सुंदर भाटी गैंग से जुड़ा 1 लाख का इनामी अमर सिंह गिरफ्तार, भाजपा नेता की हत्या में था हाथ
भाजपा नेता शिवकुमार यादव सहित 3 लोगों की हत्या में वांटेड एक लाख के इनामी अमर सिंह को गाजियाबाद क्राइम ब्रांच ने मेरठ से गिरफ्तार किया है।
नोएडा (जेएनएन)। पिछले साल नवंबर में ग्रेटर नोएडा में हुई भाजपा नेता शिवकुमार यादव सहित 3 लोगों की हत्या में वांटेड एक लाख के इनामी अमर सिंह को गाजियाबाद क्राइम ब्रांच ने शनिवार को मेरठ से गिरफ्तार किया है। कुख्यात अमर सिंह पश्चिमी यूपी के डॉन सुंदर भाटी गैंग का शातिर सदस्य है। इतना ही नहीं, सुंदर भाटी के भतीजे अनिल का भी करीबी अमर को बताया जाता है। बताया जा रहा है कि कुख्यात अमर सिंह समेत कुल पांच शातिर पकड़े गए हैं। इनमें एक पचास हजार का इनामी धर्मेंद्र उर्फ डीके भी है, वही, एक राबिन त्यागी का बेटा अर्पित है और चौथा हरियाणा का बदमाश है।
इससे पहले बिसरख कोतवाली क्षेत्र के हैबतपुर गांव के समीप बीते 16 नवंबर, 2017 को हुई भाजपा नेता शिव कुमार, चालक बली नाथ यादव व निजी सुरक्षाकर्मी रईस पाल की हत्या से यूपी स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने पर्दा उठा दिया था। तिहरे हत्याकांड की योजना तैयार करने वाले आरोपी अरुण यादव, रेकी करने वाले धर्मदत्त शर्मा व शार्प शूटर नरेश तेवतिया को एसटीएफ व बिसरख पुलिस ने संयुक्त अभियान के तहत खैरपुर गोलचक्कर के समीप से गिरफ्तार किया था।
आरोपियों के पास से 30 बोर की पिस्टल, पांच कारतूस, काले रंग की पल्सर मोटरसाइकिल, अरुण का पासपोर्ट, आइफोन व स्कार्पियो गाड़ी बरामद की गई थी। पूछताछ में पता चला था कि अरुण के पिता की मौत 2004 में हुई थी। पिता की मौत का बदला लेने की नीयत से उसने कुख्यात सुंदर भाटी के भतीजे अनिल भाटी से संपर्क कर शूटरों को दस लाख रुपये की सुपारी देकर तिहरे हत्याकांड को अंजाम दिलवाया था।
यहां पर बता दें कि नोएडा के बहलोलपुर गांव के रहने वाले भाजपा नेता शिव कुमार यादव, चालक बली नाथ व निजी सुरक्षाकर्मी रईसपाल की 16 नवंबर,2017 की दोपहर हैबतपुर गांव के समीप गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मोटरसाइकिल व स्कूटी सवार बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग करते हुए भाजपा नेता की कार का आठ सौ मीटर तक पीछा किया था।
घटना के दौरान कुल 40 राउंड फायरग बदमाशों ने की थी। मामले में शिव कुमार के भाई योगेश यादव ने हैबतपुर गांव के रहने वाले सुंदर यादव, चरन सिंह, देवेंद्र यादव, सतेंद्र यादव व छह अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया था। पुलिस जांच में दूसरी रंजिश की बात प्रकाश में आई और अरुण यादव सहित तीन को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
इस वजह से हुई दुश्मनी
शिव कुमार व सुंदर यादव पक्ष के बीच पुरानी दुश्मनी थी। अरुण यादव के पिता महेंद्र यादव यूपी पुलिस में हेड कांस्टेबल थे। शिव कुमार पक्ष का मानना था कि महेंद्र यादव पुलिस में होने की वजह से सुंदर यादव पक्ष की पैरवी करते हैं। 2004 में जब महेंद्र यादव की गाजियाबाद में सड़क हादसे में मौत हुई तो अरुण को लगा कि उसके पिता की हत्या शिव कुमार ने करवाई है और घटना को जानबूझ कर दुर्घटना का रूप दिया गया। इसी वजह से उसने 13 साल बाद पिता की मौत का बदला लेने की नियत से तिहरे हत्याकांड को अंजाम दिया था।