जानें कहां मिट रही हैं स्तंभ पर लिखीं महान सम्राट अशोक की राजाज्ञाएं
फर्रुखसियर (1713-1719) के शासन काल में इस स्तंभ पर विस्फोट किया गया, जिससे इसके पांच टुकड़े हो गए थे। अभिलेखों को भी आरी से मिटाने की कोशिश की गई।
नई दिल्ली (वीके शुक्ला)। हिंदूराव अस्पताल के पास स्थापित अशोक स्तंभ जर्जर हो गया है। इसमें लिखीं सम्राट अशोक की राजाज्ञाएं मिट रही हैं। स्तंभ को मजबूती देने और राजाज्ञाओं को संरक्षित करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) शीघ्र ही इसका केमिकल ट्रीटमेंट कराएगा।
एएसआइ के दिल्ली सर्किल ने कुछ समय पहले ही इस स्तंभ के फाउंडेशन को मजबूती देने के लिए संरक्षण कार्य पूरा किया है। इस अशोक स्तंभ का पहली बार केमिकल ट्रीटमेंट होगा। एएसआइ के एक विशेषज्ञ कहते हैं कि स्तंभ पर लिपि या कुछ अंकित होने से यह कार्य मुश्किल हो जाता है, क्योंकि उसके संरक्षण का भी ध्यान रखा जाता है।
इस स्तंभ का निर्माण किसने कराया है, यह स्पष्ट नहीं है। इसे फिरोजशाह तुगलक मेरठ के आसपास से दिल्ली लाया था। उसने इसे शिकार महल में स्थापित किया था। उसके द्वारा टोपरा से लाए गए दूसरे स्तंभ को कोटला फिरोजशाह स्मारक में स्थापित किया गया था। वह इस स्तंभ से अच्छी स्थिति में है।
इतिहासकारों का कहना है कि ये स्तंभ मूल स्थल से दिल्ली तक नदी मार्ग से लाए गए थे। इसकी ऊंचाई 10 मीटर है। फर्रुखसियर (1713-1719) के शासन काल में इस स्तंभ पर विस्फोट किया गया, जिससे इसके पांच टुकड़े हो गए थे।
अभिलेखों को भी आरी से मिटाने की कोशिश की गई। बाद में एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल को टुकड़े भेजे गए। वर्ष 1866 में ये वापस लाए गए और 1867 में जोड़े गए।