मानहानि में घिरे केजरीवाल को झटका, जनता के पैसे से नहीं लड़ सकेंगे मुकदमा
एएसजी ने अपने 14 पृष्ठ की सलाह में यह भी कहा कि संविधान के तहत जनता के पैसे का इस्तेमाल निजी उद्देश्यों के लिए करना अनुचित है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। अदालत में चल रहे मानहानि के मुकदमों के मामले में केजरीवाल वकीलों के खर्च को लेकर परेशानी में घिरते नजर आ रहे हैं। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ने दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल को सलाह दी है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का उन बयानों के मामले में बचाव करने के लिए जनता के पैसों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। जो बयान केजरीवाल ने निजी हैसियत से केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ दिए हैं।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन की ओर से यह राय इस बारे में उपराज्यपाल की ओर से पूछे गए सवालों के जवाब में आई है। जिसमें पूछा गया था कि क्या केजरीवाल के जेटली के खिलाफ बयान उनके आधिकारिक हैसियत में थे? क्या मुख्यमंत्री को सरकारी तौर पर एक विशेष अधिवक्ता मुहैया कराया जाना चाहिए?
इस पर जैन ने दोनों ही सवालों के जवाब नहीं में दिए और कहा कि केजरीवाल की ओर से अपने निजी ट्विटर अकाउंट पर दिए गए बयानों का उनकी आधिकारिक हैसियत या सार्वजनिक कर्तव्यों से कोई संबंध नहीं है। वे स्पष्ट रूप से अपनी व्यक्तिगत या निजी हैसियत में थे।
एएसजी ने अपने 14 पृष्ठ की सलाह में यह भी कहा कि संविधान के तहत जनता के पैसे का इस्तेमाल निजी उद्देश्यों के लिए करना अनुचित है।
उन्होंने उपराज्यपाल को सलाह दी है कि वह केजरीवाल का बचाव करने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी की नियुक्ति और अधिवक्ता को भुगतान सरकारी खजाने से करने के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दें। एएसजी ने कहा मुख्यमंत्री का पद जनता के पैसे के संरक्षक का होता है।
जनता के पैसे का इस्तेमाल कानून एवं निर्धारित प्रक्रियाओं के तहत ही हो सकता है। इसमें उच्च स्तर के वित्तीय अनुशासन का पालन होना चाहिए।
अरुण जेटली की ओर से दिल्ली उच्च न्यायालय में केजरीवाल और आप के पांच अन्य नेताओं के खिलाफ दायर दीवानी मामले में जेठमलानी दिल्ली के मुख्यमंत्री का बचाव कर रहे हैं।