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Ratnashree Passes Away: खगोल वैज्ञानिक समूह में मायूसी, कोरोना संक्रमण ने छीना उनका एक चमकीला तारा

Ratnashree Passes Awayचाणक्यपुरी स्थित नेहरू तारामंडल की निदेशक और अखिल भारतीय तारामंडल समिति की अध्यक्ष रत्नाश्री का रविवार सुबह आकस्मिक निधन हो गया। वह कोरोना से संक्रमित थी और उनका इलाज इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के नजदीक बनाए गए डीआरडीओ के अस्थाई अस्पताल में हो रहा था।

By Jp YadavEdited By: Published: Mon, 10 May 2021 10:24 AM (IST)Updated: Mon, 10 May 2021 10:24 AM (IST)
Ratnashree Passes Away: खगोल वैज्ञानिक समूह में मायूसी, कोरोना संक्रमण ने छीना उनका एक चमकीला तारा
Ratnashree Passes Away: खगोल वैज्ञानिक समूह में मायूसी, कोरोना संक्रमण ने छीना उनका एक चमकीला तारा

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। खगोल वैज्ञानिक समुदाय में निराशा का माहौल है, क्योंकि इस कोरोना महामारी ने उनका एक चमकता तारा उनसे छीन लिया है। खगोल विज्ञान में जाना माना नाम नंदीवाड़ा रत्नाश्री अब इस दुनिया में नहीं हैं। वह पंचतत्व में विलीन हो गईं। सादा जीवन जीने वाली और हर किसी से मिलनसार रत्ना- आकाश की गतिविधियों को लेकर लोगों की उत्सुकताओं पर खूब खुश होती और ब्रह्मांड के बारे में लोगों को जागरूक करने व खगोलीय घटनाओं को लेकर समाज की भ्रांति दूर करने की वह बराबर कोशिश करतीं।

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वह दिल्ली के प्रदूषण और चकाचौंध से नाराज होती, क्योंकि इस कारण दिल्ली वालों को खूबसूरत आकाश तथा तारें मयस्सर नहीं हो पाते हैं। वह चिंता जताती की पता नहीं दिल्ली की अगली पीढ़ी तारों को पहचान भी पाएगी कि नहीं। इसलिए वह तारामंडल में बच्चों को आने को लेकर खूब प्रोत्साहित करतीं।

चाणक्यपुरी स्थित नेहरू तारामंडल की निदेशक और अखिल भारतीय तारामंडल समिति की अध्यक्ष रत्नाश्री का रविवार सुबह आकस्मिक निधन हो गया। वह कोरोना से संक्रमित थी और उनका इलाज इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के नजदीक बनाए गए डीआरडीओ के अस्थाई अस्पताल में हो रहा था। वह जानने वालों के बीच 'रत्ना श्री' के नाम से लोकप्रिय थी। खगोल की दुनियां में उनकी गहरी रुचि थी। उनका जन्म हैदराबाद में हुआ था और शिक्षा-दीक्षा लखनऊ, हैदराबाद और मुंबई में हुई थी। खगोल विज्ञान में उन्होंने पीएचडी की थी। अमेरिका के प्रतिष्ठित वरमोंट यूनिवर्सिटी से फेलोशिप की थी।

नेहरू तारामंडल से वह तकरीबन 20 सालों से जुड़ी थी। उनके पति पैट्रिक दास गुप्ता भी दिल्ली विश्वविद्यालय में फिजिक्स के प्रोफेसर हैं। दोनों की एक संतान हैं। बेटा अमेरिका में नौकरी कर रहे हैं। वह अभी वहीं है। उनके निधन से नेहरू तारामंडल के साथ ही देश के खगोल विज्ञान में रुचि लेने वालों के बीच मायूसी है। उनके साथ काम करने वाले लोग कहते हैं कि उनके निधन से खगोल विज्ञान का चमकता सितारा उनसे दूर चला गया है। उनके सहायक वैज्ञानिक धीरज ने बताया कि पिछले कई वह बीमार थी। हालांकि, वह अच्छी हो रही थी। बातचीत में उन्होंने कहा था कि उनकी सेहत में सुधार हो रहा है और वह जल्द उन लोगों से मिलेंगी लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा।


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