अंकित हत्याकांड: बेटे के याद कर छलका पिता का दर्द, बोले- अब हमदर्दी के बोल भी सुनने को नहीं मिलते
'अंकित की मौत के बाद बड़े-बड़े लोग आए, बड़ी-बड़ी बातें कहीं, दिलासा दी, लेकिन तीन महीने बाद यह कहने में तनिक भी हिचक नहीं है कि अधिकांश बातें अब तक खोखली साबित हो रही है।'
नई दिल्ली [जेएनएन]। 'परिवार का इकलौता कमाने वाला जब दुनिया से चला जाए तो किसी पर क्या बीतेगी, इसे बयां कर पाना मुश्किल है। पिछले तीन महीने से मैं किस परिस्थिति में जी रहा हूं यह मैं ही जानता हूं। यह तो मेरे पड़ोसी हैं, गली वाले हैं, जो दुख की हर घड़ी में मेरे साथ खड़े हैं। अंकित की मौत के बाद बड़े-बड़े लोग आए, बड़ी-बड़ी बातें कहीं, दिलासा दी, लेकिन तीन महीने बाद यह कहने में तनिक भी हिचक नहीं है कि अधिकांश बातें अब तक खोखली साबित हो रही है।'
हमदर्दी के बोल भी सुनने को नहीं मिलते
अंकित के पिता बताते हैं कि घटना के समय लोगों का रेला लगा रहा। लेकिन, जैसे बाढ़ का पानी एकाएक आता है और फिर फैल जाता है, उसी तरह लोग भी आए और चले गए। अब तो हमदर्दी के बोल भी कहीं से सुनने को नहीं मिलते। यह तो मीडिया है जिसने अभी तक हम लोगों का साथ दिया है।
हर जरूरत का खयाल रखते हैं पड़ोसी
अंकित के पिता बताते हैं कि सरकार की ओर से अभी तक उन्हें किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिली है। परिवार का गुजारा पड़ोसियों व मोहल्ले वालों के सहयोग से हो रहा है। ये लोग ऐसे हैं, जो मेरी हर जरूरत का खयाल रखते हैं। यहां तक कि ये मुझे अकेलापन भी महसूस नहीं होने देते।
सोशल मीडिया पर चला रखी है मुहिम
अंकित के सभी दोस्त रोजाना मुझसे मिलने आते हैं। हम लोगों ने अंकित के नाम से सोशल मीडिया पर मुहिम चला रखी है। इसमें न सिर्फ देश बल्कि विदेश से भी लोगों का साथ मिल रहा है। अमेरिका, यूरोप, पूर्वी एशियाई देशों के कई लोग हमसे जुड़े हैं और हमसे एकजुटता जता रहे हैं।
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