'क्या दिल्ली में शुगर तक के इलाज की सुविधा नहीं', केजरीवाल के बेंगलुरु जाने पर BJP ने घेरा
अकाली-भाजपा गठबंधन के विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने दिल्ली में कई स्थानों पर पोस्टर व होर्डिंग लगाकर मुख्यमंत्री व उनकी सरकार पर तंज कसा है।
नई दिल्ली (संतोष कुमार सिंह)। अधिकारियों से विवाद खत्म करने की मांग को लेकर नौ दिन तक धरना देने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब शुगर का इलाज कराने के लिए बेंगलुरु चले गए हैं। इसको लेकर दिल्ली में नया विवाद खड़ा हो गया है। उनके इलाज के बहाने विपक्ष ने दिल्ली की स्वास्थ्य सुविधाओं को कठघरे में खड़ा किया है। उसके मुताबिक जब दिल्ली के अस्पतालों में शुगर तक के इलाज की सुविधा नहीं है तो स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को तत्काल अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।
दिल्ली को धोखा दे रहे हैं केजरीवालः विपक्ष
मुख्यमंत्री के अवकाश पर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे दिल्लीवासियों के साथ धोखा करार दिया है। उसके मुताबिक दिल्ली के लोग भयंकर जल संकट से गुजर रहे हैं और जल विभाग की जिम्मेदारी खुद मुख्यमंत्री के पास है। ऐसे में उनके अवकाश पर जाने से स्पष्ट है कि वह लोगों की परेशानी को लेकर गंभीर नहीं हैं। कहने को तो उन्होंने दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों संग बैठक कर उन्हें रोजाना रिपोर्ट देने को कहा है, लेकिन यह सिर्फ खानापूरी है। जब सीएम अवकाश पर हैं तो फिर रोजाना रिपोर्ट का लाभ क्या है।
अकाली-भाजपा गठबंधन के विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने दिल्ली में कई स्थानों पर पोस्टर व होर्डिंग लगाकर मुख्यमंत्री व उनकी सरकार पर तंज कसा है। सिरसा का कहना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दिल्लीवासियों की समस्याएं हल करने के बजाय काम में बाधा डालते हैं।
अकाली-भाजपा विधायक ने कहा कि पहले उन्होंने नौ दिनों तक राजनिवास में धरना देकर दिल्ली का प्रशासनिक काम ठप रखा और अब शहर से बाहर चले गए हैं। केजरीवाल सरकार एक नौटंकी पार्टी की तरह काम कर रही है। इसलिए पोस्टर में इसे 9 दिन नौटंकी कंपनी प्राइवेट लिमिटेड बताया गया है।
वहीं, विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि इलाज के लिए मुख्यमंत्री के बेंगलुरु जाने से स्पष्ट है कि दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाएं दुरुस्त नहीं हैं।
उधर, पूर्व जल मंत्री व आम आदमी पार्टी (AAP) के नाराज विधायक कपिल मिश्रा का कहना है कि नौ दिन के धरने के बाद दस दिन की मुख्यमंत्री की छुट्टी को न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता है। एलजी ने उन्हें अधिकारियों के साथ बैठक करके मतभेद दूर करने को कहा था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
उन्होंने दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था पर तंज कसते हुए कहा कि यदि सीएम का शुगर का इलाज नहीं हो सकता है तो यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है।
सरकारी सहायता प्राप्त अस्पतालों का ऑडिट कराएगी दिल्ली सरकार
सरकारी सहायता प्राप्त आठ अस्पतालों की सेवाओं का दिल्ली सरकार मूल्यांकन कराएगी। इसके लिए केंद्र सरकार के भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आइआइपीएम) की सेवाएं ली जाएंगी। यह निर्णय गुरुवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। जानकारी के मुताबिक यह निर्णय हाई कोर्ट के एक आदेश की अनुपालना के क्रम में लिया गया है। आइआइपीएम की सेवाएं लेने के लिए उपराज्यपाल की मंजूरी भी ली जाएगी।
इनमें राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, जनकपुरी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, दिल्ली राज्य कैंसर अस्पताल, आइएलबीएस, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय, चौधरी ब्रह्प्रमकाश आयुर्वेदिक एवम चरक संस्थान, मौलाना आजाद इंस्टीटयूट ऑफ डेंटल साइंसेज और मानव व्यवहार एवं संबद्ध संस्थान के नाम शामिल हैं।
मंत्रिमंडल की बैठक में खतरनाक औद्योगिक कचरे के निपटान के लिए बवाना में एक शोधन, भंडारण और निस्तारण संयंत्र लगाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई। यह संयंत्र पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर 14 एकड़ में लगाया जाएगा। इसके अलावा दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को 1.95 करोड रुपये का अतिरिक्त अनुदान देने की मंजूरी दी गई। यह अनुदान हरित कर के रूप में एकत्रित धनराशि से दिया जाएगा।