल एक्सपर्ट उसे रीट्रीट करने की कोशिश करेंगे। अगर फुटेज वापस मिल जाएंगे तब सारी जानकारी मिल जाएगी कि दूसरी, तीसरी व चौथी मंजिलों पर आग कैसे फैले थी और वहां मौजूद मजदूर किस तरह जान बचाने भागे थे लेकिन उनकी जान नहीं बच पाई।

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