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शरीर के किसी भी हिस्से का सुन्न पड़ जाना, ब्रेन स्ट्रोक का है लक्षण, पढ़े एक्सपर्ट राय

नई दिल्ली के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. नवदीप कुमार ने बताया कि यदि स्ट्रोक पीड़ित को तीन घंटे की अवधि में चिकित्सा मिल गई तो काफी संभावना रहती है कि उसे भविष्य में होने वाली समस्याओं से बचाया जा सके। इसलिए स्ट्रोक के मामले में देरी ठीक नहीं होती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 03:34 PM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2020 03:41 PM (IST)
शरीर के किसी भी हिस्से का सुन्न पड़ जाना, ब्रेन स्ट्रोक का है लक्षण, पढ़े एक्सपर्ट राय
शरीर के हर अंग का संचालन होता है मस्तिष्क से और स्ट्रोक की समस्या इसमें पैदा कर सकती है परेशानी।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। वैसे तो स्ट्रोक का शिकार पचास वर्ष की उम्र के बाद के लोग होते हैं, लेकिन अब इसके मामले युवाओं में भी देखने को मिल रहे हैं। अचानक होने वाली इस बीमारी का यदि समय पर उपचार कर लिया गया तो काफी संभावना रहती है कि यह पूरी तरह से ठीक हो जाए पर यदि उपचार में देरी हुई तो कई बार यह शरीर के किसी भी अंग की दिव्यांगता का कारण बनता है।

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स्ट्रोक की समस्या दो कारणों से होती है। पहला कारण होता है मस्तिष्क को मिलने वाली आवश्यक रक्त की मात्र में अवरोध आना। इसमें आर्टिलरी फटने के कारण मस्तिष्क के किसी भाग में रक्त का थक्का बनने पर स्ट्रोक आता है। इसे माइनर स्ट्रोक कहते हैं। दूसरी स्थिति में आर्टिलरी के फटने पर अत्यधिक रक्तस्राव होने से स्ट्रोक होता है। इसे मेजर स्ट्रोक कहते हैं। हालांकि मेजर स्ट्रोक की स्थिति में काफी संभावना रहती है कि मरीज के मस्तिष्क की सर्जरी करके समस्या का समाधान किया जाए।

मेडिकल साइंस के अनुसार, स्ट्रोक की दोनों ही स्थितियों का प्रमुख कारण रक्त का गाढ़ा होना है और यह समस्या शरीर में कोलेस्ट्रॉल के संतुलन बिगड़ने पर उत्पन्न होती है। इसलिए जरूरी है कि हमारा आहार सात्विक हो और नियमित व्यायाम को दिनचर्या में प्रमुखता से स्थान दिया जाए।

स्ट्रोक के प्रारंभिक लक्षण

  • बोलने में परेशानी होना
  • देखने में परेशानी होना
  • शरीर का अनियंत्रित होना
  • चेहरे पर कमजोरी आना या टेढ़ा होना
  • शरीर के किसी भी हिस्से का सुन्न पड़ जाना
  • एक तरफ हाथ-पैर का अचानक कमजोर होना

समझें स्ट्रोक का अंतर: स्ट्रोक के अस्सी फीसद मामलों में माइनर स्ट्रोक की समस्या होती है। इसमें मस्तिष्क के किसी भी भाग में रक्त का संचार रुक जाता है और रक्त थक्के के रूप में जमकर प्रवाह में अवरोध उत्पन्न करता है। ऐसे में मस्तिष्क का वह भाग शरीर के जिन अंगों के नियंत्रण का काम करता है, उन्हें करने में असमर्थ हो जाता है। ऐसे मरीजों का उपचार दवाओं व इंजेक्शन से किया जाता है, जबकि मेजर स्ट्रोक में आर्टिलरी फटने के कारण अधिक रक्तस्राव और रक्त जमने की समस्या होती है, जिससे मस्तिष्क का अधिक भाग प्रभावित होता है। इस स्थिति में चिकित्सक सर्जरी द्वारा मस्तिष्क के रक्तस्राव को बंद करते हैं और जमे हुए रक्त को निकालकर मस्तिष्क को पुन: सक्रिय करते हैं। 

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