जानें- क्यों चर्चा में हैं मायावती के भाई आनंद, कभी थे क्लर्क अब हैं बसपा में नंबर-2
बताया जा जाता है कि वर्ष 2007 में आनंद कुमार जहां सिर्फ 7.5 करोड़ रुपये के मालिक थे वहीं साल 2014 में उनकी संपति बढ़कर 1316 करोड़ रुपये हो गई थी।
नई दिल्ली, जेएनएन। बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) सुप्रीमो मायावती के भाई और पार्टी उपाध्यक्ष आनंद कुमार फिर चर्चा में हैं। दरअसल, आयकर विभाग (Income Tax Department) ने आनंद कुमार और उनकी पत्नी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। IT ने उनका नोएडा में सात एकड़ का प्लॉट जब्त कर लिया है। इसकी कीमत 400 करोड़ रुपये बताई जा रही है। आयकर के मुताबिक, प्लॉट का मालिकाना हक बसपा प्रमुख मायावती के भाई आनंद कुमार और उनकी पत्नी विचित्र लता के पास है।
बता दें कि पिछले महीने ही मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष (National vise president) तो भतीजे आकाश आनंद के साथ अपने करीबी रामजी गौतम को (National Co-ordinator) बनाया था। बसपा में आनंद और आकाश अब मायावती के बाद नंबर दो की हैसियत में होंगे। आइए जानते हैं मायावती के भाई आनंद कुमार के बारे में जो नोएडा प्राधिकरण (Noida authority) में क्लर्क के पद से लेकर अब बहुजन समाज पार्टी में नंबर दो की हैसियत में पहुंच चुके हैं।
कभी थे क्लर्क, अब बने बसपा में नंबर-2
बता दें कि BSP में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए गए आनंद कुमार मायावती के छोटे भाई हैं और मायावती अपने इस भाई पर सबसे ज्यादा भरोसा करती हैं। कई मामलों में आरोपित आनंद एक समय में नोएडा प्राधिकरण में सामान्य क्लर्क हुआ करते थे। उन पर फर्जी कंपनी बनाकर करोड़ों रुपये लोन लेने और पैसे को रियल एस्टेट में निवेश कर मुनाफा कमाने का भी आरोप है। इस बाबत आयकर विभाग (Income Tax Department) और प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) आय से अधिक संपत्ति मामले में जांच भी कर रहा है।
नोटबंदी के दौरान भी आए थे चर्चा में
मायावती के भाई आनंद कुमार काफी समय बाद फिर चर्चा में तब आए थे जब नोटबंदी के बाद उनके खाते में 1.43 करोड़ रुपये जमा हुए थे। जांच एजेंसियां कई बार उनके ठिकानों पर छापेमारी भी कर चुकी हैं।
बसपा शासन में चलता था आनंद का सिक्का
बहुजन समाज पार्टी जब भी यूपी की सत्ता में आती तो मायवती के भाई आनंद कुमार की हैसियत बढ़ जाती थी। यह चर्चा आम होती थी कि स्थानीय स्तर के साथ प्रदेश स्तर के काम आनंद के मातहत ही होते थे। खासकर वर्ष 2007-12 के बसपा शासनकाल में आनंद का दबदबा सर्वाधिक रहा। दरअसल, राजनीति में आनंद का सीधा दखल नहीं रहता था, लेकिन बसपा सरकार में कोई भी छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा काम आनंद चुटकियों में करा देते थे। बसपा शासन के दौरान दर्जनों कंपनियों में भागेदारी के साथ आनंद को अपनी बड़ी बहन मायावती का दाहिना हाथ माना जाता था और यह बात जगजाहिर भी है। रविवार को मायावती ने भाई आनंद को बसपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर इस बात की पुष्टि भी कर दी है।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 2007 से पहले आनंद की एक कंपनी थी, लेकिन 2007 में यूपी में बसपा के सत्ता में आने पर आनंद ने लगातार 49 कंपनियां खोली। 2007 में 7.5 करोड़ तो 2014 में 1,316 करोड़ के मालिक बने आनंद कुमार की संपत्ति में कई गुना का इजाफा हुआ।
बताया जा जाता है कि वर्ष 2007 में आनंद कुमार जहां सिर्फ 7.5 करोड़ रुपये के मालिक थे, वहीं साल 2014 में उनकी संपति बढ़कर 1,316 करोड़ रुपये हो गई थी।
आनंद पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी कंपनी बनाकर करोड़ों रुपये का लोन लिया और लोन लिए पैसे को रियल एस्टेट में निवेश कर मोटा मुनाफा कमाया है। मीडिया से दूर रहने वाले आनंद कुमार तब चर्चा में आए जब नोटबंदी के बाद उनके खाते में 1.43 करोड़ और बसपा से जुड़े एक अकाउंट में 104 करोड़ रुपये जमा होने का मामला सामने आया।
इससे पहले वर्ष, 2017 में बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने छोटे भाई आनंद कुमार को पार्टी उपाध्यक्ष बनाने की घोषणा की थी। उस समय इस घोषणा के दौरान मायावती ने कहा था कि आनंद कुमार को इस शर्त पर यह जिम्मेदारी दी गई है कि भविष्य में वो सांसद या मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। बता दें कि वर्ष 2017 में पहली बार बसपा उपाध्यक्ष बनने से पूर्व आनंद कुमार पार्टी के सार्वजनिक कार्यक्रमों से हमेशा दूर ही रहते थे। उनको न कभी पार्टी मंच पर बुलाया जाता था और न ही वह राजनीति को लेकर कोई बयान देते थे। उपाध्यक्ष पद पर नियुक्ति के बाद उन्हें मायावती के उत्तराधिकारी के तौर पर माना जाने लगा था, लेकिन फिर खुद मायावती ने हटा दिया था।
बसपा सुप्रीमो ने परिवारवाद के बढ़ते आरोपों के चलते 27 मई, 2018 को भाई आनंद कुमार को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से हटा दिया था। इतना ही नहीं, मायावती ने यह भी कहा था कि अब भविष्य में राष्ट्रीय अध्यक्ष के परिवार का कोई भी नजदीकी सदस्य संगठन में किसी भी स्तर पर नहीं रखा जाएगा। मायावती ने सालभर बाद एक बार फिर भाई को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और उनके बेटे आकाश को नेशनल कोआर्डिनेटर जैसी अहम जिम्मेदारी देकर यह साफ कर दिया है उन्हें परिवार पर ही भरोसा है।
इससे पूर्व 14 अप्रैल, 2017 को अंबेडकर जयंती पर मायावती ने आनंद कुमार को यह कहते हुए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था कि वह पार्टी में नि:स्वार्थ भावना से ही कार्य करते रहेंगे और कभी सांसद, विधायक, मंत्री व मुख्यमंत्री आदि नहीं बनेंगे। इसी शर्त पर मायावती ने आनंद को उपाध्यक्ष नामित किया था, लेकिन यह मनोनयन एक साल ही बना रह सका।
मई 2018 में किया पदमुक्त
आनंद करीब एक वर्ष ही राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर बने रहे कि सबको चौंकाते हुए मायावती ने 27 मई, 2018 को आनंद को उपाध्यक्ष पद से हटा दिया था। इसकी वजह बताते हुए कहा कि संगठन का कामकाज देखने के लिए आनंद कुमार को उपाध्यक्ष बनाया था, लेकिन पार्टी के भीतर भी कांग्रेस की तरह परिवारवाद की चर्चा शुरू हो गई है। लोगों ने आनंद कुमार की तर्ज पर अपने नाते-रिश्तेदारों को पदों पर रखने की सिफारिश शुरू कर दी है। तब मायावती ने कहा था कि पार्टी मूवमेंट से डिगती देख आनंद ने खुद पद छोड़ने की इच्छा जताई थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया।