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केजरीवाल की विश्वसनीयता खत्म हो चुकी, उन्हें कोई गंभीरता से नहीं लेता: श्याम जाजू

दिल्ली का चुनावी मिजाज भाजपा की रणनीति चुनावी मुद्दे विरोधियों के आरोपों को लेकर पार्टी के दिल्ली के प्रभारी श्याम जाजू से संतोष कुमार सिंह ने बातचीत की।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 09 May 2019 02:16 PM (IST)Updated: Thu, 09 May 2019 02:16 PM (IST)
केजरीवाल की विश्वसनीयता खत्म हो चुकी, उन्हें कोई गंभीरता से नहीं लेता: श्याम जाजू
केजरीवाल की विश्वसनीयता खत्म हो चुकी, उन्हें कोई गंभीरता से नहीं लेता: श्याम जाजू

नई दिल्ली। चुनाव प्रचार अपने शबाब पर है। सभी पार्टियां जीत के दावे कर रही हैं। एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। ऐसे में दिल्ली का चुनावी मिजाज, भाजपा की रणनीति व स्थिति, चुनावी मुद्दे, विरोधियों के आरोपों को लेकर पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और दिल्ली के प्रभारी श्याम जाजू से संतोष कुमार सिंह ने विस्तार से बातचीत की है। पेश हैं प्रमुख अंश:

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दिल्ली का चुनावी मिजाज किस ओर जा रहा है?
नरेंद्र मोदी को लोग पिछले चुनाव में गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर जानते थे। इस चुनाव में उनकी पहचान एक मजबूत प्रधानमंत्री की है। उन्होंने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, उसके आधार पर लोग उन्हें फिर से प्रधानमंत्री बनाने के लिए अपना समर्थन दे रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने दिल्ली की सातों सीटों पर जीत हासिल की थी। दिल्ली भाजपा का गढ़ है। नगर निगम चुनाव भी हम जीते हैं।'

केंद्र सरकार ने पांच वर्षो में दिल्ली के विकास के लिए अबतक सबसे ज्यादा फंड दिया है। प्रधानमंत्री दिल्ली को विश्वस्तरीय राजधानी बनाना चाहते हैं। इस दिशा में कई काम भी हुए हैं। दिल्ली को जाम व प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए कई सड़कें बनी हैं। मोदी सरकार और सांसदों के काम और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति और कार्यकर्ताओं की मेहनत से हम पिछली बार से ज्यादा मतों से सातों सीटें जीतेंगे।

मुकाबला आम आदमी पार्टी (आप) से है या कांग्रेस से?
आप लोगों की नजरों से उतर गई है। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें लाने वाली आप शून्य सीट वाली कांग्रेस से गठबंधन के लिए परेशान रही। अपनी सियासी बदहाली से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हताश हैं, इसलिए हमारा मुकाबला कांग्रेस से है।

शीला दीक्षित, अजय माकन, विजेंदर सिंह के चुनाव मैदान में उतरने से परेशानी तो बढ़ गई है?
बिल्कुल नहीं। बड़े कद के नेताओं से जीत नहीं मिलती है। कार्यकर्ताओं की मेहनत और जनमानस से चुनाव परिणाम प्रभावित होते हैं। दिल्ली सहित पूरे देश ने कांग्रेस को नकार दिया है। उनका चुनावी घोषणा पत्र व नेताओं का व्यवहार हिंदू विरोधी है।

मोदी को कोई मुस्लिम विरोधी साबित नहीं कर सकता है। कांग्रेस जवानों का मनोबल तोड़ रही है। जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाने का विरोध और दो प्रधानमंत्री की मांग का समर्थन कर रही है। यह आतंकवाद का समर्थन करने जैसा है।

सांसदों के प्रति नाराजगी और नए उम्मीदवारों की कार्यकर्ताओं से दूरी जीत में कितनी बड़ी बाधा है?
हमने सोच समझकर प्रत्याशियों का चयन किया है। भाजपा के दो नए प्रत्याशी गौतम गंभीर क्रिकेट और हंसराज हंस संगीत की दुनिया के कामयाब चेहरे हैं। भाजपा शुरू से ही अलग-अलग क्षेत्रों में कीर्तिमान स्थापित करने वालों को राजनीति में लाने की पक्षधर रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह चुनाव मोदी समर्थकों और मोदी विरोधियों के बीच हो रहा है।

चुनाव का मुद्दा क्या है विकास, राष्ट्रवाद या भ्रष्टाचार?
चुनाव का मुद्दा विकास है और उसके साथ ही किसी की इच्छा हो या नहीं राष्ट्रवाद भी मुद्दा बन गया है। पुलवामा हमले के बाद एयर स्ट्राइक होने से जवानों को लेकर देशवासियों में भावना जागी है। लोग यह समझ रहे हैं कि आजादी के बाद देश को पहली बार पाकिस्तान को जवाब देने वाला मजबूत प्रधानमंत्री मिला है।

आप का आरोप है कि मोदी और शाह मिलकर केजरीवाल पर हमला करवा रहे हैं?
हास्यास्पद है। भाजपा हिंसा में विश्वास नहीं करती है। किसी मुख्यमंत्री पर नौ-दस बार हमला होना सवाल खड़े करता है। चुनाव के समय जनता की सहानुभूति बटोरने के लिए मिलीभगत से इस तरह के हमले कराए जाते हैं। इसकी जांच होनी चाहिए। आखिर मुख्यमंत्री पर पहले हुए हमले के आरोपितों को क्यों छोड़ दिया गया? केजरीवाल की विश्वसनीयता पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। उन्हें अब कोई गंभीरता से नहीं लेता है।

आप के दो विधायक भाजपा में शामिल हो गए हैं। आप नेता हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप लगा रहे हैं?
राजनीति में मत परिवर्तन होना आम बात है। केजरीवाल अपने विधायकों को संभाल नहीं पा रहे हैं। वह जनप्रतिनिधियों के साथ गलत व्यवहार करते हैं। उन्हें बताना चाहिए कि क्या उनके विधायक बिकाऊ हैं? सच्चाई यह है कि उनके व्यवहार से विधायक आहत हैं और आत्मसम्मान के लिए पार्टी छोड़ रहे हैं। अभी तो शुरुआत है। विधानसभा चुनाव आते-आते इनके अधिकांश विधायक व नेता इनसे दूर चले जाएंगे।

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