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फिदायीन हमलावरों को चित करेगा ये दस्ता, लादेन पर हमले के दौरान निभाई थी बड़ी भूमिका

अमेरिका ने पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन पर हमले के दौरान खास प्रजाति के श्वान की मदद ली थी। व्हाइट हाउस की सुरक्षा के लिए अमेरिका का खुफिया विभाग इसी नस्ल के श्वान की मदद लेता है।

By Amit MishraEdited By: Published: Tue, 17 Jul 2018 10:25 PM (IST)Updated: Wed, 18 Jul 2018 06:00 AM (IST)
फिदायीन हमलावरों को चित करेगा ये दस्ता, लादेन पर हमले के दौरान निभाई थी बड़ी भूमिका
फिदायीन हमलावरों को चित करेगा ये दस्ता, लादेन पर हमले के दौरान निभाई थी बड़ी भूमिका

नई दिल्ली (संतोष शर्मा)। अतिसंवेदनशील आइजीआइ एयरपोर्ट और दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती है। खुफिया विभाग को इन स्थानों पर फिदायीन हमले के इनपुट अक्सर मिलते रहते हैैं। फिदायीन हमलावर अपने मंसूबे में सफल न हो इसके मद्देनजर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) अपने श्वान दस्ते में खास प्रजाति के श्वान (डॉग) को शामिल करने की योजना बना रहा है।

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भारत का पहला अर्धसैैनिक बल 

बेल्जियन मालिंस प्रजाति के ये श्वान खासे आक्रामक होते हैं। अधिकारियों को उम्मीद है कि यह श्वान दस्ता चंद मिनट में फिदायीन को चित कर देगा। पहले चरण में इन श्वानों को प्रशिक्षित कर आइजीआइ एयरपोर्ट सहित मेट्रो के प्रमुख स्टेशनों पर तैनात किया जाएगा। इसके बाद सीआइएसएफ इस मालिंस प्रजाति के श्वान को अपने बेड़े में शामिल करने वाला भारत का पहला अर्धसैैनिक बल बन जाएगा। मालूम हो कि अमेरिका ने पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन पर हमले के दौरान इसी प्रजाति के श्वान की मदद ली थी।

एयरपोर्ट और दिल्ली मेट्रो आतंकियों के निशाने पर 

दरअसल, आइजीआइ एयरपोर्ट और दिल्ली मेट्रो आतंकियों के निशाने पर है। इन दोनों स्थानों पर सीआइएसएफ की तैनाती है। संवेदनशील होने के कारण सुरक्षा बल इसकी सुरक्षा में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इसके मद्देनजर बल द्वारा इन दोनों स्थानों पर श्वान दस्ते तैनात किए गए हैैं। सीआइएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में बल के श्वान दस्ते में प्रमुख रूप से लैब्राडॉग, जर्मन शेफर्ड और कॉकर स्पैनियल इत्यादि प्रजाति के स्वान हैैं। इनका उपयोग विस्फोटक व संदिग्धों की पहचान के लिए किया जाता है।

फिदायीन हमलावरों की पहचान

हालांकि, ये श्वान डमी परीक्षणों के दौरान फिदायीन हमलावरों का पता लगाने में असफल रहे। जिसके बाद श्वान का एक ऐसा विशेष दस्ता तैयार करने पर विचार किया गया जो न केवल फिदायीन हमलावरों की पहचान करे बल्कि उसे कुछ ही देर में चित भी कर सके। इसके लिए बेल्जियन शेफर्ड डॉग का चयन किया गया। दस्ते में इन प्रजाति के श्वान को शामिल किए जाने पर विचार किया जा रहा है। अधिकारी के मुताबिक, शुरुआत में बेल्जियन शेफर्ड को इसलिए श्वान दस्ते में शामिल नहीं किया गया था। क्योंकि इसका स्वभाव सार्वजनिक अनुकूल नहीं है, लेकिन वर्तमान की परिस्थिति के लिए इसका प्रयोग उपयोगी साबित हो सकता है। यही नहीं इन श्वान को बल की स्वाट टीम (स्पेशल वेपन एंड टैक्टिक्स) के साथ लगाए जाने पर विचार किया जा सकता है।

मध्यम आकार की नस्ल वाला श्वान

यह एक मध्यम आकार की नस्ल वाला श्वान है। मालिंस नाम फ्रांस के एक शहर पर रखा गया है। इस नस्ल के श्वान का प्रयोग मुख्य रूप से विस्फोटक व नशीले पदार्थ का पता लगाने के लिए होता है। इसके विशेष गुण के कारण इसका उपयोग ज्यादातर सुरक्षा एजेंसियां और पुलिस बचाव मिशन के दौरान संदिग्ध की खोज के लिए करती हैं। व्हाइट हाउस की सुरक्षा के लिए अमेरिका का खुफिया विभाग इसी नस्ल के श्वान की मदद लेता है। इसका भार 25 से 30 किलोग्राम और जीवन काल 12 से 14 वर्ष का होता है। काले खड़े कान इसकी खास पहचान हैं। 


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