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राकेश टिकैत बोले किसान आंदोलन और सरकार के बीच छिड़ी है कुश्ती, किसी एक की ही जीत होगी

टिकैत ने कहा कि कोरोना तो साल 2024 तक हर साल आएगा। इसमें हम क्या कर सकते हैं। हम क्या डाक्टर हैं हमारी सरकार है क्या। हमारे हाथ में कुछ नहीं है। हमारे लोगों से जो मदद चाहिए उसके बारे में बताओ। हम तो सेवा कर सकते हैं।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Mon, 24 May 2021 01:30 PM (IST)Updated: Mon, 24 May 2021 01:30 PM (IST)
राकेश टिकैत बोले किसान आंदोलन और सरकार के बीच छिड़ी है कुश्ती, किसी एक की ही जीत होगी
किसान नेता राकेश टिकैत ने तमाम राज्यों में जाकर किसान पंचायतें भी कीं।

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर बीते छह माह में धरना प्रदर्शन चल रहा है। किसानों ने अपनी मांग को मनवाने के लिए 26 जनवरी को दिल्ली के लाल किले पर जो किया वो किसी से छिपा नहीं है। किसानों के 26 जनवरी के काम ने पूरे देश दुनिया में उनकी थू-थू करा दी, इसी के बाद कुछ किसान संगठन धरना प्रदर्शन से अलग हो गए। उसके बाद एक बारगी ऐसा लगा था कि अब आंदोलन खत्म हो जाएगा। मगर फिर भी कुछ नेताओं ने आंदोलन को खत्म नहीं होने दिया। वो उसमें जान फूंकते रहे। दिल्ली-यूपी गेट बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के हालात भी कुछ ऐसे ही बने थे मगर किसान नेता राकेश टिकैत की एक अपील ने यहां के हालात को बदल दिया था। इसी वजह से यहां पर ये आंदोलन अब भी जारी है।

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इसके बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने तमाम राज्यों का दौरा किया और किसानों से आंदोलन को बनाए रखने की अपील की। साथ ही ये भी कहते रहे कि किसानों के घर का एक-एक प्रतिनिधि यहां पहुंचकर आंदोलन को सफल बनाएं। उन्होंने तमाम राज्यों में जाकर किसान पंचायतें भी कीं। अब 26 मई को किसानों के आंदोलन के छह माह पूरे होने जा रहे हैं, ऐसे में वो किसानों से आंदोलन को तेज करने के लिए कह रहे हैं।

उधर रविवार को किसान नेता राकेश टिकैत अंबाला से होते हुए पानीपत में पहुंचे। यहां पर टोल नाके पर आंदोलनकारियों के साथ कुछ वक्त बिताया। इस दौरान पत्रकारों से बात करते हुए टिकैत ने कहा कि कोरोना तो साल 2024 तक हर साल आएगा। इसमें हम क्या कर सकते हैं। हम क्या डाक्टर हैं, हमारी सरकार है क्या। हमारे हाथ में कुछ नहीं है। हमारे लोगों से जो मदद चाहिए, उसके बारे में बताओ। हम तो सेवा कर सकते हैं। किसानों की बात करते हुए उन्होंने कहा कि सब्जी उत्पादक किसान बर्बाद हो रहे हैं, सरकार इनकी मदद करे। टिकैत ने कहा कि कोरोना एक बीमारी है। इसका इलाज अस्पताल में होगा। आंदोलन को बदनाम करने के लिए षडयंत्र रचा जा रहा है। स्थानीय किसान संगठनों के लोगों से मिलने के बाद वह दिल्ली की ओर रवाना हो गए।

बोले अब तो कुश्ती छिड़ गई

टिकैत ने आंदोलन और सरकार के बीच विवाद की कुश्ती से तुलना करते हुए कहा कि यह तो छिड़ गई है। किसी एक की जीत होगी। कानून तो सरकार लेकर आई। उन्होंने कहा कि वो तो कानून को वापस करने की मांग कर रहे हैं। किसानों का भारी समूह भी उनके साथ है। सरकार को किसानों की बात मान लेनी चाहिए, अगले साल चुनाव भी होने वाले हैं। इस आंदोलन का असर उस पर भी दिखाई देगा।

उधर घरौंडा(करनाल) से संवाद सहयोगी से मिली जानकारी के अनुसार तीन कृषि सुधार कानूनों के विरोध में बसताड़ा टोल से हजारों आंदोलनकारियों का काफिला दिल्ली कूच कर गया। एक सप्ताह तक आंदोलनकारी सिंघु बार्डर पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। बसताड़ा टोल पर पहुंचे भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि आंदोलनकारी बातचीत को लेकर तैयार हैं, लेकिन सरकार बात तो करे।

रविवार को प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी के नेतृत्व में आंदोलनकारियों ने बसताड़ा टोल प्लाजा पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। करीब पौने 12 बजे काफिला दिल्ली की तरफ बढ़ गया। किसी तरह की स्थिति से निपटने के लिए पुलिस बल तैनात किया गया था। चढूनी ने कहा कि आंदोलनकारियों की मजबूरी है, लेकिन मुख्यमंत्री की कौन-सी मजबूरी है कि वे उद्घाटन के दौरान भीड़ एकत्रित करें। सरकार के पास न एंबुलेंस, न बेड न अस्पताल। किसान संयुक्त मोर्चा की तरफ से सरकार को खत लिखा गया है कि आंदोलनकारी भी सरकार से बातचीत करने के लिए तैयार हैं।

उधर बहादुरगढ़ (झज्जर) से मिली जानकारी के अनुसार कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के बीच जहां एक तरफ से सरकार से वार्ता का इंतजार है, दूसरी तरफ 26 मई से इस आंदोलन को तेज करने की कोशिशें हो रही हैं। प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आंदोलनकारी जहां सरकार से वार्ता के जरिये मांगें मानकर आंदोलन को खत्म कराने की गुहार लगा चुके हैं, दूसरी तरफ यही लोग अब इस आंदोलन को छह माह पूरे होने पर मजबूत किए जाने की कवायद में जुटे हैं।

काला दिवस मनाने का एलान

तीन दिन बाद जब आंदोलन को छह माह पूरे होंगे, तो इस दिन बार्डरों पर आंदोलनकारियों द्वारा काला दिवस मनाने का एलान किया गया है। काले झंडे लेकर आंदोलनकारी बार्डर पर सभा में जुटेंगे। इस दिन सभी गांवों में दोपहर 12 बजे एक साथ पुतले फूंकने का भी आह्वान किया गया है। साथ ही अगले छह महीने का राशन जुटाने की भी तैयारी है। टीकरी बार्डर पर सभा के मंच पर नजर आने वाले कुछ किसान संगठनों के नेता अब हिसार में मुख्यमंत्री के आगमन के समय पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच हुए टकराव के बाद से उपजे विवाद को लेकर वहां पर सक्रियता दिखा रहे हैं। इधर, आंदोलन के मंच के बीच से विभिन्न संगठनों के नेता 26 मई को बड़ा फैसला लेने पर जोर दे रहे हैं। पिछले दिनों आंदोलनकारियों के तंबुओं का दौरा कर चुके भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत की ओर से भी 26 मई के बाद फैसला लेने के लिए इन आंदोलनकारियों को विश्वास दिलाया गया है।

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संगठनों का युवाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर

टीकरी बार्डर पर मोर्चा लगाए बैठे आंदोलनकारी संगठनों का जोर अब यहां पर युवाओं की भागीदारी बढ़ाने पर है। इस बार्डर पर पंजाब के किसान संगठन भाकियू एकता उगराहा से जुड़े आंदोलनकारियों की तादाद ज्यादा है। इस संगठन की ओर से अपनी सभा भी अलग की जाती है। इसके मंच से लगातार युवाओं से बार्डर पर पहुंचकर आंदोलन को मजबूत किए जाने का आह्वान किया जा रहा है। इस पर कुछ युवा यहां पहुंचे तो हैं, मगर उनकी संख्या उतनी नहीं है, जितनी 26 जनवरी से पहले थी।

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