Farmers Protest: दिल्ली में भाजपा नेता गांवों में जाकर किसानों को करेंगे जागरूक, लगेगी चौपाल, होगा सम्मेलन
भाजपा नेताओं का कहना है कि पहले भी राजधानी के गांवों में जागरूकता अभियान चलाया गया था जिसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं। यहां के किसान कानून के समर्थन में हैं और विरोधी दलों के गुमराह करने के बावजूद वे आंदोलन में शामिल नहीं हुए।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन को देखते हुए भाजपा नेता अब गांवों में डेरा डालेंगे। विशेष अभियान चलाकर दिल्ली के किसानों को नए कानूनों को लेकर हो रहे दुष्प्रचार से सचेत करेंगे। उन्हें यह बताया जाएगा कि किस तरह से कुछ राजनीतिक पार्टियां और वामपंथी संगठन भ्रम फैलाकर दिल्ली और देश का माहौल खराब करना चाह रहे हैं। उनसे पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में रहने वाले अपने रिश्तेदारों को जागरूक करने की अपील की जाएगी। किसानों के साथ ही सिखों के बीच भी भाजपा नेता व कार्यकर्ता जाकर उनसे संवाद करेंगे।
किसानों और केंद्र सरकार के साथ कई दौर की वार्ता होने के बावजूद अब तक गतिरोध दूर नहीं हुआ है। राजधानी की सीमाओं पर किसानों का धरना जारी है। उन्हें समझाकर आंदोलन खत्म करने के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास चल रहे हैं। इसके साथ ही भाजपा भी अपने स्तर पर विशेष अभियान शुरू कर रही है। ग्रामीण इलाके में किसान सम्मेलन, चौपाल बैठक सहित कई जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। मंगलवार से इसकी शुरुआत हो गई है। पहले दिन नजफगढ़ में किसान सम्मेलन आयोजित किया गया।
पहले चरण में 15 से 18 दिसंबर तक अभियान चलेगा। इस दौरान दिल्ली देहात में 16 किसान सम्मेलन, छह मंडियों में सम्मेलन, 82 चौपाल बैठकें करने की तैयारी है। किसानों का दल केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलकर नए कृषि कानून बनाने के लिए उनका आभार भी जताएगा।
भाजपा नेताओं का कहना है कि पहले भी राजधानी के गांवों में जागरूकता अभियान चलाया गया था, जिसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं। यहां के किसान कानून के समर्थन में हैं और विरोधी दलों के गुमराह करने के बावजूद वे आंदोलन में शामिल नहीं हुए। भारत बंद का भी यहां के लोगों ने समर्थन नहीं किया है। इसके लिए भाजपा नेता किसानों के बीच जाकर उनका धन्यवाद करेंगे। बिधूड़ी का कहना है कि केंद्र सरकार आंदोलनकारी किसानों की महत्वपूर्ण मांगों को मानकर कानून में संशोधन करने के लिए तैयार है, बावजूद इसके कुछ राजनीतिक पार्टियां और संगठन आंदोलन खत्म नहीं होने देना चाहते हैं। इन लोगों की हकीकत भी जनता को बताने की जरूरत है। यहां के किसानों की रिश्तेदारी पंजाब व अन्य राज्यों में भी है। इनके सहयोग से दूसरे राज्यों के किसानों को भी गुमराह होने से बचाया जाएगा। मंडी में आने वाले बाहर के किसानों को भी जागरूक किया जाएगा।
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