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एयरपोर्ट पर विदेश से लौटने वाले यात्रियों की भीड़ लगी, परिजनों को करना पड़ा काफी लंबा इंतजार

शनिवार को विदेशों से आनेवाले यात्रियों की संख्या बढ़ने लगी। इसे नियंत्रित करने के लिए सामान्य प्रवेश द्वार को बंद करना पड़ा।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 21 Mar 2020 11:31 PM (IST)Updated: Sat, 21 Mar 2020 11:31 PM (IST)
एयरपोर्ट पर विदेश से लौटने वाले यात्रियों की भीड़ लगी, परिजनों को करना पड़ा काफी लंबा इंतजार
एयरपोर्ट पर विदेश से लौटने वाले यात्रियों की भीड़ लगी, परिजनों को करना पड़ा काफी लंबा इंतजार

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। इंदिरा गांधी इंटरनेशनल (आइजीआइ) एयरपोर्ट पर दोपहर के बाद दो बजे अचानक केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) के जवान दौड़ पड़े। कुछ ही मिनट में सभी सामान्य निकास द्वार बंद कराने के साथ एयरपोर्ट पर पहले से मौजूद यात्रियों के सहित उन यात्रियों को भी अंदर रोक दिया गया जो अभी अभी फ्लाइट से उतरे थे। इसके बाद जो फ्लाइट यहां पहुंची, इनमें सवार सभी यात्रियों की टर्मिनल तीन के भीतर थर्मल स्क्रीनिंग और जरूरी सूचना एकत्र की गई और एयरपोर्ट पर बने क्वारंटाइन सेंटर पर विशिष्ट द्वार से पहुंचाया गया। इसके पहले अलग से कोरिडोर भी बनाया गया।

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शनिवार को बढ़ गई संख्‍या

शुक्रवार को रात आठ बजे अमेरिका सहित अन्य देशों से जो यात्री एयरपोर्ट पर उतरे थे, उनकी जांच का नंबर सुबह आया। इसके बावजूद दोपहर तक सबकुछ सामान्य चलता रहा। लेकिन शनिवार को विदेशों से आनेवाले यात्रियों की संख्या बढ़ने लगी। इसे नियंत्रित करने के लिए सामान्य प्रवेश द्वार को बंद करना पड़ा। इन निकास द्वारों से निकलने वाले यात्रियों को भी रोकना पड़ा। इससे थोड़े देर के लिए टर्मिनल के अंदर और बाहर का माहौल असहज हो गया। इस दौरान टर्मिनल के भीतर यात्रियों की संख्या ज्यादा हो गई। ऐसे में काउंटर पर जमा पासपोर्ट ढूंढ़ने और 20 से 25 लोगों के समूह बनाकर उन्हें क्वारंटाइन सेंटर भेजने में भी वक्त लगा।

इंतजार में खड़े रहे लोग

इस दौरान क्वारंटाइन सेंटर पर जांच के लिए जाने वालों और जांच के बाद बाहर आने वालों कतार दिनभर लगी रही। इतनी ही संख्या में टर्मिनल के बाहर अपने परिजनों और रिश्तेदारों का लोग खड़े होकर इंतजार करते रहे।

सामान्‍य प्रवेश द्वार से जाने की इजाजत नहीं

हालांकि, जब जब कर्मचारियों की ड्यूटी खत्म हो रही थी तब तब कड़ी सुरक्षा के बीच एक निकास द्वार को खोला जाता था फिर बंद कर दिया जाता रहा। लेकिन किसी भी यात्री को इस सामान्य प्रवेश द्वार से जाने की इजाजत नहीं दी गई।


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