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Tobacco Products Ban: जागरुकता ही सबसे बढ़िया उपाय, जमीनी स्तर पर हो निगरानी

तंबाकू के पैकेट पर तो तस्वीर के साथ कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी होने की चेतावनी भी दी जाती है बावजूद इसके लोग बड़े शान से उन चीजों का सेवन करते हैं।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 23 Jul 2020 11:56 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2020 11:56 AM (IST)
Tobacco Products Ban: जागरुकता ही सबसे बढ़िया उपाय, जमीनी स्तर पर हो निगरानी
Tobacco Products Ban: जागरुकता ही सबसे बढ़िया उपाय, जमीनी स्तर पर हो निगरानी

नई दिल्ली। हर तरह के नशीले पदार्थों पर साफ साफ अक्षरों में लिखा होता है कि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। तंबाकू के पैकेट पर तो तस्वीर के साथ कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी होने की चेतावनी भी दी जाती है बावजूद इसके लोग बड़े शान से उन चीजों का सेवन करते हैं। टीवी पर या जगह-जगह स्लोगन लगकर भी तंबाकू, गुटखा, सिगरेट इत्यादि के हानिकारक प्रभाव के बारे में लोगों को जानकारी दी जाती है, लेकिन सब कुछ देखने जानने और समझने के बाद भी लोग इसे खाते हैं। हमें यह सोचना होगा कि इतना प्रचार करने के बाद भी आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?

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हमें उन कारणों की पड़ताल करनी होगी कि आखिर इतनी जागरूकता के बाद भी लोग इसका सेवन क्यों नहीं छोड़ रहे हैं। हम इन उत्पादों की बिक्री व उत्पादन पर प्रतिबंध लगा देते हैं बावजूद इसके सेवन करने वाले लोग इसे खरीदते और खाते दिखाई दे जाते हैं। हैरानी की बात यह भी है कि दुकानदार बेखौफ इसकी बिक्री भी करते हैं।

जमीनी स्तर पर हो निगरानी

इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि तंबाकू की लत छुड़वाने और लोगों को जागरूक करने के लिए जिस तरह से काम होना चाहिए वह नहीं हो पा रहा है। यह सही निर्णय है कि तंबाकू जैसी खतरनाक उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध से इसके सेवन करने वाले लोगों की संख्या कम की जा सकती है, लेकिन इसके लिए सख्ती से कार्य करने होंगे। राज्यों की सरकार और पुलिस की इसमें सबसे अहम भूमिका होती है।

दिल्ली सरकार से लेकर दिल्ली पुलिस और अन्य स्थानीय निकायों को इस पर मिलकर काम करना होगा। दिल्ली सरकार को प्रतिबंध लगाने के बाद यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसकी बिक्री किसी भी सूरत में न हो। लगातार निगरानी की जाए। दिल्ली पुलिस भी अगर इसमें कार्य करे तो यह संभव हो सकता है कि प्रतिबंध को सख्ती से लागू किया जा सके।

यह अभियान केवल बैठकों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। देखने में यह भी आता है कि जब भी इस तरह के प्रतिबंध की समीक्षा की जाती है तो एजेंसियां आंकड़े लेकर बैठ जाती हैं। हमें बैठकों से आगे निकलना होगा और जमीनी स्तर पर इसकी निगरानी करनी होगी। सभी जिम्मेदार एजेंसियों को संयुक्त अभियान चलाने होंगे। अलग-अलग कार्रवाई से लोगों के बचने की संभावना प्रबल हो जाती है, क्योंकि लोग व एजेंसियां एक दूसरे पर जिम्मेदारी दिखाकर अपनी जिम्मेदारी से बचने का प्रयास करती हैं। अगर कार्रवाई संयुक्त होगी तो कानून का उल्लंघन करने वालों की बचने की संभावना न के बराबर होगी।

प्राथमिक शिक्षा से ही पढ़ाया जाए जागरूकता का पाठ

एक और बड़ी चीज है जिस पर पहले भी काम हुआ है, लेकिन उसे और आगे बढ़ाने की जरूरत है और वह है जगह-जगह थूकने पर प्रतिबंध। कोरोना संकट काल में तंबाकू खाकर या किसी भी तरह कहीं सार्वजनिक स्थान पर थूकने से व्यक्ति दूसरे को संक्रमण देने के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है। इसलिए हमें इसको रोकने के लिए इसके प्रति भी लोगों को जागरूक करना होगा। हमें प्राथमिक शिक्षा पर हर माह एक ऐसी गतिविधि करानी होगी कि जिससे हम अपनी नई पीढ़ी को इस बुरी लत से दूर रख सकें।

अगर, हमने नई पीढ़ी को इससे दूर कर लिया तो वह दिन दूर नहीं जब हमें तंबाकू जैसे नशीले पदार्थों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत नहीं होगी। इसकी बिक्री अपने आप ही बंद हो जाएगी, क्योंकि इसकी मांग नहीं होगी तो इसका व्यापार करने वाले लोग इस व्यापार को बंद कर देंगे। कोरोना संक्रमण नई पीढ़ी को ऐसी लतों से दूर करने के लिए एक अवसर भी हो सकता है।

एक व्यक्ति को अगर सरकार नशा छोड़ने के लिए कहे तो संभवत: उस पर असर कम होगा लेकिन हम उन बच्चों से यह संकल्प दिलाएं कि वह अपने परिवार में ऐस सदस्यों को नशा छोड़ने के लिए प्रेरित करें। इसका प्रभाव ज्यादा नागरिकों पर पड़ेगा। इसलिए प्राथमिक शिक्षा से लेकर स्नातक तक की शिक्षा में ऐसी गतिविधियों को जोड़ना पड़ेगा जिसमें बच्चे ही इस अभियान के सबसे बड़े प्रचारक बनें। इसके अलावा जो भी दुकान या छोटी-छोटी पटरी लगाकर तंबाकू उत्पादों की बिक्री करते हैं उन्हें दूसरे रोजगार का प्रशिक्षण देने का कार्य भी किया जा सकता है। इन लोगों को दूसरे कार्यों का प्रशिक्षण दिलाकर इनके रोजगार में मदद करेंगे तो तंबाकू उत्पादन की बिक्री को रोकने में हमें जीत जरूर मिलेगी।

(दिल्ली नगर निगम के पूर्व निगमायुक्त केएस मेहरा से संवाददाता निहाल सिंह से बातचीत पर आधारित)


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