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दिल्ली में देखिए दुनिया की सबसे बड़ी गीता, पीएम मोदी आज करेंगे अनावरण

भगवान श्रीकृष्ण के संदेशों को विश्वभर में प्रसारित करने के उद्देश्य से तैयार इस ग्रंथ का अनावरण मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।

By Edited By: Published: Sat, 23 Feb 2019 10:27 PM (IST)Updated: Tue, 26 Feb 2019 08:17 AM (IST)
दिल्ली में देखिए दुनिया की सबसे बड़ी गीता, पीएम मोदी आज करेंगे अनावरण
दिल्ली में देखिए दुनिया की सबसे बड़ी गीता, पीएम मोदी आज करेंगे अनावरण

नई दिल्ली, जेएनएन। महाभारत युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र के मैदान में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का संकलन श्रीमद्भागवत गीता दुनिया का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला पवित्र ग्रंथ है। दुनिया को कर्म व पुरुषार्थ की प्रधानता बताने वाले इस ग्रंथ का सबसे बड़ा संस्करण अब ईस्ट ऑफ कैलाश स्थित इस्कॉन मंदिर में देखने को मिलेगा।

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भगवान श्रीकृष्ण के संदेशों को विश्वभर में प्रसारित करने के उद्देश्य से तैयार इस ग्रंथ का अनावरण मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। विश्व की इस सबसे बड़ी गीता को बनाने में करीब डेढ़ करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इसे इटली के इस्कॉन में बनाया गया है।

पिछले साल 11 नवंबर को इसे पहली बार इटली में प्रदर्शित किया गया था। इस्कॉन के राष्ट्रीय संचार निदेशक बृजेंद्र नंदन दास ने बताया कि अनावरण के दौरान इस्कॉन इंडिया के ब्यूरो चेयरमैन गोपाल कृष्णा गोस्वामी महाराज भी मौजूद रहेंगे।

समुद्र मार्ग से इटली से लाई गई दिल्ली
इटली में बनी गीता को समुद्र मार्ग से मुंद्रा (गुजरात) फिर 20 जनवरी को दिल्ली लाया गया। इसे रखने के लिए दो टन का हाइड्रोलिक स्टैंड बनाया गया है। इसके कवर पेज को बनाने के लिए सैटेलाइट के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कार्बन फाइबर का इस्तेमाल हुआ है।

इसे इटैलियन यूपो सिंथेटिक पेपर से बनाया गया जो वाटरप्रूफ होने के साथ काफी मजबूत भी होता है। इस गीता का वजन 800 किलोग्राम है। इसका एक पन्ना पलटने के लिए चार लोग लगते हैं।

इसे रखने के लिए दो टन का हाइड्रोलिक स्टैंड बनाया गया है। कुल 670 पृष्ठों वाली यह गीता 12 फीट लंबी और नौ फीट चौड़ी है। इसे बनाने में ढाई साल लगे हैं। इसके पन्नों को जोड़ने के लिए जापानी बाइंडिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।

इस्कॉन के संस्थापक आचार्य श्रील भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने गीता प्रचार के 50 साल पूरे करने के उपलक्ष्य में इसे बनवाया है। बताया जा रहा है कि 2020 के बाद कुरुक्षेत्र में बन रहे श्रीकृष्ण-अर्जुन मंदिर में इसे स्थापित किया जा सकता है।


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