केजरीवाल की वफादारी पर दिल्ली ने गाया गीत, 'क्या हुआ तेरा वादा, वो कसम ...'
दिल्ली की जनता केजरीवाल के उस वादे को याद कर रही है, जब यहां के विधानसभा चुनाव में उन्होंने यहां के आवाम से किया था। अब उन्हें तय करना है कि उन्हें पंजाब का मुख्यमंत्री बनना है कि नहीं।
नई दिल्ली (जेएनएन)। पंजाब विधानसभा चुनाव में बतौर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम आते ही एक नई सियासत शुरू हो गई। दिल्ली विधानसभा चुनाव मेंं यहां की जनता ने उन्हें अपार बहुमत से जीताया था। उस वक्त केजरीवाल ने कहा था कि वह दिल्ली की जनता के साथ हरदम रहेंगे। लेकिन पंजाब में उनका बतौर सीएम का नाम आते ही दिल्ली की जनता शायद यही गीत गाएगी की 'क्या हुआ तेरा वादा, वो कसम वो ' ।
पंजाब चुनाव में अप्रत्यक्ष रूप से अरविंद केजरीवाल को चेहरा बनाने का दांव आम आदमी पार्टी को कितना फायदा दिलाएगा? यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन इससे कहीं दिल्ली नगर निगम चुनाव में उसकी राह न मुश्किल हो जाए।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के बयान के बाद विरोधियों ने इसे मुद्दा बना लिया और केजरीवाल के फिर से दिल्ली छोड़कर जाने का प्रचार जोर शोर से शुरू कर दिया है। आने वाले दिनों में भाजपा और कांग्रेस के साथ ही अकाली नेता भी इस मुद्दे को और धार देकर आप की मुश्किल बढ़ाने की पूरी कोशिश करेंगे।
मोहाली में एक चुनावी सभा में मंगलवार को सिसोदिया ने लोगों से केजरीवाल के नाम पर वोट देने की अपील की थी। इस पर जब विरोधियों का वार शुरू हुआ तो जहां उन्होंने बयान से पलटते हुए कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री का चुनाव वहां के विधायक करेंगे।
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वहीं, अगले ही दिन केजरीवाल को भी यह ऐलान करना पड़ा कि वह पंजाब का मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। इससे उन्होंने विरोधियों का वार कुंद करने की कोशिश तो की लेकिन विरोधी इतनी आसानी से मानने वाले नहीं हैं। दरअसल अगले कुछ महीनों में न सिर्फ दिल्ली के तीनों नगर निगमों का चुनाव है बल्कि दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का भी चुनाव है।
यदि संसदीय सचिव बनाए गए 21 विधायकों की सदस्यता चली जाती है तो इन सीटों पर उपचुनाव भी होगा। इस मामले की सुनावाई चुनाव आयोग कर रहा है। इसलिए भाजपा, कांग्रेस और अकाली केजरीवाल को घेरने का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं।
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भाजपा का कहना है कि लोकसभा चुनाव में वाराणसी में मिली हार के बाद केजरीवाल ने दिल्लीवासियों से वादा किया था कि अब वह कहीं और नहीं जाएंगे। लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद वे दिल्लीवासियों के पैसे का दुरुपयोग अपने राजनीतिक विस्तार के लिए कर रहे हैं।
कांग्रेस भी उन पर दिल्लीवासियों से वादाखिलाफी करने का आरोप लगा रही है। अकाली नेता भी उन्हें घेरने की कोशिश में लगे हुए हैं। उनका कहना है कि केजरीवाल कह रहे हैं कि सत्ता में आने के बाद पंजाब के विकास के लिए प्रधानमंत्री मोदी के पैर पकड़ लेंगे।
पंजाब के लोग यह समझ रहे हैं कि जिस दिल्ली के लोगों ने उन्हें ऐतिहासिक बहुमत दिया उनके विकास पर ध्यान देने के बजाय केंद्र सरकार से लगातार टकराव ले रहे हैं जिससे काम प्रभावित हो रहा है।