कलाकार व हस्तशिल्प कामगार गैर-कृषि ग्रामीण भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं : हंसराज हंस
सांसद हंसराज हंस ने कहा कि आर्थिक समस्या का सामना कर रहे कलाकारों को यदि किसी प्रकार से राशि पहुंचाकर इनकी सहायता की जाए तो इनके लिए हितकारी होगा।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। उत्तर-पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से पद्मश्री भाजपा सांसद हंसराज हंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोरोना महामारी की वजह से आर्थिक तंगी से गुजर रहे कलाकारों की मदद का आग्रह किया है। उन्होंने पत्र में बताया है कि लॉकडाउन ने हस्तशिल्प कारीगरों, बड़े व छोटे कलाकारों व लोक गायकों को सबसे अधिक प्रभावित किया है। इन लोगों की आजीविका पर गहरा संकट मंडरा रहा है क्योंकि इनके आय के सभी साधन इस महामारी में प्रभावित हुए हैं।
उन्होंने लिखा है कि आर्थिक समस्या का सामना कर रहे इस वर्ग की संख्या भी काफी अधिक है। यदि किसी प्रकार से इन सभी को राहत राशि पहुंचाकर इनकी सहायता की जाए तो इनके लिए हितकारी होगा। हंसराज हंस ने आगे लिखा कि मौजूदा समय की परिस्थिति यह सुनिश्चित कर रही है कि एक वर्ष के लिए सभी कलाकारों, लोक गायकों और थियेटर अभिनेताओं समेत तकनीशियनों के पास आय का कोई स्त्रोत नहीं है। ऐसे में उन्हें दो जून की रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। कलाकार और हस्तशिल्प कामगार गैर-कृषि ग्रामीण भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। भारतीय कलाकार और कारीगर धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, पिछले 30 वर्षों में भारतीय कारीगरों की संख्या में 30 प्रतिशत तक की कमी आई है। सांसद ने लिखा है कि भारत में शिल्प क्षेत्र बहुत असंगठित और अनौपचारिक है, जिसमें 42 प्रतिशत कारीगर अपने घरों से बाहर काम कर रहे हैं। इनमें शिक्षा का भी अभाव है।
सांसद ने यह भी लिखा है कि इस वार्षिक बजट 2020-21 में संस्कृति मंत्रालय को 3,150 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो पिछले वर्ष के बजट की तुलना में 108 करोड़ रुपये अधिक हैं। यदि संस्कृति मंत्रालय इस राशि को जमीनी स्तर पर संगीतकारों और शिल्पकारों के लिए मामूली रूप से उपयोग करे तो यह महामारी की दौरान प्रभावित कलाकारों और उनके परिवारों को बचाने में मददगार साबित होगा। इसके लिए स्वीकृत अनुदान या सहायता को छोटे कारीगरों के व्यक्तिगत खातों में स्थानांतरित किया जाना चाहिए।