DU admission: दाखिले के लिए इसी माह शुरू होगी आवेदन प्रक्रिया
दाखिला पारदर्शी रहे, इसके लिए कॉलेजों के प्रिंसिपलों को निर्देश दिया जाएगा कि कटऑफ में कोई छेड़छाड़ न हो।
नई दिल्ली (अभिनव उपाध्याय)। दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) में शैक्षणिक सत्र 2018-19 के लिए स्नातक स्तरीय आवेदन प्रक्रिया अप्रैल के तीसरे सप्ताह में शुरू होगी। हालांकि, पहले प्रक्रिया अप्रैल के पहले हफ्ते में शुरू करने की बात कही गई थी। वहीं, आवेदन प्रक्रिया को पूरी तरह से सभी विषयों के लिए एकीकृत करने की तैयारी पूरी कर ली गई है।
डीयू में दाखिला समिति से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि आवेदन प्रक्रिया अप्रैल के तीसरे सप्ताह में शुरू हो जाएगी। दाखिले के लिए डीयू जिन विषयों में प्रवेश परीक्षा लेता है, पहले उन विषयों के लिए छात्रों को अलग आवेदन करना होता था, लेकिन अब छात्रों को एक ही पोर्टल पर आवेदन करना होगा।
दाखिला समिति के पास सबका डाटा होगा। प्रवेश परीक्षा वाले विषय के विभाग समस्त जानकारी हमारे पोर्टल से लेंगे। आवेदकों को कोई परेशानी न हो इसके लिए वेबसाइट को सुगम बनाया गया है और पेमेंट गेटवे को भी बेहतर किया जा रहा है।
हालांकि पहले रजिस्ट्रेशन शुरू किया जाएगा, जिसमें आवेदन शुल्क देने की आवश्यकता नहीं होगी। छात्र अपनी समस्त जानकारी देंगे और बाद में उसे अपटेड भी कर सकेंगे। आवेदन से संतुष्ट होने के बाद वे आवेदन शुल्क भर सकते हैं। इसके लिए सीबीएसई के परीक्षा परिणाम का इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है।
यानी डीयू सत्र 2018-19 में दाखिला प्रक्रिया और व्यवस्था पूरी तरह केंद्रीयकृत करने की तैयारी कर रहा है। यही नहीं दाखिला समिति की नजर प्रिंसिपलों के क्रियाकलाप पर भी रहेगी।
आमतौर पर कई मामलों में कॉलेज अपने हिसाब से नियम तय करते हैं और पहले भी दाखिला प्रक्रिया में उनकी मनमानी की बात सामने आई थी, जिसकी शिकायत डीयू के वरिष्ठ अधिकारियों से अभिभावकों ने की थी।
इसके बाद हुई दाखिला समिति की बैठक में निर्णय लिया गया कि दाखिला प्रक्रिया को मजबूत केंद्रीयकृत व्यवस्था में बदलने और नियमों का सख्ती से पालन कराने के लिए प्रिंसिपलों पर समिति दबाव बनाएगी।
दाखिला समिति से जुड़े एक सदस्य का कहना है कि दाखिला पारदर्शी रहे, इसके लिए कॉलेजों के प्रिंसिपलों को निर्देश दिया जाएगा कि कटऑफ में कोई छेड़छाड़ न हो।
इस संबंध में गड़बड़ी की शिकायत आती है तो तुरंत कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा केंद्रीय सर्वर से कितने दाखिले हुए और कितनी सीटें खाली हैं, इसकी जानकारी भी समिति को होगी इसलिए इस बार मनमानी की आशंका न के बराबर है। समिति द्वारा बनाए गए नियम कॉलेज प्रिंसिपल को मानने होंगे। इसमें कॉलेज अपने स्तर पर कोई बदलाव नहीं कर सकते हैं।
दाखिला समिति से जुड़े एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि छात्रों को दाखिला देना या न देना, उनका प्रमाणपत्र की सत्यता की पुष्टि करना कॉलेजों का उत्तरदायित्व है। यदि उनके यहां फर्जी दाखिले का मामला आता है तो कॉलेज उसे निरस्त करेगा। हाल के मामलों में भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी, लेकिन भविष्य में कोई गलती कॉलेजों से न हो इसके लिए डीयू भी पूरी चौकसी बरतेगा।
जल्द ही कॉलेजों को निर्देश भेजा जाएगा कि वे स्नातक में दाखिला लेने वाले छात्रों का नाम, अनुक्रमांक व 12वीं बोर्ड का ब्योरा अपनी वेबसाइट पर डालें ताकि पता चल सके कि छात्र ने फर्जी बोर्ड से दाखिला लिया है या वास्तविक बोर्ड से।
वहीं, अनुक्रमांक से छात्र की मार्कशीट भी सामने आ जाएगी, इससे पता चलेगा कि कॉलेज की कटऑफ में छात्र के अंक आने पर दाखिला दिया गया है या कॉलेज द्वारा फर्जीवाड़ा किया गया है।