जामा मस्जिद के संरक्षण का काम शुरू, सैयद अहमद बुखारी ने पीएम मोदी को लिखा था पत्र
शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एएसआइ को पत्र लिखकर जामा मस्जिद के संरक्षण का अनुरोध किया था।
नई दिल्ली [जेएनएन]। ऐतिहासिक जामा मस्जिद के संरक्षण का काम शुरू हो गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) मुख्य गुंबद से पानी का रिसाव रोकने के साथ मस्जिद की छतों के संरक्षण का काम करेगी। साथ ही मुख्य द्वार पर मिट चुकी लिखावट और अक्षरों को फिर से उकेरा जाएगा।
मस्जिद के भविष्य पर संकट
एएसआइ ने पहले गुंबद से ही काम शुरू किया है। एएसआइ की ओर से जामा मस्जिद के संरक्षण का काम कोई 14 साल बाद शुरू हुआ है। वर्ष 2004 में भी कुछ काम हुआ था, लेकिन नियमित रख-रखाव न होने से इस ऐतिहासिक मस्जिद के भविष्य पर संकट मंडराने लगा था।
मुख्य गुंबद से पानी का रिसाव
प्रमुख समस्या मुख्य गुंबद से पानी का रिसाव है। जो पिछले मानसून में काफी बढ़ गई थी। ऐसे में चिंतित शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एएसआइ को पत्र लिखकर संरक्षण का अनुरोध किया था। इसके बाद केंद्रीय संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने 362 वर्ष पुरानी इस मस्जिद के संरक्षण का आश्वासन दिया था।
दरारों को भरने का होगा काम
एएसआइ के संरक्षण में गुंबद में चिन्हित उन संगमरमर के पत्थरों को बदला जाना है। जिनकी उम्र समाप्त हो चुकी है। इसी तरह दरारों को भरने के साथ अपनी जगह से खिसक गए पत्थरों को फिर से उनके स्थान पर लाना है। यह गुंबद के ऊपरी और नीचे के भाग दोनों में होगा। गुंबद की दीवार के ऊपर और नीचे दोनों ओर पत्थर लगाया हुआ है।
मस्जिद को काफी नुकसान पहुंचा है
जामा मस्जिद में सलाहकार समिति के महासचिव तारीक बुखारी ने बताया कि नियमित तौर पर देखरेख न होने से मस्जिद को काफी नुकसान पहुंचा है। ऐसे में अगर इसे आगे सैकड़ों साल तक जिंदा रखना है तो वर्षों नियमित काम की आवश्यकता है, लेकिन अभी कोई 10 दिन के काम होने के बाद से पिछले 15 दिनों से काम बंद है। इस संबंध में एएसआइ के एक अधिकारी ने मजदूरों की कमी को समस्या बताया। साथ ही कहा कि जल्द ही काम में तेजी लाई जाएगी।
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