Move to Jagran APP

इस अस्पताल में मरीजों को मिलेगी निशुल्क एचएलए जांच

किडनी खराब होने की बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए एक अच्छी खबर है। केंद्र सरकार के अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्था में एचएलए जांच मुक्त में होगी।

By Pooja SinghEdited By: Published: Fri, 25 Oct 2019 10:20 AM (IST)Updated: Fri, 25 Oct 2019 10:20 AM (IST)
इस अस्पताल में मरीजों को मिलेगी निशुल्क एचएलए जांच
इस अस्पताल में मरीजों को मिलेगी निशुल्क एचएलए जांच

नई दिल्ली, [रणविजय सिंह]। किडनी खराब होने की बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए एक अच्छी खबर है। केंद्र सरकार के अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्थान व आरएमएल अस्पताल में एचएलए (ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन) जांच की सुविधा शुरू होगी। इससे किडनी प्रत्यारोण के लिए मरीजों व डोनर को निजी लैब में यह जांच कराने से छुटकारा मिलेगा। आरमएल अस्पताल में यह जांच निशुल्क होगी। इसलिए मरीजों का 20-30 हजार रुपया बचेगा।

loksabha election banner

दरअसल, किडनी या लिवर प्रत्यारोपण से पहले मरीज और डोनर को गहन जांच से गुजरना पड़ता है। ब्लड ग्रुप के अलावा एचएलए जांच भी कराई जाती है। यह एक तरह की डीएनए जांच होती है। प्रत्यारोपण के लिए मरीज व डोनर के ब्लड ग्रुप के साथ-साथ एचएलए भी आपस में मैच (मिलान) करना जरूरी है। अक्सर यह देखा गया है कि मरीज व डोनर का एचएलए मिलान करना ही मुश्किल होता है। डोनर का एचएलए मरीज से मिलान नहीं होने पर सामान्य तौर पर प्रत्यारोपण नहीं किया जाता। यही वजह है कि किडनी व लिवर फेल्योर के मरीजों को डोनर मिल पाना मुश्किल होता है। हालांकि अब ऐसी तकनीक उपलब्ध हो गई है जिससे एचएलए का मिलान नहीं होने पर भी प्रत्यारोपण हो रहे हैं, लेकिन इसकी प्रक्रिया जटिल होती है। इसके लिए यह जांच जरूरी है।

मौजूदा समय में दिल्ली में सरकारी क्षेत्र के तीन अस्पतालों एम्स, सफदरजंग व आरएमएल अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा है। इनमें से सिर्फ एम्स में ही इस जांच की सुविधा है। इस वजह से मरीजों व डोनर को निजी लैब में यह जांच करानी पड़ती है। निजी लैबों में इस जांच का शुल्क 10-15 हजार रुपये है। इस तरह मरीज व डोनर दोनों को यह जांच कराने में 20-30 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। आरएमएल अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण के बाद मरीजों को दवाएं भी निशुल्क उपलब्ध कराई जाती है, लेकिन यह जांच नहीं होने से गरीब मरीजों पर आर्थिक बोझ पड़ता है।

अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मीनाक्षी भारद्वाज ने कहा कि पैथोलॉजी विभाग में छह माह में यह जांच शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि अस्पताल में लिवर प्रत्यारोपण शुरू करने की भी योजना है। इसके लिए अस्पताल के डॉक्टर यकृत व पित्त विज्ञान संस्थान (आइएलबीएस) में प्रशिक्षण ले रहे हैं। जल्द ही लिवर प्रत्यरोपण की सुविधा भी शुरू की जाएगी।

दिल्ली-एनसीआर की खबरों को पढ़ने के लिए यहां करें क्लिक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.