यूपी वाले श्रीवास्तव परिवार का कमाल, बताया लॉकडाउन में 'जाऊं तो जाऊं कहा'
छोटा सा नाटक हमें बहुत बड़ा संदेश दे रहा है कि इस समय अगर बाहर जाने के लिए आपका जी मिचलाए तो एक बार परिवार के बारे में जरूर सोचें तो खुद ही आपके कदम घर के अंदर ही ठहर जाएंगे।
नई दिल्ली [रितु राणा]। लॉकडाउन में अगर आप लोगों का दिल भी बेवजह बाहर जाने के लिए मचलता है तो उसे संभाल लें। मन नहीं लगता तो परिवार के साथ समय बिताएं या आपस में मिलकर कोई खेल खेल लें। इससे मन बहल जाएगा और आपका मानोरंजन भी हो जाएगा.....'जाऊं तो जाऊं कहां' यह छोटा सा नाटक आप तक बहुत बड़ा संदेश पहुंचा रहा है।
लॉकडाउन में दिल्ली के महरौली क्षेत्र में फंसे गोरखपुर निवासी रंगकर्मी अरुण कुमार श्रीवास्तव (67) ने अपने पूरे परिवार के साथ मिलकर कोरोना के प्रति जन जागरूकता के लिए 'जाऊं तो जाऊं कहां ' नाम से चार मिनट का नाटक अरुणोदय कला संगम नाम के अपने यूट्यूब चैनल पर पोस्ट किया है। इस नाटक में उनकी पत्नी मोहिनी श्रीवास्तव, बेटा प्रवीण श्रीवास्तव, बहु दीपाली श्रीवास्तव और पोता अयांश श्रीवास्तव ने भाग लिया है। उनके बेटे के साले मनीष ने इस वीडियो को शूट किया। यह छोटा सा नाटक हमें बहुत बड़ा संदेश दे रहा है कि इस समय अगर बाहर जाने के लिए आपका जी मिचलाए तो एक बार परिवार के बारे में जरूर सोचें तो खुद ही आपके कदम घर के अंदर ही ठहर जाएंगे।
अरुण बताते हैं कि वह कई वर्षों तक गोरखपुर में नटराज संस्था से जुड़े थे और कई नाटक खेल चुके हैं, लॉकडाउन में फिर से उन्हें अपनी इस रचनात्मता का प्रदर्शन करने का मौका मिला तो परिवार को भी इसमें शामिल कर लिया। उन्होंने बताया कि वह अपनी पत्नी के साथ दिल्ली में बेटे के पास आये थे लेकिन लॉकडाउन हो गया तो वह यहीं फंस गए। उन्होंने खबरों में देखा कि लोग लॉकडाउन का पालन नहीं कर रहे और अपने परिवार की परवाह किए बिना घर से बाहर निकल रहे हैं तो उन्होंने जन-जागरूकता के लिए अपने परिवार के साथ मिलकर यह नाटक बनाने का विचार किया।
अरुण ने बताया कि लॉकडाउन में घर पर बैठे सभी लोग ऊब गए थे लेकिन जब इस नाटक को शूट किया तो सभी सदस्यों का खूब मनोरंजन भी हो गया। इसके साथ ही दूसरों तक एक सकारात्मक संदेश भी पहुंचाने का भी प्रयास किया। दरअसल लोग नाटक के माध्यम से चीजों को ज्यादा समझते हैं, इसलिए यह प्रयास किया। वहीं, अरुण ने कोरोना के प्रति जागरूकता के लिए एक कविता भी लिखी 'फिर कोरोना को मत रोना' जिसके बोल हैं.... जीवन के पहिया को रोक देलसनी कोरोना वायरसवा........। इस कविता के माध्यम से उन्होंने लोगों तक घर में रहने, मास्क पहनने और शारीरिक दूरी का पालन करने का संदेश पहुंचाया है।