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शाहबेरी हादसे में खुलासाः जिला पंचायत से नक्शे पास करा किया गुमराह, चली गई 9 लोगों की जान

प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र के गांवों में जिला पंचायत को भवनों का नक्शा पास करने का अधिकार नहीं था। बावजूद इसके दो सौ से अधिक भवनों के नक्शे पास कराए गए।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 21 Jul 2018 08:55 AM (IST)Updated: Sat, 21 Jul 2018 09:22 AM (IST)
शाहबेरी हादसे में खुलासाः जिला पंचायत से नक्शे पास करा किया गुमराह, चली गई 9 लोगों की जान
शाहबेरी हादसे में खुलासाः जिला पंचायत से नक्शे पास करा किया गुमराह, चली गई 9 लोगों की जान

नोएडा (धर्मेंद्र चंदेल)। ग्रेटर नोएडा वेस्ट के शाहबेरी समेत कई गांवों में कालोनाइजर और बिल्डर किसानों से सस्ती दर पर जमीन खरीदकर फ्लैट बना रहे हैं। प्राधिकरण से इनका नक्शा पास नहीं कराया जाता। फ्लैट खरीदारों को अपने जाल में फंसाने के लिए कालोनाइजरों और बिल्डरों ने जिला पंचायत से इमारतों का नक्शा पास कराकर खरीदारों को गुमराह किया। जबकि, प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र के गांवों में जिला पंचायत को भवनों का नक्शा पास करने का अधिकार नहीं था। 2007 से 2014 तक जिला पंचायत से दो सौ से अधिक भवनों के नक्शे पास कराए गए। इसी वजह से खरीदार आसानी से बिल्डरों और कालोनाइजरों के जाल में फंसकर अपनी जीवन भर की गाढ़ी कमाई को गंवा बैठे।

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गांवों के जमीन प्राधिकरण किसानों की आबादी का अधिग्रहण नहीं करता। लाल डोरे के अंदर काफी जमीन छोड़ दी जाती है। लाल डोरे के बाहर भी किसानों की आबादी छोड़ी गई। शाहबेरी गांव में सारी जमीन का अधिग्रहण रद हो गया था। इसका फायदा बिल्डर और कालोनाइजरों ने उठाया। बगल में प्राधिकरण के विकसित सेक्टर होने की वजह से गांव की लाल डोरे की जमीन की कीमत भी बढ़ गई।

नियमानुसार किसानों की आबादी की जमीन पर आवासीय के लिए ढाई मंजिला इमारत बनाने का प्रावधान है। इससे अधिक इमारत बनाना अवैध है। बिल्डरों और कालोनाइजरों ने शाहबेरी समेत कई गांवों में किसानों से औने-पौने दामों पर जमीन खरीद कर फ्लैट बना दिए।

शुरूआती दौर में आठ वर्ष पहले जब इन्हें बेचने की बारी आई तो लोगों ने नक्शा पास न होने की बात कहकर फ्लैटों को खरीदने से इंकार कर दिया। इसके बाद बिल्डर और कालोनाइजरों ने जिला पंचायत से भवनों का नक्शा पास कराने का रास्ता निकाला। जिला पंचायत को ग्रामीण क्षेत्र में भवनों के नक्शा पास करने का अधिकार है, लेकिन प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र के गांवों में नक्शा पास करने का अधिकार नहीं है।

इसी विवाद से जनपद में समाप्त हुई जिला पंचायत
नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने अवैध इमारतों का जिला पंचायत से नक्शा पास करने का कड़ा विरोध किया। जिला पंचायत से भवनों का नक्शा पास होने से प्राधिकरण का नियोजन गड़बड़ाने लगे। दोनों प्राधिकरणों ने शासन पर दबाव बनाकर गौतमबुद्धनगर की जिला पंचायत व्यवस्था को समाप्त कर दिया। इसीलिए जिले में प्रधानी, बीडीसी सदस्य व जिला पंचायत सदस्य के चुनाव नहीं हुए। प्रदेश में गौतमबुद्धनगर अकेला ऐसा जनपद है, जिसमें जिला पंचायत चेयरमैन नहीं बना है।

इमारतों के निर्माण में मानकों की अनदेखी
शाहबेरी में बनी खूबसूरत इमारतें मजबूती में उतनी की खोखली है। बिल्डरों ने कम लागत में फ्लैट तैयार कर अधिक से अधिक मुनाफा कमाने के लालच में भवन निर्माण के मानकों को पूरी तरह से धज्जियां उड़ाई हैं। छह-सात मंजिला इमारतों को कमजोर नींव पर खड़ा कर दिया है। बिल्डरों ने बिजली के ढांचे तक की छज्जे में चिनाई कर दी है। जो लोगों के लिए बेहद खतरनाक है। बहुमंजिला इमारत के निर्माण के लिए बिल्डरों ने नींव की गहराई भी पर्याप्त नहीं रखी। मात्र तीन से चार फीसद के पिलर बनाकर नींव तैयार कर दी। शाहबेरी हरनंदी के डूब क्षेत्र का इलाका रहा है। इसलिए वहां की मिट्टी भुरभुरी है। इमारत की मजबूती के लिए गहरी नींव के साथ बेसमेंट में लोहे का जाल लगाने की जरूरत थी। बिल्डरों ने इस पहलू की भी पूरी तरह से अनदेखी की। इमारत निर्माण में हर जगह बिल्डरों का ध्यान लागत कम रखने पर ही लगा रहा। इमारत में लगाई गई सरिया का व्यास भी काफी कम हैं। बहुमंजिला इमारत जिन पिलर पर खड़ी हैं, वह भी काफी कमजोर हैं। सीढ़ियां भी काफी संकरी हैं।


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