Joe Biden: जो बाइडेन के सत्ता संभालते ही आइएसए में शामिल होगा अमेरिका
2015 में आइएसए के गठन में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ ही फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रास्वां ओलांद एवं अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने विशेष भूमिका निभाई थी। बराक ओबामा डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं।
नई दिल्ली/गुरुग्राम [आदित्य राज]। Joe Biden: सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए गठित अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आइएसए) में अमेरिका के भी शामिल होने की उम्मीद बढ़ गई है। यह उम्मीद अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन की जीत से बढ़ी है। वर्ष 2015 के दौरान आइएसए के गठन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रास्वां ओलांद एवं अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने विशेष भूमिका निभाई थी। बराक ओबामा डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। बताया जाता है कि उन्होंने जो बाइडेन की जीत में विशेष भूमिका निभाई। यही नहीं पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के विचारों से जो वाडसन काफी प्रभावित बताए जाते हैं। ऐसे में उम्मीद है कि जल्द ही अमेरिका आइएसए का सदस्य हाेगा।
जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखकर सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 30 नवंबर 2015 को पेरिस सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के गठन का निर्णय लिया गया था। इसमें भारत, फ्रांस एवं अमेरिका ने विशेष भूमिका निभाई थी। बराक ओबामा चाहते थे कि आइएसए के ऊपर तेजी से काम हो लेकिन राष्ट्रपति के पद से उनके हटते ही अमेरिका आइएसए से अलग हो गया। अब फिर से उम्मीद जगी है। बराक ओबामा की तरह ही अमेरिकी के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के पक्षधर बताए जाते हैं। ऐसे में सत्ता हस्तांतरण के कुछ ही समय बाद अमेरिका आइएसए का सदस्य देश बन सकता है।
70 देश आइएसए के सदस्य बन चुके हैं
शुरू में आइएसए को कर्क व मकर रेखा के बीच आने वाले देशों का संगठन ही बनाने की बात थी लेकिन अब संयुक्त राष्ट्र के सभी देशों को भी इसमें शामिल करने की तैयारी चल रही है। फिलहाल आइएसए के दायरे में कर्क व मकर रेखा के बीच आने वाले 122 देश आते हैं। इनमें से 70 देश सदस्य बन चुके हैं। सदस्य बनने की सहमति 88 देशों ने दे रखी है। बता दें कि आइएसए का मुख्यालय गुरुग्राम में है। फिलहाल सचिवालय का काम राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान के सूर्य भवन में किया जा रहा है। जल्द ही संस्थान के परिसर में ही सचिवालय का निर्माण शुरू होेने की उम्मीद है।
अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के महानिदेशक उपेंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि अमेरिका को सदस्य के रूप में स्वागत करने के लिए आइएसए तैयार है। उसके सदस्य बनते ही आइएसए का काम और तेजी से आगे बढ़ेगा। यही नहीं संयुक्त राष्ट्र के सभी देश आइएसए के सदस्य होंगे। इस बारे में तेजी से काम चल रहा है। जहां तक सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने का सवाल है तो सदस्य बन चुके अधिकतर देशों में तेजी से काम चल रहा है। बढ़ावा देने के लिए आइएसए की ओर कई स्तर पर प्रयास किए गए हैं। सभी देश एक-दूसरे से अपनी जानकारी शेयर करने लगे हैं।
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