केजरीवाल सरकार के आरोपों पर आक्रामक हुआ राजनिवास, अब मौन नहीं रहेंगे LG
उप राज्यपाल के खिलाफ सरकार के प्रस्तावित जन अभियान को लेकर भी खास रणनीति तैयार की जा रही है।
नई दिल्ली [ संजीव गुप्ता ] । आरोप प्रत्यारोप की राजनीति के बीच राजनिवास ने भी केजरीवाल सरकार से मुकाबले को कमर कस ली है। विशेष रणनीति के अंतर्गत अब दिल्ली सरकार की हर भ्रामक जानकारी का तथ्यपरक जवाब दिया जाएगा। सरकारी विभागों को भी संकेत दे दिए गए हैं कि अपना सारा रिकार्ड अप टू डेट रखें। यहां तक कि उप राज्यपाल के खिलाफ सरकार के प्रस्तावित जन अभियान को लेकर भी खास रणनीति तैयार की जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक विधानसभा सत्र में जिस तरह से आए दिन उप राज्यपाल अनिल बैजल पर निशाना साधा गया, वहां तक तो ठीक था, पर उपराज्यपाल कार्यालय की आउटकम रिपोर्ट तैयार तथ्यों को तोड़ मरोड़कर पेश करने को राजनिवास ने गंभीरता से लिया है। इसे लेकर राजनिवास ने अपना रूख स्पष्ट कर दिया है कि जनता में कोई भ्रामक जानकारी कतई नहीं जाने दी जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक यदि सरकार किसी भी स्तर पर उपराज्यपाल कार्यालय की छवि धूमिल करेगी तो उसकी हकीकत सरकार की खामियों के साथ स्पष्ट की जाएगी। जनता को बताया जाएगा कि संबंधित मुददे पर दिल्ली सरकार ने अपने हिस्से की ईमानदारी में कितनी बेईमानी की है।
अगर सरकार विभागों पर आरोप लगाती है तो उसके लिए आला अधिकारियों को भी वस्तुस्थिति सामने रखने को इशारा कर दिया गया है। बताया जाता है कि अब केजरीवाल सरकार की ओर से दिए जाने वाले हर मीडिया ब्यान और रिपोर्टों पर भी नजर रखी जाएगी। जहां कहीं भी कुछ गलत पेश किया जाएगा, राजनिवास की ओर से उसका खंडन करते हुए तथ्यात्मक तस्वीर जनता के समक्ष रखी जाएगी।
सूत्रों की मानें तो निकट भविष्य में राजनिवास एवं मीडिया के बीच की दूरियां भी कुछ घट सकती हैं। दूसरी ओर राजनीतिक जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में सरकार एवं राजनिवास की तल्खियां न सिर्फ सड़क तक दिखाई देने वाली है, बल्कि मीडिया की सुर्खियों का भी अनिवार्य अंग बनने वाली है।
इस सूरत में यह भी लगभग तय है कि कहीं ना कहीं जनता की परेशानियों में इजाफा होगा। विकास की योजनाएं अभी भी लटक रही हैं, आगे इनके और लटकने की संभावनाएं रहेंगी।
हालांकि दिल्ली के मुख्य सचिव भी जल्द ही बदले जाने की संभावना बन रही है, लेकिन उनके जाने के बावजूद यह तल्खियां अब कम नहीं होंगी। हो सकता है कि यह स्थिति विधानसभा चुनाव तक अब जोर ही पकड़ती रही। विपक्षी दलों ने भी आग में घी डालना और आप आदमी पार्टी व आप सरकार की घेरेबंदी शुरू कर दी है।