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Article 370: दिल्ली में रहने वाले कश्मीरी विस्थापितों के लिए खुशखबरी, जल्द पूरी होगी ये मांग

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद केंद्र सरकार के निर्देश पर दिल्ली में जल्द ही जम्मू-कश्मीर विस्थापितों की गणना होने जा रही है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 22 Aug 2019 06:38 PM (IST)Updated: Thu, 22 Aug 2019 10:23 PM (IST)
Article 370: दिल्ली में रहने वाले कश्मीरी विस्थापितों के लिए खुशखबरी, जल्द पूरी होगी ये मांग
Article 370: दिल्ली में रहने वाले कश्मीरी विस्थापितों के लिए खुशखबरी, जल्द पूरी होगी ये मांग

नई दिल्ली [वी.के.शुक्ला]। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद केंद्र सरकार के निर्देश पर दिल्ली में जल्द ही जम्मू-कश्मीर विस्थापितों की गणना होने जा रही है। इसके तहत जम्मू -कश्मीर विस्थापितों की सूची में नाम जोड़ने व हटाने का काम शुरू होगा। 1990 के बाद पहली बार यह गणना की जाएगी।

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दिल्ली में अभी करीब पांच हजार लोगों के नाम विस्थापितों की सूची में दर्ज हैं। जबकि दिल्ली में विस्थापितों की संख्या 25 हजार के करीब है। हालांकि माना जा रहा है कि 1990 में बहुत से लोग इस सूची में नाम दर्ज कराने से रह गए थे।
2200 लोगों को पेंशन देती है सरकार
सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक, दिल्ली में जम्मू-कश्मीर विस्थापितों की संख्या 5 हजार के करीब है। जिसमें से 22 सौ लोगों को सरकार पेंशन देती है। पहले प्रति व्यक्ति के हिसाब से इन्हें 25 सौ की पेंशन मिलती थी। मगर 13 जून, 2018 से यह पेंशन प्रति व्यक्ति प्रति माह 3250 की गई है। हालांकि इस पेंशन की अधिकतम राशि 13 हजार है। यानि किसी परिवार में चाहे कितने भी सदस्य हों लेकिन अधिकतम पेंशन 13 हजार ही मिलती है।

दिल्ली में विस्थापितों को मतदान की अनुमति नहीं
इसके अलावा विस्थापितों को आज भी दिल्ली के किसी भी चुनाव में मतदान की अनुमति नहीं है। ये लोग जम्मू-कश्मीर के चुनाव में ही हिस्सा ले सकते हैं। कश्मीरी विस्थापित लंबे समय से उनकी गणना सूची की समीक्षा की मांग कर रहे थे। कई लोगों की अब मौत हो चुकी है तथा तमाम नए लोग अब कश्मीरी विस्थापितों में शामिल हो चुके हैं। जो लोग 1990 में जम्मू-कश्मीर से आए थे उनके बच्चों के भी परिवार बस चुके हैं। लेकिन सरकारी दस्तावेजों में उनके नाम दर्ज नहीं हैं।

केंद्र सरकार ने दिए हैं गणना के आदेश 
दिल्ली सरकार के अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार ने गणना किए जाने के निर्देश दिए हैं। जिसके आधार पर हम लोग जल्द ही यह कार्य शुरू कराने जा रहे हैं। इस कार्य के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार से उनकी मतदाता सूची मंगवाई गई है। उसके आधार पर विस्थापितों की सूची तैयार की जाएगी। जम्मू कश्मीर विस्थापितों को हक दिलाने के लिए लड़ाई लड़ रहे आरटीआइ कार्यकर्ता मनोज कौल कहते हैं कि दिल्ली में रह रहे जम्मू-कश्मीर विस्थापितों की हालत आज 29 साल बाद भी ठीक नहीं है। इन लोगों के लिए अभी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है।

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