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केजरीवाल की राजनीति पर भारी पड़ी एलजी की कूटनीति, आखिरकार झुकना ही पड़ा

धरने के सियासी ड्रामे में बुरी तरह से फंसे मुख्यमंत्री केजरीवाल को आखिरकार उपराज्यपाल बैजल की ही सलाह माननी पड़ी।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 20 Jun 2018 12:12 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jun 2018 02:06 PM (IST)
केजरीवाल की राजनीति पर भारी पड़ी एलजी की कूटनीति, आखिरकार झुकना ही पड़ा
केजरीवाल की राजनीति पर भारी पड़ी एलजी की कूटनीति, आखिरकार झुकना ही पड़ा

नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। धरने का सियासी ड्रामा रच अपने ही जाल में बुरी तरह फंस चुके मुख्यमंत्री की राजनीति पर उपराज्यपाल की सख्ती और कूटनीति कहीं भारी पड़ी। उपराज्यपाल के इस रवैये ने इस धरने की रही- सही हवा भी निकाल दी। आलम यह हो गया कि अब केजरीवाल धरना खत्म करने के लिए छटपटा रहे थे। इसीलिए जैसे ही उपराज्यपाल का पत्र मिला, धरना खत्म कर राजनिवास से निकल आए। पूर्व नियोजित योजना के मुताबिक पिछले सोमवार की शाम जब केजरीवाल धरने पर बैठे थे तो उन्हें पूरी उम्मीद थी कि वह उपराज्यपाल बैजल पर दबाव बनाने में कामयाब हो जाएंगे। लेकिन, इस बार हालात पहले जैसे न रहे।

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हालांकि केजरीवाल ने पहले सत्येंद्र जैन और बाद में मनीष सिसोदिया को अनशन पर बैठाकर भी दबाव बढ़ाना चाहा, लेकिन यह सूत्र भी काम नहीं आया। आम आदमी पार्टी के नेताओं ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिलने और राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री तक को पत्र लिखने का प्रपंच रचा, वह भी व्यर्थ रहा।

सूत्रों की मानें तो नौ दिन से करीब आठ बाई आठ के कमरे में ‘कैद’ होकर रह गए केजरीवाल की हिम्मत टूटने लगी थी। समझ आने लगा था कि इस बार धरने पर बैठ तो गए, लेकिन उठने का हिसाब बन ही नहीं रहा था। 

वहीं, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि धरने पर बैठना आसान है, लेकिन उठना बहुत मुश्किल। वह भी जब एक मुख्यमंत्री ऐसा करे। हालांकि इस बार केजरीवाल का ऐसा सबक मिला है कि अगली बार धरना देने से पहले कई बार सोचेंगे।

केजरीवाल को माननी पड़ी एलजी की सलाह
धरने के सियासी ड्रामे में बुरी तरह से फंसे मुख्यमंत्री केजरीवाल को आखिरकार उपराज्यपाल बैजल की ही सलाह माननी पड़ी। इस स्थिति से बाहर निकलने और अपनी इज्जत बचाने के लिए इसके अतिरिक्त उनके पास कोई चारा भी न था। जानकारी के मुताबिक यदि मुख्यमंत्री अब भी अपना धरना खत्म नहीं करते तो इनकी बहुत बुरी हालत होने वाली थी। आइएएस अधिकारी इनकी कलई खोल ही चुके थे, जनता का भी इनसे मोहभंग होता जा रहा है।

ट्विटर पर भी लोग केजरीवाल और आप सरकार के नेताओं को खूब खरी खोटी सुना रहे हैं। धरने के दो साथी भी अस्पताल जाकर आजाद हो गए। ऐसे में केजरीवाल और गोपाल राय धरना खत्म करने के बहाने खोज रहे थे। लिहाजा, जैसे ही उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा तो केजरीवाल ने भी समय बर्बाद नहीं किया।

हालांकि बैजल ने कोई नईं बात नहीं लिखी थी, न ही सरकार की कोई मांग मानी थी। बस यही कहा कि, मैंने पहले भी बार- बार यही कहा है कि अधिकारियों के बेहतर संबंध बनाने के लिए मुख्यमंत्री उनमें विश्वास बहाल करें। अब जबकि मुख्यमंत्री ने ट्वीट के जरिये अधिकारियों को उनकी सुरक्षा के लिए आश्वस्त किया है तो यह सराहनीय है। अधिकारियों ने भी इसका स्वागत किया है। इसलिए मुख्यमंत्री को तत्काल अधिकारियों से बैठक कर स्थिति सामान्य करनी चाहिए।


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