63 की उम्र में गोल्ड मेडल की लगा दी भरमार, सागर बने युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत
अशोक कुमार सागर राष्ट्रीय निशानेबाजी चैंपियनशिप में वेट्रेन श्रेणी (60 साल से ऊपर आयु वर्ग वाले) में गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाने में कामयाब रहे हैं।
नई दिल्ली [संजय सलिल]। अगर जोश और जज्बा हो तो सीखने की कोई उम्र नहीं होती है, 63 वर्षीय अशोक कुमार सागर इसी बात को चरितार्थ कर रहे हैं। मोती नगर इलाके के रहने वाले सागर पिछले एक साल से निशानेबाजी की कला में खुद को पारंगत करने में लगे हैं। यह सीखने के प्रति उनकी लगन का ही नतीजा है कि वह एक साल के अंदर राष्ट्रीय स्तर से लेकर राज्य स्तर की कई प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं और अब तक छह गोल्ड मेडल को अपनी झोली में डाल चुके हैं।
सागर कस्टम विभाग से 2017 के फरवरी में सहायक कमिश्नर के पद से रिटायर्ड हैं। उनके परिवार में पत्नी व एक बेटा-बेटी हैं। बेटी की शादी हो चुकी है। उनकी पत्नी पुष्पा सागर दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय में उप शिक्षा अधिकारी कार्यरत हैं।
इन सब के बीच वह रोजाना अपने घर से करीब पांच किलोमीटर दूर अशोक विहार फेस दो स्थित दर्शन शूटिंग एकेडमी में आकर पांच घंटे राइफल पर हाथ आजमाते हैं और लक्ष्यों को भेदने का अभ्यास करते हैं। उनकी मेहनत की सराहना एकेडमी के प्रशिक्षक भी करते हैं बल्कि उनसे एकेडमी में निशानेबाजी का प्रशिक्षण ले रहे बच्चे, युवा भी प्रेरित हो रहे हैं।
खाते में हैं कई उपलब्धियां
वह पांच व छह अक्टूबर को भारतीय राजस्व सेवा की ओर से तुगलकाबाद के करनी सिंह शूटिंग रेंज में आयोजित राष्ट्रीय निशानेबाजी चैंपियनशिप में वेट्रेन श्रेणी (60 साल से ऊपर आयु वर्ग वाले) में गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाने में कामयाब रहे हैं। इसके पूर्व वह इसी श्रेणी में इसी साल दिल्ली राज्य चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। इन उपलब्धियों के अलावा वह एक साल के अंदर शूटिंग क्लबों की ओर से आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में भी चार गोल्ड मेडल अपने खाते में डाल चुके हैं।
सागर बताते हैं कि गत वर्ष जुलाई में उन्होंने एकेडमी में शूटिंग का प्रशिक्षण लेना शुरू किया था और इसके कुछ दिनों के बाद ही दिल्ली राज्य निशानेबाजी प्रतियोगिता में भाग लेकर सिल्वर पदक जीता था। इससे उनका हौसला व आत्म विश्वास बढ़ा और वह तब से लगातार बेहतर करते आ रहे हैं।
एनसीसी के दौरान अपने हुनर का चला पता
सागर ने बताते हैं कि जब वह स्कूल व कॉलेज के दिनों में एनसीसी में थे तो वहां राइफल आदि चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। उसी दौरान जब उन्होंने लक्ष्य पर निशाना साधा तो उन्हें अंदर के इस हुनर के बारे में जानकारी मिली। तब से ही वह इस खेल में बेहतर करने की इच्छा पैदा हो गई थी, लेकिन सरकारी सेवा व पारिवारिक जिम्मेदारी के चलते उन्हें अपने अंदर की प्रतिभा को निखारने का मौका नहीं मिल सका था, लेकिन वह अब सरकारी सेवा से अवकाश ग्रहण कर चुके हैं तो अपने समय का सदुपयोग कर रहे हैं। उनका लक्ष्य विश्व स्तर पर नाम कमाने का है।