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क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव-2020 में AAP को एक भी सीट नहीं मिलेगी?

विधानसभा चुनाव में मात्र तीन सीटों पर सिमट गई भाजपा को लोकसभा चुनाव में सातों सीटों पर भारी अंतर से जीत मिली है लेकिन भाजपा को मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में नुकसान हुआ है।

By Edited By: Published: Fri, 24 May 2019 10:52 PM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 12:32 PM (IST)
क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव-2020 में AAP को एक भी सीट नहीं मिलेगी?
क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव-2020 में AAP को एक भी सीट नहीं मिलेगी?

नई दिल्ली (संतोष कुमार सिंह)। लोकसभा और विधानसभा चुनाव के मुद्दे और चेहरे अलग होते हैं, इसलिए दोनों के परिणाम भी अलग देखने को मिलते हैं। इसके बावजूद यदि इसे लोकसभा चुनाव परिणाम के आईने में विधानसभा के नजरिये से देखें तो 65 विधानसभा क्षेत्रों में जहां भाजपा ने दम दिखाया, वहीं पांच पर कांग्रेस आगे रही है। वहीं 70 में से 67 सीटें जीतकर दिल्ली की सत्ता संभाल रही आम आदमी पार्टी (AAP) एक भी सीट जीतने में नाकाम रही है।

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विधानसभा चुनाव में मात्र तीन सीटों पर सिमट गई भाजपा को लोकसभा चुनाव में सातों सीटों पर भारी अंतर से जीत मिली है। भाजपा को मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में नुकसान हुआ है। चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र के चांदनी चौक, मटिया महल और बल्लीमरान विधानसभा क्षेत्र में पार्टी दूसरे नंबर पर रही है। इन तीनों सीटों पर कांग्रेस बढत बनाने में सफल रही है।

इसी तरह से पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र के ओखला में और उत्तर-पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के सीलमपुर विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा को बढ़त नहीं मिली। इन दोनों सीटों पर भी कांग्रेस का दबदबा रहा। ओखला में कांग्रेस के अर¨वदर ¨सह लवली को 5688 मतों से बढ़त मिली है।

वहीं, सीलमपुर में कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी से 27,609 मतों से आगे रहीं।

62 विस क्षेत्रों में AAP व कांग्रेस के कुल मतों से ज्यादा वोट भाजपा को मिले
आम आदमी पार्टी व कांग्रेस के बीच गठबंधन होने के बावजूद भाजपा दिल्ली की सातों सीटों पर जीत हासिल कर सकती थी। सभी संसदीय सीटों पर दोनों के कुल मतों से ज्यादा भाजपा प्रत्याशियों को वोट मिले हैं। बात अगर विधानसभा क्षेत्रों की करें तो इसमें भी पांच सीटों पर दूसरे नंबर पर आने के बाद सिर्फ तीन विधानसभा क्षेत्रों में ही भाजपा के साथ किसी दल का नजदीकी मुकाबला रहा।

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में आने वाले बाबरपुर व मुस्तफाबाद जैसे मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भाजपा आगे तो रही, लेकिन कांग्रेस से उसे जोरदार टक्कर मिली है। इसी तरह से उत्तर पश्चिमी दिल्ली के सुल्तानपुर माजरा में भी कांग्रेस ने भाजपा को टक्कर देने की कोशिश की।

47 विस क्षेत्रों में AAP तो 23 में कांग्रेस तीसरे नंबर पर
कांग्रेस ने इस चुनाव में अपने मत फीसद में सुधार किया है। पार्टी को 2014 के लोकसभा चुनाव में 15 तो विधानसभा चुनाव में दस फीसद से भी कम मत मिले थे, जबकि इस लोकसभा चुनाव में उसे 22.5 फीसद मत मिले हैं, वहीं AAP को 18 फीसद मत मिले हैं। यही नहीं कांग्रेस 42 विधानसभा क्षेत्रों में दूसरे स्थान पर रही है।

AAP 47 विधानसभा क्षेत्रों में तीसरे नंबर पर पिछड़ गई है, जबकि 23 में वह दूसरे स्थान पर रही। हालांकि, दक्षिणी दिल्ली संसदीय क्षेत्र में आने वाले सभी दसों विधानसभा क्षेत्रों में वह दूसरे नंबर पर रही है। इस तरह के चुनाव परिणाम से भाजपा नेता उत्साहित हैं। उन्हें उम्मीद है कि कुछ माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में भी भाजपा का कमोबेश ऐसा ही प्रदर्शन होगा। दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी 60 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं।

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