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नक्सली इलाके से निकला शांति का दूत, गोल्डन बुक ऑफ रिका‌र्ड्स में नाम दर्ज करवाने की तमन्ना

कांस्टेबल बंसीलाल नेताम रोजाना करीब 350 किमी साइकिल चलाते हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 06 Mar 2018 07:43 AM (IST)Updated: Tue, 06 Mar 2018 10:46 AM (IST)
नक्सली इलाके से निकला शांति का दूत, गोल्डन बुक ऑफ रिका‌र्ड्स में नाम दर्ज करवाने की तमन्ना
नक्सली इलाके से निकला शांति का दूत, गोल्डन बुक ऑफ रिका‌र्ड्स में नाम दर्ज करवाने की तमन्ना

नई दिल्ली (ललित कौशिक)। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में गोलियों की गूंज की जगह शांति की बहाली के संदेश को लेकर वहां के पुलिस बल में तैनात कांस्टेबल बंसीलाल नेताम (42) सोमवार को इंडिया गेट से साइकिल से देश के विभिन्न राज्यों की यात्रा पर निकले हैं। इस यात्रा के साथ उन्होंने गोल्डन बुक ऑफ रिका‌र्ड्स में भी अपना नाम दर्ज कराने का लक्ष्य बनाया है।

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20 दिन के अंदर वे राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक के राज्यों का सफर करेंगे और फिर वापस दिल्ली लौटेंगे। रोजाना 350 किलोमीटर साइकिल चलाने की क्षमता रखने वाले बंसीलाल कहते हैं कि वे इससे पहले भी वर्ष 2003 में पूरे देश का साइकिल से भ्रमण कर चुके हैं, मगर वे इस बार अपने छत्तीसगढ़ के लिए निकले हैं, ताकि उसे गोलियों और बम धमाके की गूंज की जगह उनके जैसे सकारात्मक बदलाव को आतुर लोगों की वजह से जाना जा सके, लेकिन यह तभी संभव होगा, जब इलाके में शांति होगी।

उन्होंने कहा कि बस्तर जिले के बीहड़ अंचलों में बच्चों के लिए स्पो‌र्ट्स हब बने, यह उनका सपना है। उन्होंने बताया कि इस शांति के संदेश को लेकर वे डेढ़ साल से तैयारी कर रहे हैं। रोजाना करीब 350 किमी साइकिल चलाते हैं। वैसे उन्होंने पिछले वर्ष बुलेट मोटरसाइकिल से पूरे भारत का भ्रमण किया था।

बंसीलाल मुक्केबाज रह चुके हैं। उन्हें अब भी मुक्केबाजी के दांवपेंच आजमाने में मजा आता है। वे कहते हैं कि नक्सल इलाके से ऐसे बच्चे निकलें, जो युवाओं के लिए आदर्श बनें।

इस मौके पर इंडिया गेट पर मौजूद गोल्डन बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिका‌र्ड्स के एशिया प्रमुख मनीश बिश्नोई ने कहा कि अगर बंसीलाल इस यात्रा के जरिये करीब 5848 किमी का सफर तय समय सीमा के अंदर कर लेते हैं तो वे इतिहास में अपना नाम दर्ज कराएंगे।

प्रदूषण के खिलाफ दिल्ली भी हो एकजुट प्रकृति के वरदान से भरपूर छत्तीसगढ़ से जब दिल्ली पहुंचे तो बंसीलाल को यहां की प्रदूषित हवा उन्हें सांस लेने में परेशान कर रही थी।

ऐसे में वे दिल्ली वालों से अपील करते हुए कहते हैं कि वे निजी वाहनों को छोड़ सार्वजनिक वाहनों और साइकिल का प्रयोग करें। इससे सड़कों पर वाहनों की संख्या कम होगी और दिल्ली का प्रदूषण भी घटेगा। साथ ही साइकिल चलाने से दिल्ली वालों का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा।


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