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दिल्ली होटल अग्निकांड : 17 लोगों की मौत से मुलाकात थी...पर जिंदगी नहीं लड़ सकी जंग

करोलबाग अग्निकांड में फंसे अधिकतर लोगों ने आग के रूप में जैसे मौत से साक्षात्कार किया। इस हादसे से जो बच गए, वे अब भी इसके सदमे से नहीं उबर पाए हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 13 Feb 2019 09:01 AM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2019 09:19 AM (IST)
दिल्ली होटल अग्निकांड : 17 लोगों की मौत से मुलाकात थी...पर जिंदगी नहीं लड़ सकी जंग
दिल्ली होटल अग्निकांड : 17 लोगों की मौत से मुलाकात थी...पर जिंदगी नहीं लड़ सकी जंग

नई दिल्ली [किशन कुमार]। करोलबाग अग्निकांड में फंसे अधिकतर लोगों ने आग के रूप में जैसे मौत से साक्षात्कार किया। इस हादसे से जो बच गए, वे अब भी इसके सदमे से नहीं उबर पाए हैं। इन्हीं में से एक हैं म्यांमार की चेन म्या म्या नेन, जो अपने हौसले की बदौलत आज जीवित हैं। हिंदी व अंग्रेजी बोल व समझ पाने में असमर्थ 32 वर्षीया चेन ने साथी अनुवादक के जरिये जो कुछ बताया, वह रोंगटे खड़े कर देने वाला है।

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होटल अर्पित पैलेस में ठहरे म्यांमार से आए आठ सैलानियों के दल में अमूमन सभी बुजुर्ग हैं। इस दल का नेतृत्व कर रही चेन ही सबसे कम उम्र की हैं। उनके कमर व पैर में चोट आई है। इस कारण वह लेडी हार्डिंग अस्पताल में भर्ती हैं। आठ लोगों के दल में से एक फोटोग्राफर तुन हला सेन (32) और डोमला मे (67) की इस हादसे में मौत हो चुकी है।

चेन ने अपनी सहायक तेजा के माध्यम से बताया कि वे सभी भारत घूमने के लिए यहां आए थे। बोधगया, फरुखाबाद व आगरा होते हुए वे सभी सोमवार को ही दिल्ली आए थे। सोमवार को दिल्ली में इंडिया गेट, लोटस टेंपल, ओखला स्थित संत नगर आदि जगह घूमने के बाद होटल में आराम करने के लिए रुके थे। मंगलवार सुबह पुन: फरुखाबाद वापस जाना था। उसके बाद बोधगया होते हुए म्यांमार लौटने की योजना थी।

चेन ने बताया, रात में खाना खाने के बाद सभी लोग होटल में सो गए थे। मंगलवार तड़के शोर-शराबे से नींद खुली। जैसे ही कमरे का दरवाजा खोला तो सामने आग थी। ऐसा लगा मानो मौत सामने हो। मैंने तत्काल दरवाजा बंद कर दिया। बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था। मैं खिड़की से बाहर निकली और केबल के सहारे नीचे उतरने लगी। किसी तरह होटल की पहली मंजिल तक पहुंची। लेकिन, अचानक केबल टूट गई और मैं एकाएक नीचे गिर गई। उसके बाद मुझे होश नहीं।

ईश्वर का लाख-लाख शुक्र कि बच गए

करोलबाग अग्निकांड में बचे हर शख्स ईश्वर को बार-बार धन्यवाद दे रहा था कि शुक्र है कि बच गए। इनमें से कोई शादी में शामिल होने के बाद कहीं घूमने जाने की तैयारी में था तो कोई ग्रेटर नोएडा में आयोजित पेट्रो टेक में भी जाने वाला था। कोई बैठक में शामिल होने के बाद दिल्ली घूमने की इच्छा के साथ होटल में ठहरा हुआ था तो कोई किसी और काम के लिए। घटना के बाद जो बच गया, वह खुद को भाग्यशाली मान रहा था।

पटना के मनीष कुमार ने बताया कि वह प्रथम तल में कमरा नंबर 102 में ठहरे थे। अपने चार साथियों के साथ एक बैठक में शामिल होने के लिए यहां आए थे। सुबह चार बजे शोरगुल सुनकर दरवाजा खोला। बाहर धुआं दिखा तो फिर कमरे में आ गए। कुछ देर में ही आवाज तेज होने लगी तो फिर बाहर देखा। आग कमरा नंबर 109 में लगी थी। बदहवासी में चारों दोस्त सामान छोड़कर बाहर निकले। देखते ही देखते होटल को आग ने अपनी चपेट में ले लिया।

अहमदाबाद से एक बैठक में शामिल होने दिलीप भाई त्रिवेदी दोपहर में भी बदहवास दिखे। वह रविवार को ही दिल्ली पहुंचे थे। कमरा नंबर 101 में ठहरे थे। तड़के 3.30 बजे उनकी नींद खुली। बगल वाले दरवाजे को कोई पीट रहा था। दरवाजा खोला तो देखा कि हर तरफ धुआं था। लोग चीख रहे थे। उन्होंने छतों से लोगों को कूदते हुए देखा। उन्होंने भरी आंखों से बताया कि जो लोग कूदे वह कूदना नहीं चाह रहे थे। पहले लटके। लेकिन, जब आग की लपटें उन तक पहुंची तो वे कूद गए। फायर ब्रिगेड की गाड़ियां कोई डेढ़ घंटे बाद आई। तब तक काफी कुछ तबाह हो चुका था। हादसे में बचे लोगों के चेहरे पर खौफ साफ झलक रहा था। काफी देर तक परिजन उन्हें संभालने में लगे रहे।

केरल से शादी समारोह में शामिल होने आए थे, तीन की गई जान

केरल से आए एक परिवार के 13 सदस्यों में से तीन की मौत अर्पित होटल में जलकर हो गई। इनका शव राम मनोहर लोहिया अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया है। मृतकों की पहचान नलिनी अम्मा (84), उनके बेटे विद्या सागर (60) व बेटी जयश्री (53) के रूप में हुई है। नलिनी की नातिन का शादी समारोह बीते आठ तारीख को गाजियाबाद में संपन्न हुआ था। इसी में शामिल होने के लिए सभी आए थे।

नलिनी के चचेरे भाई राज शेखरन ने बताया कि केरल के एर्नाकुलम से परिवार के 13 सदस्य आए थे। शादी समारोह में शामिल होने के बाद सभी दिल्ली में घूमना चाह रहे थे। इसके लिए रविवार सुबह ही करोलबाग स्थित अर्पित पैलेस में आकर ठहरे थे। सभी सोमवार को वृंदावन से घूमकर आए थे और मंगलवार सुबह ही उत्तराखंड घूमने के लिए जाना था। 15 फरवरी को वापस एर्नाकुलम जाने की योजना थी। मयूर विहार में रहने वाले राज शेखरन रोते हुए कहते हैं कि किसे पता था कि आज यह हादसा हो जाएगा। उन्होंने बताया कि जैसे ही घटना की सूचना मिली, वह होटल पहुंच गए। जो लोग हादसे में बच गए हैं, उन्हें दूसरे होटलों में ठहरने की व्यवस्था कराई। हादसे से सभी सहमे हुए हैं।

जानेंः कब क्या हुआ

4:35 बजे सुबह: अग्निशमन विभाग को घटना की सूचना मिली।

5:00 बजे : अग्निशमन विभाग का बचाव दल घटना स्थल पर पहुंचा।

5:05 बजे : हाइड्रोलिक लिफ्ट के जरिये खिड़की के शीशे तोड़कर लोगों को निकालना शुरू किया गया।

5:15 बजे : डिप्टी फायर चीफ ऑफिसर मौके पर पहुंचे।

5:16 बजे : दमकल की 20 और गाड़ियां मौके पर पहुंचीं।

6:25 बजे : अग्निशमन कर्मियों ने 25 लोगों को होटल से बाहर निकाला।

6:50 बजे : अग्निशमन कर्मियों ने आठ घायलों को बाहर निकाला।

7:08 बजे : चीफ फायर ऑफिसर भी मौके पर पहुंचे।

7 :10 बजे: आग पर काबू पाया गया

8.00 बजे: कूलिंग का कार्य पूरा हुआ।

10:35 बजे : दिल्ली के गृहमंत्री सत्येंद्र जैन मौके पर पहुंचे।

11:10 बजे दोपहर: सीएफएसएल की टीम घटनास्थल पर पहुंची।

12:18 बजे: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहुंचे।

12.35 बजे : उपराज्यपाल अनिल बैजल पहुंचे।

1:47 बजे : होटल की इमारत से फिर धुआं उठने लगा।

1:49 बजे : उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर आदेश गुप्ता, प्रदेश महामंत्री रविंद्र गुप्ता और स्थायी समिति की अध्यक्ष वीना विरमानी पहुंचे

1:50 बजे: अग्निशमन विभाग की गाड़ी ने फिर से आग को बुझाना शुरू किया।

2:10 बजे: केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री केजे अल्फोंस पहुंचे।

2:57 बजे: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी, प्रदेश महामंत्री राजेश भाटिया पहुंचे।


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