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आप के सर्वे पर सवाल, विधायकों से नाराज है जनता तो लोकसभा में बंपर जीत कैसे

आप को 2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद से अब तक सभी चुनाव में बुरी तरह हार झेलनी पड़ी है। आप विधायक कपिल मिश्रा पहले ही सर्वे को फर्जी बता चुके हैं।

By Amit SinghEdited By: Published: Wed, 22 Aug 2018 03:37 PM (IST)Updated: Wed, 22 Aug 2018 03:37 PM (IST)
आप के सर्वे पर सवाल, विधायकों से नाराज है जनता तो लोकसभा में बंपर जीत कैसे
आप के सर्वे पर सवाल, विधायकों से नाराज है जनता तो लोकसभा में बंपर जीत कैसे

नई दिल्ली (जेएनएन)। आम आदमी पार्टी (आप) का इंटरनल सर्वे इन दिनों चर्चा में है। आप विधायक कपिल मिश्रा पहले ही सर्वे पर सवाल उठा चुके हैं। अब पार्टी ने सर्वे की दूसरी रिपोर्ट सार्वजनिक कर खुद अपने सर्वे पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दूसरे सर्वे में पार्टी ने दावा किया है कि दिल्ली की जनता उनके 40 विधायकों से नाराज है और मात्र 13 विधायकों के कामकाज से ही खुश है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अगर जनता विधायकों के कामकाज से खुश नहीं है तो पार्टी किस सर्वे के आधार पर आगामी लोकसभा चुनावों में दिल्ली में बंपर जीत का दावा कर रही है।

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मालूम हो कि आप का एक इंटरनल सर्वे कुछ दिन पहले भी सामने आया था। आप का दावा है कि उसने दिल्ली में बूथ स्तर पर सर्वे कराकर लोकसभा चुनाव के लिए जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की है। सर्वे के दौरान लोगों को यह नहीं बताया गया कि यह पार्टी के लिए किया जा रहा है।

सर्वे में आप ने दावा किया कि आगामी लोकसभा चुनाव में उसे चार सीट पर जीत मिलेगी। शेष तीन सीटों पर भी आप का भाजपा से कड़ा मुकाबला होगा। पार्टी का दावा है कि कांग्रेस को आगामी लोकसभा चुनाव में दिल्ली की एक भी लोकसभा सीट नहीं मिलेगी। सर्वे के मुताबिक आप को लोकसभा चुनाव में 46 फीसद वोट, भाजपा को 36 फीसद और कांग्रेस को मात्र नौ फीसद वोट मिल रहे हैं।

बुधवार को आप का एक और इंटरनल सर्वे सामने आया है। दावा किया जा रहा है कि ये सर्वे जुलाई माह में किया गया था। इस सर्वे में दावा किया गया है कि दिल्ली की जनता आप के 40 विधायकों से नाराज है। दिल्लीवासी महज 13 विधायकों के कामकाज से ही खुश या संतुष्ट हैं। पार्टी का दावा है कि ये सर्वे विधायकों की परफॉर्मेंस जानने के लिए किया गया था। सर्वे में आप के मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड भी बहुत अच्छा नहीं है।

आप के इस दूसरे सर्वे के परिणामों ने कुछ दिन पहले जारी किए गए सर्वे पर सवाल खड़ा कर दिए हैं। अब लोग सवाल पूछ रहे हैं कि जब दिल्ली की जनता आप के विधायकों से खुश ही नहीं है तो उसे लोकसभा चुनावों में बंपर जीत कैसे हासिल हो रही है। चर्चा है कि लोकसभा चुनावों संबंधी सर्वे की रिपोर्ट आप ने कांग्रेस से खीज निकालने के लिए तैयार की है।

दरअसल आप लोकसभा चुनावों में कांग्रेस से गठबंधन करना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें ठेंगा दिखा दिया था। दूसरे सर्वे रिपोर्ट के बाद लोगों ने कहना शुरू कर दिया है कि पुराने साथियों को परेशान कर पार्टी से बाहर जाने को मजबूर करने वाले अरविंद केजरीवाल अब इस फर्जी सर्वे के जरिए कुछ मौजूद विधायकों और मंत्रियों को भी साइड लाइन करने की तैयारी में है।

भाजपा और कांग्रेस ने मजाक में उड़ा दिया था सर्वे

आप द्वारा कुछ दिन पहले जारी किए लोकसभा चुनाव संबंधी सर्वे को भाजपा और कांग्रेस ने भी मजाक में उड़ा दिया था। दिल्ली के भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने तंज कसते हुए कहा था कि आप सभी सात लोकसभा सीट जीतेंगे। वहीं कांग्रेस ने भी आप के इस सर्वे को फर्जी बताया था। सर्वे पर सबसे ज्यादा सवाल खुद आप के विधायक और पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने खड़े किए थे। उन्होंने भी सर्वे को फर्जी घोषित कर दिया था।

कपिल मिश्रा ने कहा था कि केजरीवाल किसी भी चुनाव से पहले ऐसे सर्वे जारी करवाते हैं। पंजाब व गोवा विधानसभा चुनाव से पहले भी जीत के सर्वे जारी किए गए थे। वर्ष 2016 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में आप ने दावा किया था वह चुनाव जीत रही है, लेकिन उसकी हार हुई। यह सर्वे केजरीवाल की चाल है। यदि सर्वे में सच्चाई है, तो केजरीवाल सार्वजनिक करें कि किस एजेंसी से सर्वे कराया गया और कितने लोग शामिल किए गए।

2015 के बाद से लगातार हार रही आप

वर्ष 2012 में आप के गठन के बाद से दिल्ली की राजनीतिक स्थिति का आंकलन करें तो 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार चुनावी मैदान में आई आम आदमी पार्टी को 29.49 फीसद वोट मिले थे। इसके बाद 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप का वोटिंग फीसद 25 से बढ़ कर 54.3 हो गया। जमीनी हकीकत यह है कि 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद से अब तक सभी चुनावों में उसकी बुरी तरह हार हुई है।

इसके बाद दिल्ली नगर निगम में आप दूसरे स्थान पर रही है और कांग्रेस तीसरे स्थान पर चली गई है। नगर निगम में आप को 45 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस को केवल 30 सीटें मिलीं। इसके अलावा आप ने केवल बवाना विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल की थी। ऐसे में आप द्वारा आगामी लोकसभा चुनाव के लिए किए जा रहे जीत के दावे पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

अन्य राज्यों में भी आप को हार का मुंह देखना पड़ा

दिल्ली में फरवरी 2015 में पूर्ण बहुमत से काबिज आम आदमी पार्टी (आप) ने 2017 में मेघालय की 60 विधानसभा सीटों में से 35 पर चुनाव लड़ा था। पार्टी ने नागालैंड में विधानसभा की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही थी। कपिल की मानें तो आप मेघालय में केवल छह सीटों पर ही प्रत्याशी उतार सकी। सभी सीटों को मिलाकर 1140 वोट मिले। इससे अधिक नोटा पर वोट पड़े थे। नगालैंड में भी आप को 7355 वोट मिले थे।

इससे पहले 27 फरवरी 2018 को पंजाब के लुधियाना में नगर निगम के 95 वार्ड के हुए चुनाव में भी आप औंधे मुंह गिरी थी। आप को केवल एक सीट पर जीत मिली थी। नवंबर 2017 में हुए उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव के समय भी आप हार गई। गुजरात विधानसभा चुनाव में भी आप को एक भी सीट नहीं मिली थी। इससे पहले आप पंजाब विधानसभा चुना हार चुकी है। गोवा विधानसभा चुनाव में आप की सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी।


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