जल्द रईस बनने की चक्कर में पहुंच गए हवालात, बिना ब्याज के लोन का दिया झांसा
आरोपित फर्जी आइडी पर लिए गए सिम कार्ड से ही फोन करते थे। इन्होंने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ही कई बैंकों में खाते खुलवा रखे थे।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। बिना ब्याज के लोन दिलाने का झांसा देकर लोगों को ठगने वाले पति-पत्नी समेत तीन आरोपितों को दक्षिणी जिले के स्पेशल स्टाफ ने रोहिणी व उत्तम नगर से बुधवार को गिरफ्तार किया। आरोपितों के कब्जे से पांच मोबाइल व फर्जी आइडी पर खरीदे गए पांच सिम कार्ड बरामद किए गए हैं। डीसीपी दक्षिणी अतुल कुमार ठाकुर ने बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपित बिहार का रहने वाला विवेक श्रीवास्तव, अलीगढ़ का रहने दीपक शर्मा व उसकी पत्नी नेहा झा हैं।
विवेक श्रीवास्तव ठग गिरोह का सरगना है। वह कॉल सेंटर में बतौर टीम लीडर काम कर चुका है, लेकिन जल्द रईस बनने की ख्वाहिश के चलते उसने जूनियर साथी दीपक शर्मा व उसकी पत्नी नेहा झा के साथ मिलकर ठगी का धंधा शुरू या। डीसीपी ने बताया कि नेहा फाइनेंस कंपनी की एग्जीक्यूटिव बनकर लोगों को फोन करती थी और बीमा पॉलिसी के एवज में बिना ब्याज के लोन देने का झांसा देती थी। बिना ब्याज के लोन मिलने के चलते लोग इनके झांसे में आसानी से आ जाते थे। इसके बाद दीपक शर्मा विश्वास दिलाने के लिए फर्जी डीडी तैयार कर वाट्सएप पर भेजता था।
डीडी देखकर लोग इनके कहे अनुसार खातों में नकदी ट्रांसफर कर देते थे। इसके बाद आरोपित मोबाइल बंद कर देते थे। आरोपित फर्जी आइडी पर लिए गए सिम कार्ड से ही फोन करते थे। इन्होंने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ही कई बैंकों में खाते खुलवा रखे थे। इन्हीं फर्जी खातों में वह लोगों से रकम डलवाते थे और तुंरत निकाल लेते थे। आरोपित विवेक श्रीवास्तव को पुलिस ने रोहिणी व दीपक शर्मा और उसकी पत्नी को उत्तम नगर से दबोचा। विवेक श्रीवास्तव व दीपक शर्मा ग्रेजुएट हैं।
पिछले दिनों आरोपितों ने हौजखास में रहने वाले राजीव रंजन के साथ ठगी की वारदात को अंजाम दिया था। उन्हें बीमा पॉलिसी के एवज में बिना ब्याज में 12 लाख रुपये देने की बात कही थी। आरोपितों ने झांसा दिया था कि लोन की रकम प्रति वर्ष एक लाख रुपये चुकानी होगी। राजीव रंजन को पैसे की जरूरत थी तो वह इनके झांसे में आए गए और आरोपितों के कहे अनुसार उनके दो खातों में 1.27 लाख रुपये जमा कराए। इसके बाद डीडी देने के लिए आरोपितों ने 37 हजार रुपये और मांगे।
पीड़ित ने उनके ऑफिस का पता पूछा तो उन्होंने नहीं बताया। इस पर उन्हें शक हुआ। आरोपितों ने पीड़ित को वाट्सएप पर जो डीडी की फोटो भेजा था पीड़ित ने उसे संबंधित बैंक में जाकर चेक कराया तो डीडी फर्जी होने की जानकारी मिली। इसके बाद पीड़ित ने हौजखास थाने में मुकदमा दर्ज कराया। इसी मामले की पड़ताल करते हुए सर्विलांस, बैंक खातों की डिटेल व सीसीटीवी फुटेज खंगालकर आरोपित तक पहुंची। पूछताछ में आरोपितों ने 50 से ज्यादा वारदातों को अंजाम देने की बात कबूली की है।