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दिल्ली के अलावा इन-इन राज्यों में भी इस्तेमाल होगी बायो डि-कंपोजर तकनीक, प्रदूषण से मिलेगी राहत

राज्य सरकारों / सड़कों के स्वामित्व वाली एजेंसियों और नगर निकायों को भी निर्देश जारी किए गए हैं। निर्माण और विध्वंस गतिविधियों से वायु प्रदूषण के नियंत्रण के संबंध में भी धूल नियंत्रण उपायों के साथ निर्देश जारी किए गए हैं। समर्पित वेब-पोर्टल और परियोजनाओं की कड़ी निगरानी की जाएगी।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 01:51 PM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 01:51 PM (IST)
दिल्ली के अलावा इन-इन राज्यों में भी इस्तेमाल होगी बायो डि-कंपोजर तकनीक, प्रदूषण से मिलेगी राहत
समर्पित वेब-पोर्टल और परियोजनाओं की कड़ी निगरानी की जाएगी।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। पराली प्रबंधन के लिए इस साल बायो डि-कंपोजर तकनीक का इस्तेमाल दिल्ली ही नहीं, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में भी होगा। केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निर्देश पर इन सभी राज्यों ने आयोग के फ्रेमवर्क पर आधारित जो एक्शन प्लान तैयार किया है, उसमें भी इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है। आयोग के अध्यक्ष एम.एम कुटटी और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा बुधवार देर शाम ट्वीट के जरिये दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की रोकथाम के लिए पंजाब सहित एनसीआर से संबंद्ध सभी राज्यों के विंटर एक्शन प्लान के मुख्य बिंदु साझा किए।

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इसके मुताबिक इस वर्ष दिल्ली में चार हजार एकड़, उत्तर प्रदेश में छह लाख एकड़, हरियाणा में एक लाख एकड़ व पंजाब में 7,413 एकड़ कृषि योग्य भूमि पर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा द्वारा विकसित बायो डिकंपोजर तकनीक के इस्तेमाल की कार्ययोजना तैयार की गई है।प्रत्येक एनसीआर राज्य में एक इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आइटीएमएस) विकसित करने सहित सुचारू यातायात प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से निगरानी और कदम उठाने को टास्क फोर्स के गठन की परिकल्पना भी की गई है।

लैंडफिल साइटों में बायोमास / ठोस अपशिष्ट जलने और खुले में आग पर नियंत्रण के लिए राज्यवार कार्य योजना तैयार की गई है, जिसमें प्रवर्तन टीमों की तैनाती, त्वरित शिकायत निवारण और आइटी सक्षम प्लेटफार्म के माध्यम से सुधारात्मक कार्रवाई पर ध्यान केंद्रित किया गया है।इसके अलावा धूल नियंत्रण और प्रबंधन प्रकोष्ठ के जरिये सड़कों / खुले क्षेत्रों से धूल कम करने के लिए एनसीआर की राज्य सरकारों / सड़कों के स्वामित्व वाली एजेंसियों और नगर निकायों को भी निर्देश जारी किए गए हैं। निर्माण और विध्वंस गतिविधियों से वायु प्रदूषण के नियंत्रण के संबंध में भी धूल नियंत्रण उपायों के साथ निर्देश जारी किए गए हैं। समर्पित वेब-पोर्टल और परियोजनाओं की कड़ी निगरानी की जाएगी।


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