आपके घर के बाथरूम में गैस गीजर है तो हो जाएं सावधान, जरा सी लापरवाही ले सकती है जान
जैसे ही सर्दी का मौसम शुरू होता है तो नहाने के लिए हर कोई गर्म पानी का इस्तेमाल करता है। इसके लिए ज्यादातर घरों में गीजर का इस्तेमाल किया जाता है। बाजार में दो तरह के गीजर उपलब्ध हैं। एक एलपीजी गीजर और दूसरा इलेक्ट्रिक गीजर।
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। जैसे ही सर्दी का मौसम शुरू होता है तो नहाने के लिए हर कोई गर्म पानी का इस्तेमाल करता है। इसके लिए ज्यादातर घरों में गीजर का इस्तेमाल किया जाता है। बाजार में दो तरह के गीजर उपलब्ध हैं। एक एलपीजी गीजर और दूसरा इलेक्ट्रिक गीजर। बिजली की बढ़ती कीमतों के चलते ज्यादातर लोग अपने घरों में गैस गीजर लगवाते हैं। हालांकि इलेक्ट्रिक गीजर की तुलना में ये सस्ते भी होते हैं। अगर आपके बाथरूम में भी एलपीजी गैस गीजर लगा है तो आपको कुछ सावधानी बरतने की जरूरत है।
लापरवाही से होते हैं हादसे
दरअसल फरीदाबाद में गैस गीजर के कारण बड़ा हादसा हो गया। आम दिनों की तरह एक होटल की जनरल मैनेजर रुचा आम दिनों की तरह शाम घर लौटने के बाद बाथरूम में नहाने गई थीं। वहां काफी देर तक बाथरुम से बाहर नहीं आईं तो घरवालों को शक हुआ। बाद में पता चला कि बेसुध पड़ी हुई है। पुलिस ने जांच में सामने आया कि गीजर ऑन रहने के चलते गैस पूरे बाथरूम में भर गई और उसकी मौत हो गई।इससे पहले भी गैस गीजर के कारण मौत के कई मामले सामने आ चुके हैं। जानिए गैस गीजर काे लेकर क्या सावधानी बरती जानी चाहिए।
ये बरतें सावधानी
- गैस गीजर को बाथरूम से बाहर ही लगाने का प्रयास करें, अगर संभव न हो तो बाथरूम में खिड़की जरूर हो
- सिलेंडर तो बाहर ही होना चाहिए
- खिड़की पर कपड़ा या कुछ ऐसा न ढंकें, जिससे कि हवा ही पास न हो सके
- बाल्टी या टब भर जाने के बाद इसे बंद कर दें। इसके बाद अंदर नहाने जाएं। इससे जान को खतरा ही नहीं रहेगा
- बेहतर होगा कि बाथरूम का दरवाजा बंद करने से पहले ही बाल्टी में गर्म पानी भर लें।
- गीजर बंद करने के बाद ही नहाएं।
- सुनिश्चित करें कि बाथरूम में क्रॉस वेंटिलेशन हो।
- कोई नहाकर निकले तो तुरंत बाद बाथरूम में नहाने न जाएं। कुछ देर के लिए दरवाजा खुला छोड़ दें।
- एक के बाद एक लगातार कई लोगों के नहाने से बाथरूम में कार्बन मोनोऑक्साइड जमा होने की आशंका बढ़ जाती है।
डाक्टर की सलाह
फिजिशियन डा गौरव ने बताया कि जब हमारे रक्त में आक्सीजन का स्तर कम होने लगता है तो हाइपोक्सिमया हो जाता है। इसका फेफड़ों, हार्ट और दिमाग पर सीधा असर पड़ता है। दरअसल होता ये है कि शरीर के सारे टिश्यू तक आक्सीजन का पहुंचना जरूरी है। हापोक्सिमिया होते ही आपके शरीर में आक्सीजन पहुंचना कम होने लगती है। जब किसी जगह पर आक्सीजन की कमी होती है तो हम सांस की गति बढ़ाने लगते हैं। सामान्य तौर पर 15 या 16 की स्पीड से सांस लेते हैं। लेकिन जब शरीर में आक्सीजन की आपूर्ति नहीं होती तो यही स्पीड बढ़कर 40 तक पहुंच जाती है। ऐसे हालात में हम बुरी तरह से थक जाते हैं।
क्या करना चाहिए
- नहाते वक्त अगर गैस गीजर चलाया है और सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो इसे सामान्य न लें, तुरंत बाथरूम की कुंडी खोलें
- बाथरूम ऐसा हो जहां पर हवा की पासिंग होती रही, बाथरूम पूरी तरह से बंद नहीं होना चाहिए। आजकल के घरों में बाथरूम कमरों से अटैच होते हैं। ये पूरी तरह से बंद होते हैं। हवा की पासिंग तक नहीं होती। ऐसे में हादसा होने की आशंका होती है।
- कोशिश हो कि बाथरूम के दो दरवाजे हों। अंदर और बाहर से खुलने की सुविधा हो। आमतौर पर जब हादसे का पता चलता है तो दरवाजे को तोड़ने में आधे घंटे का वक्त लग जाता है। इतनी देर में मरीज के साथ अनहोनी हो जाती है।