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यूपीः मधुरा के बाद हाथरस जिले में जमीन घोटाला, 'अपनों' को पहुंचाया करोड़ों का फायदा

हाथरस में यमुना एक्सप्रेस वे की जमीन अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को सात फीसद आबादी का भूखंड देने के नाम पर करोड़ों रुपये की जमीन बेवजह खरीदी गई।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 20 Jun 2018 09:05 AM (IST)Updated: Wed, 20 Jun 2018 10:00 AM (IST)
यूपीः मधुरा के बाद हाथरस जिले में जमीन घोटाला, 'अपनों' को पहुंचाया करोड़ों का फायदा
यूपीः मधुरा के बाद हाथरस जिले में जमीन घोटाला, 'अपनों' को पहुंचाया करोड़ों का फायदा

नोएडा (जेएनएन)। यमुना प्राधिकरण के अधिकारियों ने किसानों की आड़ में हाथरस में भी जमीन घोटाला किया। इससे पहले मथुरा का मामला सामने आ चुका है। हाथरस में यमुना एक्सप्रेस वे की जमीन अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को सात फीसद आबादी का भूखंड देने के नाम पर करोड़ों रुपये की जमीन बेवजह खरीदी गई। आगरा, मथुरा जिले के प्रभावित किसानों को भी हाथरस जिले में सात फीसद आबादी भूखंड देने के लिए करोड़ों की जमीन खरीद डाली। जबकि, सात फीसद भूखंड विस्थापित किसानों के गांवों के नजदीक दिए जाते हैं।

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प्रारंभिक जांच में घोटाला सामने आने के बाद चेयरमैन व मेरठ मंडल के कमिश्नर डॉ. प्रभात कुमार के निर्देश पर सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने महाप्रबंधक नियोजन को विस्तृत जांच सौंप दी है। यमुना एक्सप्रेस वे हाथरस जिले में मुढ़ावली गांव से होकर गुजरता है। एक्सप्रेस वे के लिए प्राधिकरण ने गांव की 42 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की थी।

जमीन अधिग्रहण से प्रभावित किसानों के आबादी भूखंड के नाम पर अधिकारियों ने खेल कर दिया। किसानों को सात फीसद आबादी भूखंड देने के लिए मास्टर प्लान के बाहर जाकर हाथरस जिले में जमीन खरीदी गई। इसका असल मकसद अपने लोगों को करोड़ों रुपये का फायदा पहुंचाना था, इसलिए पहले उनके करीबियों ने सस्ते दाम पर किसानों से जमीन खरीदी।

इसके बाद उनसे प्राधिकरण ने जमीन खरीद ली। अपनों को अधिक से अधिक फायदा पहुंचाने के लिए अधिकारियों ने नियमों को भी पूरी तरह से ताक पर रख दिया। नोएडा के रमेश बंसल ने नवंबर में इसकी शिकायत प्राधिकरण चेयरमैन एवं मेरठ मंडल कमिश्नर से की थी। उन्होंने प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारियों पर गलत तरीके से जमीन खरीद फरोख्त कर अपने रिश्तेदार एवं परिचितों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया था।

मुआवजा उठाकर जमीन खरीदी, फिर उठाया मुआवजा

चेयरमैन ने हाथरस में हुई जमीन खरीद की प्रारंभिक जांच कराई तो कई हैरान करने वाली बात सामने आई। मथुरा जमीन घोटाले में जिन कंपनियों एवं लोगों के नाम सामने आए थे। वे ही हाथरस जमीन घोटाले में भी शामिल मिले। उन्होंने पहले मथुरा में किसानों से कौड़ियों के भाव जमीन खरीदकर करोड़ों रुपये मुआवजा उठाया। मुआवजे की कुछ रकम से हाथरस में कौड़ियों के दाम जमीन खरीदकर फिर से प्राधिकरण को बेचकर करोड़ों के वारे न्यारे किए।

मुख्यमंत्री व कमिश्नर की नाराजगी के बाद सक्रिय हुई पुलिस

मथुरा जमीन खरीद में 126 करोड़ के घोटाले में प्राधिकरण के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता समेत 21 के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। तीन सप्ताह बीत जाने के बावजूद पुलिस आरोपितों को पकड़ नहीं पाई है। इस पर मेरठ मंडल के कमिश्नर डॉ. प्रभात कुमार ने एडीजी जोन प्रशांत कुमार, आइजी रामकुमार व एसएसपी डा. अजयपाल शर्मा को फोन कर नाराजगी जाहिर की। मामला मुख्यमंत्री तक पहुंच गया है।

उन्होंने भी पुलिस के आला अफसरों को तत्काल कड़े और प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए। इसके बाद पुलिस आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए सक्रिय हो गई है। एसएसपी ने कई टीम बनाकर आरोपितों को गिरफ्तार करने के निर्देश दिए हैं। मामले में पुलिस ने विवेचना टीम का गठन किया है।

डॉ. अरुणवीर सिंह (सीईओ यमुना प्राधिकरण) के कहा कि हाथरस जिले में प्राधिकरण की बिना आवश्यकता के जमीन खरीदने की शिकायत चेयरमैन से की गई थी। इसकी जांच महाप्रबंधक नियोजन को सौंपी गई है। उन्हें जल्द से जल्द जांच रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं।


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