हरियाणा फिर शर्मसारः रेवाड़ी में छात्रा के बाद अब महिला से सामूहिक दुष्कर्म
जिले की एक महिला के साथ भी इसी तरह की घटना सामने आई है। महिला का आरोप है कि दो लोगों ने अपहरण कर उसके साथ खेत में दरिंदगी की गई है।
नई दिल्ली/रेवाड़ी (जेएनएन)। हरियाणा के रेवाड़ी में 19 वर्षीय छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म की घटना में पुलिस अभी तक सभी आरोपियों को गिरफ्तार भी नहीं कर पाई है, इस बीच जिले की एक महिला के साथ भी इसी तरह की घटना सामने आई है। महिला का आरोप है कि दो लोगों ने अपहरण कर उसके साथ खेत में दरिंदगी की गई है। वहीं, सोमवार को महिला की शिकायत पर जींद पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली है। सामूहिक दुष्कर्म की शिकार पीड़िता विधवा बताई जा रही है।
वहीं, छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म मामले में पुलिस बाकी बचे आरोपियों को गिरफ्तार करने में जुटी है।
यह है मामला
पुलिस में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार बुधवार को रेलवे की परीक्षा की कोचिंग के लिए पीड़िता कनीना गई थी। कनीना पहुंचने के बाद उसी के गांव निवासी पंकज, मनीष व नीशु ने उसे रोक लिया तथा कोचिंग के बारे में पूछने लगे। इसी दौरान मनीष ने छात्रा को पीने के लिए पानी दिया तथा पानी पीने के बाद वह बेहोश हो गई। छात्रा का आरोप है कि तीनों उसे एक खेत में ले गए तथा उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। छात्रा ने किसी तरह अपने पिता को घटनाक्रम की जानकारी दी, जिसके बाद परिजन मौके पर पहुंचे तथा छात्रा को अस्पताल में भर्ती कराया।
हालत बिगड़ने पर झोलाछाप को बुलाकर लाए थे आरोपी
कनीना से अपहरण के बाद 12 सितंबर को रेवाड़ी-झज्जर जिले की सीमा पर खेतों में ले जाकर जिस युवती से सामूहिक दुष्कर्म किया गया था उसका स्वास्थ्य बिगड़ गया था। अत्यधिक रक्तस्राव होने के कारण आरोपियों में से एक ने अपने एक परिचित झोलाछाप को उस कुएं पर बुलवाया था, जहां पर दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया था।
बस स्टैंड पर छोड़कर फरार हो गए आरोपी
सूत्रों के अनुसार छात्रा को कुएं पर ले जाने के बाद एक आरोपी नीशु ने फोन करके कुछ युवकों को बुलवाया था। दरिदंगी के बाद जब स्वास्थ्य बिगड़ा तो एक आरोपी ने किसी गांव से झोलाछाप को फोन पर कुएं पर बुलाया था। उसने छात्रा की हालत देखने के बाद उपचार के लिए मना कर दिया। इसके बाद आरोपी पीड़ित छात्र को गांव के एक अन्य चिकित्सक के पास लेकर गए जहां पर चिकित्सक ने उसको दवा दी। इसके बाद भी जब स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ तो आरोपी छात्रा को कनीना बस स्टैंड पर छोड़कर फरार हो गए।
नीशु ने रची थी प्लानिंग
एसपी नाजनीन भसीन ने बताया कि दीनदयाल उस ट्यूबवेल का मालिक है, जहां यह घटना हुई। डॉक्टर संजीव को भी अब तक इस मामले में शामिल पाया गया है। मुख्य आरोपी नीशु था। उसने ही पहले से प्लानिंग की थी और डॉक्टर को भी उसने ही बुलाया था।
100 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई
एसपी भसीन ने कहा कि मामले में सेना का जो जवान शामिल था वह फिलहाल पकड़ा नहीं गया है। हम उसे जल्द गिरफ्तार कर लेंगे। डॉक्टर संजीव को इस मामले में शामिल पाया गया है, क्योंकि वह जानता था कि तीन लड़कों ने उस लड़की को पकड़ रखा है। वह अंत तक प्लान में शामिल रहा और उसने किसी को कुछ नहीं बताया। भसीन ने बताया कि रेवाड़ी गैंगरेप मामले में 100 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई थी। दीनदयाल को पता था कि उसके ट्यूबवेल पर क्या हो रहा है। जांच में पता चला है कि नीशु ने उससे फोन पर बात की थी और बताया था कि उन्हें एक कमरे की जरूरत है। यह सब प्लानिंग के साथ हुआ था।
छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म में कई पुलिसवाले नपे
इस मामले में एसपी राजेश दुग्गल का तबादला करने के बाद राज्य सरकार की ने अब एसएमओ (सीनियर मेडिकल आफिसर) डा. सुदर्शन पंवार को निलंबित कर दिया है। उनके खिलाफ नियम 7 के तहत कार्रवाई की गई है। स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आरआर जोवल ने उनके निलंबन के आदेश जारी किए हैं। हालांकि फिलहाल जोवल ने अपने आदेश में निलंबन के कारण नहीं बताए हैं, लेकिन यह तय है कि यह गाज सामूहिक दुष्कर्म के मामले में हुई लापरवाही की वजह से ही गिरी है। पीड़िता की मां ने एक दिन पहले ही यह आरोप लगाया था कि अस्पताल प्रशासन उन्हें ही बेटी से मिलने नहीं दे रहा है। इसके अलावा पीड़िता की मां ने अस्पताल को भी बूचड़खाना करार दे दिया था। इसके बाद डैमेज कंट्रोल के लिए एक के बाद एक कई वरिष्ठ अधिकारी अस्पताल पहुंचे थे। सोमवार को को पीड़िता की मां ने किसी तरह का आरोप नहीं लगाया। हालांकि आरोपों की सही जानकारी चार्जशीट जारी होने के बाद ही लगेगी। सिविल सर्जन डा. कृष्ण कुमार ने जागरण से बातचीत में कहा कि अभी एसएमओ का दायित्व किसी को नहीं दिया गया है। उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि उनके पास आदेश पहुंच चुके हैं।
डीएनए रिपोर्ट से कसेगा दुष्कर्मियों पर शिकंजा
देश व प्रदेश को झकझोरने वाले रेवाड़ी के सामूहिक दुष्कर्म कांड में पुलिस के सामने तीन में से दो मुख्य आरोपितों को पकड़ने की चुनौती तो है ही, साथ ही सजा दिलवाने के लिए सबूत जुटाने व उन्हें अदालत में सिद्ध करने की चुनौती भी है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार मेडिकल जांच से यह तो साबित हो जाता है कि दुष्कर्म हुआ या नहीं, लेकिन यह साबित नहीं हो सकता कि दुष्कर्म में कितने लोग शामिल थे। ऐसी स्थिति में मेडिकल जांच की बजाय दुष्कर्मियों पर डीएनए की रिपोर्ट से शिकंजा कसा जाएगा।
पुलिस ने नागरिक अस्पताल द्वारा 12-13 सितंबर की रात लिए गए जरूरी सैंपल मधुबन स्थित प्रयोगशाला भेजे हुए हैं। आमतौर पर वहां से रिपोर्ट आने में महीनों लग जाते हैं, लेकिन इस मामले में देरी नहीं होगी। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि संयोग से सरकार ने एडीजीपी साउथ रेंज श्रीकांत जाधव को ही मधुबन लैब की कमान सौंपी हुई है। जाधव साउथ रेंज के एडीजीपी के साथ-साथ वहां के निदेशक भी हैं।
उनके अनुसार तीन दिन में बायोलाजिकल टेस्ट व इसके बाद सात दिन में डीएनए की रिपोर्ट आ जाएगी। सीनियर मेडिकल आफिसर डॉ. सुदर्शन पंवार ने जागरण से बातचीत में कहा कि हम यह तो कह सकते हैं कि दुष्कर्म हुआ, लेकिन मेडिकल जांच के आधार पर हमारे लिए यह कहना संभव नहीं है कि दुष्कर्म की घटना में कुल कितने लोग शामिल थे। रेवाड़ी के सामूहिक दुष्कर्म कांड के दौरान ऐसी चर्चाएं भी आई कि दुष्कर्म करने वाले तीन से अधिक थे। डीएनए रिपोर्ट से कानून के सामने सही तस्वीर आ जाएगी।
एडीजीपी श्रीकांत जाधव का कहना है कि डीएनए जांच पूरी तस्वीर स्पष्ट कर देगी। हमें 10 दिन में रिपोर्ट मिल जाएगी। यह रिपोर्ट दोषियों को सजा दिलवाने में मजबूत आधार बनेगी। इसके अलावा भी पुलिस घटनास्थल से सबूत जुटा चुकी है। सबूत जुटाने का काम अभी भी जारी है। शेष दो आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस प्रयासरत है। सरकार से आदेश मिलने पर या जरूरत पड़ने पर कनीना व रेवाड़ी महिला थाना प्रभारी के खिलाफ जांच भी की जा सकती है।