जामिया हिंसा की बरसी पर बटला हाउस में कैंडल मार्च, शाहीनबाग में धरना-प्रदर्शन को लेकर बढ़ी सुरक्षा
सीएए व एनआरसी के विरोध में जामिया नगर में हुई हिंसा व दंगे और शाहीन बाग में शुरू हुए धरने का एक साल पूरा होने पर मंगलवार को बटला हाउस में कुछ लोगों ने 15 दिसंबर को काला दिवस घोषित कर कैंडल मार्च निकाला।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। सीएए व एनआरसी के विरोध में जामिया नगर में हुई हिंसा व दंगे और शाहीन बाग में शुरू हुए धरने का एक साल पूरा होने पर मंगलवार को बटला हाउस में कुछ लोगों ने 15 दिसंबर को काला दिवस घोषित कर कैंडल मार्च निकाला। वहीं, ट्विटर पर 28 सेकंड के वीडियो के साथ की गई एक पोस्ट के साथ यूजर ने लिखा है कि यह वीडियो उन्हें जामिया के छात्र ने भेजी है और बताया है कि कैंडल मार्च में शामिल उमर खालिद की मां को भी पुलिस ने हिरासत में लिया है। 17 सेकंड के एक अन्य वायरल वीडियो में भी पुलिस कुछ लोगों को ले जाते हुए दिख रही है।
बताया जा रहा है कि हिरासत में लिए गए कुछ प्रदर्शनकारियों को लाजपत नगर थाने में रखा गया है। हालांकि पुलिस अधिकारियों ने दोनों ही वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं की है। दक्षिण-पूर्वी जिले के पुलिस उपायुक्त राजेंद्र प्रसाद मीणा ने बताया कि सीएए विरोधी प्रदर्शन की बरसी मनाने के लिए मंगलवार को बटला हाउस में कुछ लोग जुटे थे। उनमें तीन महिलाएं भी शामिल थी। उन्हें भी पुलिस ने मौके से हटा दिया है। वहीं, फेसबुक पर कुछ लोग 15 दिसंबर को याद रखा जाएगा, जुल्मो सितम को याद रखा जाएगा...
वो आंसू अभी तक रुके नहीं हैं, वो लहू अभी तक सूखा नहीं है....
जैसी कविताएं भी पोस्ट कर रखी हैं।
ट्विटर पर पोस्ट होने के कुछ ही देर में यह वीडियो इंटरनेट मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर वायरल हो गया। ट्विटर पर कुछ ही देर में वीडियो को हजारों लोगों ने देखा और री-ट्विटर करने के साथ ही कमेंट भी किया। इसके बाद कानून-व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए बटला हाउस, जामिया नगर, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, शाहीन बाग आदि इलाकों में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया। पुलिस यह ध्यान रख रही है कि कहीं पर भी भीड़ एकत्र न हो पाए और न ही कोई शाहीन बाग या जामिया मिल्लिया के सामने सड़क पर प्रदर्शन कर पाए।
दो सप्ताह से चल रही थी गुपचुप तैयारी
बताया जा रहा है कि 15 दिसंबर को जामिया हिंसा की बरसी मनाने के लिए प्रदर्शनकारी करीब दो सप्ताह से गुपचुप बैठकें कर रहे थे। इसे लेकर पुलिस व खुफिया एजेंसियां पहले से ही सतर्क थीं। जांच एजेंसियों की सबसे बड़ी चिंता यह थी कि कहीं कैंडल मार्च या बरसी मनाने के बाद प्रदर्शनकारी फिर से किसी सड़क पर धरने पर न बैठ जाएं। इसलिए उन्हें मौके से हटा दिया गया। वहीं, इंटरनेट मीडिया में इस बारे में कई वीडियो वायरल कर बताया जा रहा है कि उन्हें कैंडल मार्च नहीं निकालने दिया गया।
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