लिवर के मरीजों के लिए घातक हो सकता है Coronavirus, एम्स के अध्ययन में खुलासा
अध्ययन में देखा गया है कि लिवर सिरोसिस से पीड़ित जिन मरीजों में कोरोना का संक्रमण नहीं है उनमें मृत्यु दर कम है जबकि कोरोना से संक्रमित सिरोसिस के मरीजों में मृत्यु दर अधिक है।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। हेपेटाइटिस व सिरोसिस जैसी लिवर की गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोग इन दिनों संभल कर रहें, क्योंकि कोरोना वायरस का संक्रमण उनके लिए घातक साबित हो सकता है। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute Of Medical Sciences, New Delh) के गैस्ट्रोलॉजी व मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों ने मिलकर यह अध्ययन किया है। इस अध्ययन में यह देखा गया है कि लिवर सिरोसिस से पीड़ित जिन मरीजों में कोरोना का संक्रमण नहीं है उनमें मृत्यु दर कम है, जबकि कोरोना से संक्रमित सिरोसिस के मरीजों में मृत्यु दर अधिक है। इंडियन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोलॉजी ने इस शोध पत्र को प्रकाशन के लिए स्वीकार कर लिया है।
एम्स ने 22 अप्रैल से 22 जून के बीच 28 मरीजों पर यह अध्ययन किया जिन्हें पहले से लिवर की बीमारी थी। इनमें से 26 मरीजों को सिरोसिस था। सिर्फ दो मरीजों को यह बीमारी नहीं थी। मरीजों की औसत उम 48 साल थी। जिनमें 20 पुरुष व आठ महिला मरीज शामिल थीं।
शराब के सेवन से नौ मरीजों को हुआ था लिवर सिरोसिस
कोरोना से संक्रमित नौ मरीज (34.4 फीसद) शराब के सेवन से सिरोसिस से पीडि़त हुए थे। वहीं तीन मरीजों (11.5 फीसद) को हेपेटाइटिस बी, दो मरीजों को हेपेटाइटिस सी (7.7 फीसद) व चार मरीजों को ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस (15.4 फीसद) की बीमारी थी। दो मरीज मोटापे के कारण सिरोसिस से पीड़ित हुए थे। सात से 12 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहने के बावजूद इन मरीजों में मृत्यु दर 42.3 फीसद रही, जबकि सिरोसिस के सामान्य मरीजों में मृत्यु दर 23 फीसद देखी गई।
एम्स के गैस्ट्रोलॉजी विभाग एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शालीमार ने कहा कि अध्ययन में कोरोना के साथ नौ मरीज एसीएलएफ (एक्युट क्रोनिक लिवर फेल्योर) से पीड़ित मरीज शामिल थे। पेट में पानी भरने व पीलिया के कारण उन सभी की मौत हो गई, जबकि सामान्य एसीएलएफ के मरीजों में 53.3 फीसद मृत्यु दर देखी गई है। इस तरह के 46.7 फीसद मरीज बच जाते है। उन्होंने कहा कि कोरोना के सामान्य मरीजों के लिवर के एंजाइम में भी बदलाव देखा जा रहा है, लेकिन उनके ठीक होने पर लिवर सामान्य काम करने लगता है। डॉ. शालीमार ने विदेशों में भी हुए अध्ययन भी बाते हैं कि लिवर से पीडि़त मरीजों को कोरोना होने पर मृयु दर 30 फीसद तक है। लिहाजा, लिवर के मरीज खांसी, बुखार व सांस लेने में परेशानी होने पर तुरंत जांच कराएं। घर से बाहर ज्यादा न निकलें।