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अब ड्राइविंग टेस्ट में कोई नहीं हो सकेगा फेल, ऑटोमेटेड ट्रैक के नियमों में हो सकता है बदलाव

परिवहन विभाग ने ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर डीएल के लिए टेस्ट देते हुए बड़ी संख्या में आवेदकों के फेल होने की समस्या को दूर करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी जिसके बाद कमेटी ने ड्राइविंग टेस्ट के नियमों में कुछ बदलाव के सुझाव दिए हैं।

By Umesh KumarEdited By: Published: Wed, 10 Aug 2022 08:19 AM (IST)Updated: Wed, 10 Aug 2022 08:19 AM (IST)
अब ड्राइविंग टेस्ट में कोई नहीं हो सकेगा फेल, ऑटोमेटेड ट्रैक के नियमों में हो सकता है बदलाव
अब ड्राइविंग टेस्ट में कोई नहीं हो सकेगा फेल। (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। ऑटोमेटेड (स्वचालित) ड्राइविंग ट्रैक (Automated Driving Track) पर डीएल के लिए टेस्ट (Driving Test Rules) में फेल होने वालों की संख्या में कमी लाने के लिए बदलाव को अभी लागू नहीं किया जा रहा है। 8 अगस्त से लागू होने वाले बदलाव को फिलहाल टाल दिया गया है। परिवहन विभाग के आयुक्त आशीष कुंद्रा ने कहा कि कमेटी की सिफारिशों पर अभी चर्चा जारी है और इसके पूरा होने के बाद ही इसे लागू करने पर विचार होगा।

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ऐसे में माना जा रहा है कि इस नई व्यवस्था के लागू होने में अभी समय लग सकता है। इससे पहले परिवहन विभाग ने ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर डीएल के लिए टेस्ट देते हुए बड़ी संख्या में आवेदकों के फेल होने की समस्या को दूर करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी, जिसके बाद कमेटी ने ड्राइविंग टेस्ट के नियमों में कुछ बदलाव के सुझाव दिए हैं।

ड्राइविंग टेस्ट के लिए होने हैं ये बदलाव

  • कमेटी ने अपनी सिफारिश में कहा है कि डीएल टेस्ट के दौरान गाड़ी बैक करते वक्त पीली रेखा छूने पर फेल नहीं माना जाएगा। जबकि अभी ड्राइविंग टेस्ट में फेल होने की यह सबसे बड़ी वजह बन रहा है।
  • इसी तरह कमेटी ने गाड़ी को बैक करने और रोकने के नियमों में भी बदलाव करने की सिफारिश की है, जिससे बड़ी संख्या में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने वाले नए लोगों को फायदा होगा।
  • अभी गाड़ी को बैक करने के लिए 180 सेकंड का समय दिया जाता है, जिसे कमेटी ने बढ़ाकर 200 सेकंड करने का सुझाव दिया है।
  • कमेटी ने सिफारिश की है कि गाड़ी बैक करते समय वाहन के रेड लाइट को छूने पर ही फेल माना जाए। वर्तमान समय में पहली बार ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए टेस्ट देने वाले बड़ी संख्या में फेल हो जाते हैं। क्योंकि ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर लगे सेंसर पीली रेखा पर भी वाहन के पहुंचने पर उसे रीड कर लेते हैं, जिसके बाद वह चालक को टेस्ट में स्वयं फेल कर देता है।
  • कमेटी का मानना है कि 50 से 60 प्रतिशत लोग टेस्ट के दौरान इसी वजह से फेल हो जाते हैं। कमेटी के सुझाव पर बदलाव होता है तो पीली रेखा पर पहुंचने पर व्यक्ति फेल नहीं होगा।
  • सीट बेल्ट रोड सेफ्टी से जुड़ा एक बेहद जरुरी कंपोनेंट है। कई बार आवेदक ड्राइविंग टेस्ट पूरा कर लेता था, लेकिन बाद में पता चलता था कि उसने सीट बेल्ट ही नहीं लगाई थी। ऐसे में अब ड्राइविंग टेस्ट देने से पहले आवेदक को बताया जाएगा कि वह सीट बेल्ट अवश्य लगाए।
  • टेस्ट के दौरान बूम बैरियर भी आवेदक को अनाश्वयक रूप से परेशान करते हैं। इससे वे मानसिक रूप से परेशान हो जाते हैं। इसीलिए अब बूम बैरियर को हटाया जाएगा।
  • ड्राइविंग टेस्ट के दौरान देखने में आता है कि मोड पर चालक का पैर जमीन से टच हो जाता है तो उसे फेल माना जाता है, लेकिन अब यदि मोड पर चालक का पैर टच भी हो जाता है तो उसे पास माना जाएगा।

परिवहन विभाग ने इसी सुझाव के आधार पर टेस्ट देने में आसानी के लिए आठ अगस्त से लागू करने के आदेश जारी कर दिए थे, लेकिन फिलहाल इस आदेश पर रोक लगा दी गई है। कमेटी की किन-किन सिफारिशों को लागू किया जाए, इसे लेकर अभी विभागीय स्तर पर मंथन जारी है।


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