Delhi Pollution Report: वायु प्रदूषण घटे तो दिल्ली में बढ़ सकती है 9.4 साल तक आयु
Delhi Pollution Report 1998 से महीन कण संबंधी वार्षिक प्रदूषण में 42 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जिससे उन वर्षो में लोगों की आयु में औसतन 1.8 वर्ष की कमी आई।
नई दिल्ली, पीटीआइ। बढ़ते वायु प्रदूषण ने भारतीयों की आयु में औसतन 5.2 साल तक की कमी कर दी है। ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुरूप वायु प्रदूषण में कमी लाई जाए है, तो दिल्लीवालों की उम्र में 9.4 वर्ष की वृद्धि हो सकती है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशा-निर्देशों के अनुसार हवा में महीन कणों के रूप में मौजूद प्रदूषक तत्व (पीएम) 2.5 का स्तर 10 माइक्रोन प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। वहीं पीएम 10 का स्तर 20 माइक्रोन प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। भारत में 2018 में पीएम 2.5 का औसत स्तर 63 माइक्रोन प्रति घन मीटर था।
शिकागो विश्वविद्यालय के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार की गई नई वायु गुणवत्ता जीवन प्रत्याशा सूची के अनुरूप पूरे भारत में यदि प्रदूषण के स्तर में डब्ल्यूएचओ के मानकों के अनुरूप कमी कर ली जाए है तो भारतीयों की उम्र में 5.2 साल तक की बढ़ सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है, समय के साथ महीन कणों से संबंधित प्रदूषण में काफी वृद्धि हुई है। 1998 से महीन कण संबंधी वार्षिक प्रदूषण में 42 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जिससे उन वर्षो में लोगों की आयु में औसतन 1.8 वर्ष की कमी आई। इसमें कहा गया है कि भारत की एक चौथाई आबादी प्रदूषण की ऐसी स्थिति में रह रही है जो किसी अन्य देश में दिखाई नहीं देती।
यदि प्रदूषण का स्तर बरकरार रहता है तो उत्तर भारत में 24 करोड़ 80 लाख लोगों की आयु में आठ साल से अधिक की कमी आ सकती है। इसमें कहा गया है कि यदि दिल्ली में डब्ल्यूएचओ के मानकों के अनुरूप प्रदूषण में कमी लाई जाती है तो राष्ट्रीय राजधानी के लोगों की उम्र में 9.4 वर्ष की वृद्धि हो सकती है जबकि भारत के राष्ट्रीय मानक के अनुरूप कमी लाने पर दिल्लीवालों की उम्र 6.5 साल बढ़ सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार यदि प्रदूषण में डब्ल्यूएचओ के मानकों के अनुरूप कमी आती है तो बिहार और बंगाल जैसे राज्यों के लोगों की उम्र में सात साल से अधिक की वृद्धि तथा हरियाणा के लोगों की उम्र में आठ साल की वृद्धि हो सकती है। इस रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि चार देशों-बांग्लादेश, भारत, नेपाल और पाकिस्तान में विश्व की लगभग एक चौथाई आबादी रहती है और ये देश सर्वाधिक प्रदूषण वाले देशों की सूची में शामिल हैं। उत्तर भारत दक्षिण एशिया में सर्वाधिक प्रदूषित हिस्से के रूप में उभर रहा है।