अयोध्या में मिले मंदिर के अवशेष और मूर्तियां पुरातात्विक दस्तावेज : डॉ. बी आर मणि
अयोध्या में राम जन्मभूमि के उस स्थान को समतल किया जा रहा है जहां पर रामलला विराजमान थे। इसे समतल किए जाने के दौरान मंदिर के अवशेष मिले हैं देवी देवताओं की मूर्तियां मिली हैं।
नई दिल्ली [वी के शुक्ला]। अयोध्या में राम जन्मभूमि स्थान को समतल करने के दौरान मिले मंदिर के अवशेष व देवी-देवताओं की मूर्तियों को पुरातत्वविद पुरातात्विक दस्तावेज मानते हैं। इनका कहना है कि मंदिर निर्माण के लिए होने वाली खोदाई में सावधानी बरतने की जरूरत है। खोदाई को वैज्ञानिक तरीके से किया जाना चाहिए, जिसमें पुरातत्वविदों को भी शामिल किया जाना चाहिए। अभी वहां बहुत कुछ मिलने की संभावना है। इसके साथ ही वे मिले हुए पुरावशेष और खंडित मूर्तियों पर अध्ययन किए जाने की बात कहते हैं।
राम जन्मभूमि में किया जा रहा समतल
यहां बता दें कि अयोध्या में राम जन्मभूमि के उस स्थान को समतल किया जा रहा है जहां पर रामलला विराजमान थे। इसे समतल किए जाने के दौरान मंदिर के अवशेष मिले हैं, देवी देवताओं की मूर्तियां मिली हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व अधिकारी अयोध्या में समय-समय पर हुई खोदाई में शामिल रहे हैं। अदालती आदेश पर राम जन्मभूमि स्थल पर खोदाई कराकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में रिपोर्ट सौंपने वाले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. बी आर मणि का कहना है कि अयोध्या में रामजन्म भूमि स्थल से मंदिर के अवशेषों और देवी देवताओं की खंडित मूर्तियां पुरातात्विक दस्तावेज हैैं। इनके मिलने से मंदिर के अस्तित्व के संबंध में हमारी रिपोर्ट को और बल मिलता है।
572 पेज की रिपोर्ट इलाहाबाद हाई कोर्ट को सौंपी गई थी
बताते हैं 2003 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर जो खोदाई कराई गई थी, उस समय रामलला विराजमान स्थल के आसपास से 90 जगह गड्ढे किए गए थे। उसकी 572 पेज की रिपोर्ट तैयार कर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सौंपी गई थी। उस रिपोर्ट में खोदाई में मिले पुरावशेषों के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि वहां मंदिर था। वह कहते हैं राम मंदिर स्थान पर इन सभी को संग्रहालय बनाकर रखा जाना चाहिए। पहले की गई खोदाइयों में यहां तीन चार मंदिर के साक्ष्य मिले हैं। उन्होंने बताया कि पहले की गई खोदाई में वहां पंचायतन मंदिर के साक्ष्य मिले हैं। पंचायतन शैली के मंदिर में एक मुख्य मंदिर के चारों मंदिर होते हैं।
मंदिर होने के प्रमाण
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक पदम श्री डॉ. के के मोहम्मद ऐसे पुरातत्वविद हैं जो सुप्रीम कोर्ट के फैसला आने से पहले ही सार्वजनिक तौर पर कहते रहे थे कि अयोध्या में विवादित स्थान पर मंदिर होने के प्रमाण हैं।
वैज्ञानिक तरीके से हो काम
डॉ. मोहम्मद स्वयं अयोध्या में रामजन्म भूमि स्थल पर 1970-72 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व महानिदेशक डॉ. बी बी लाल के नेतृत्व में हुई खोदाई में शामिल रहे हैं। वह कहते हैं कि राम जन्मभूमि परिसर में स्वर्णिम अतीत दफ्न है। इसलिए मंदिर बनाने के लिए परिसर को समतल करने का काम वैज्ञानिक तरीके से किया जाना चाहिए। मंदिर ट्रस्ट को निर्माण के दौरान पुरातात्विक धरोहरों को संरक्षित करने के साथ अतीत के संकेतों को भी ध्यान में रखना चाहिए। उसी आधार पर मंदिर निर्माण की दिशा तय करनी चाहिए। वह कहते है कि समतल करने में मिलीं मूर्तियां और स्तंभों की तस्वीर देखने के बाद मैं यह कह सकता हूं कि ये आठवीं शताब्दी की हैं। इन पर अध्ययन होना चाहिए। डॉ. मोहम्मद कहते हैं कि यह अफसोस की बात है कि अयोध्या पर अध्ययन को लेकर बहुत काम नहीं हुआ है। अगर वहां आसपास के क्षेत्र में खोदाई कराई जाती है तो आगे की शताब्दियों के मंदिर के प्रमाण भी वहां मिलेंगे। वह कहते हैं कि अब वहां किसी तरह का विवाद नहीं है, इसलिए खोदाई भी हो सकती है।