चेहरे की पहचान और आवाज से पता चल जाएगा मस्तिष्क का तनाव, खास है ये सॉफ्टवेयर
सॉफ्टवेयर में ऐसा डिवाइस है जो आवाज और चेहरे के अलग भावों के जरिए यह पता लगा सकेगा कि अवसाद या तनाव कितना है।
नई दिल्ली, राहुल मानव। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के इनक्यूबेशन सेंटर में काम कर रही एक स्टार्टअप कंपनी की तरफ से ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है, जिससे लोगों में मानसिक तनाव और अवसाद के बारे में आसानी से पता लगाया जा सकेगा। यह कंपनी जेएनयू से ही पिछले साल बॉयोइंर्फोमेटिक्स में पीएचडी कर चुकीं डॉ. अनुपमा सिंह ने बनाई की है।
बिराक की तरफ से किया गया सम्मानित
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक की मदद से इस तरह का सॉफ्टवेयर तैयार करने के लिए डॉ. अनुपमा को हाल ही में भारत सरकार के बॉयोटेक्नोलॉजी विभाग की फंडिंग एजेंसी बॉयोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च काउंसिल (बिराक) की तरफ से सम्मानित किया गया है। बिराक एक फंडिंग एजेंसी है, जो उन कंपनियों को फंड देती है और सम्मानित करती है, जो समाज को नई तकनीकी क्षमता से लैस व उपयोगी तकनीकी उपकरण मुहैया कराती हैं।
सॉफ्टवेयर कैसे करता है काम
डॉ. अनुपमा सिंह ने कहा कि इस सॉफ्टवेयर में ऐसा डिवाइस है, जिसे मरीजों के हाथ में पकड़वाने मात्र से उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग हो जाएगी। इसके बाद उनकी आवाज और चेहरे के अलग भावों के जरिए यह पता लगा सकेंगे कि उनमें अवसाद या तनाव कितना है। उन्होंने बताया कि इस सॉफ्टवेयर का परीक्षण सर गंगाराम अस्पताल में भी किया जा रहा है।
स्टार्टअप कंपनियों को जेएनयू दे रहा बढ़ावा
जेएनयू के इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन सेंटर के कोऑर्डिनेटर हेमंत ऋतुराज कुशवाहा ने बताया कि हमारे विश्वविद्यालय में स्टार्टअप कंपनियों को बढ़ावा पर देने पर जोर दिया जा रहा है। पिछले दो महीने में तीन स्टार्टअप कंपनियों की तरफ से जेएनयू के इनक्यूबेटर में काम किया जा रहा है। डॉ. अनुपमा की तरफ से भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक कंपनी सिकोया इनसीलिको स्थापित की गई है। इसी में ही उन्होंने यह सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जिसके जरिए लोगों में मानसिक तनाव और अवसाद का पता लगाया जा सकेगा।
विशेषज्ञों के साथ करेंगे काम
डॉ. हेमंत ने कहा कि हमारे इनक्यूबेटर में अगले एक से दो महीने में आठ और स्टार्टअप कंपनियां शामिल हो जाएंगी। स्वास्थ्य क्षेत्र में इन कंपनियों की ओर से जो भी काम किए जाएंगे या नई तकनीक विकसित की जाएगी। उसे एम्स और अन्य मेडिकल संस्थानों के विशेषज्ञों के साथ भी साझा किया जाएगा। उनकी राय ली जाएगी। उनके साथ मिलकर काम करेंगे।